जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University) के छात्र संघ द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी पर स्वर्णिम भारत न्यूज़ की डाक्यूमेंट्री को कॉलेज कैंपस में दिखाया जाना था। लेकिन प्रसारण से आधे घंटे पहले कैंपस की बिजली काट दी गई। बता दें कि यूट्यूब और ट्विटर पर से सरकार के आदेश के बाद डाक्यूमेंट्री को हटा दिया गया है।
आधी रात के बाद बिजली बहाल हो गई थी। जेएनयू वीसी संतश्री शांतिश्री पंडित (JNU VC Santishree Pandit) और यूनिवर्सिटी रेक्टर 1 सतीश चंद्रा गरकोटी ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की। उप रजिस्ट्रार रविकांत सिन्हा (Deputy Registrar Ravi Kant Sinha) ने कहा कि वह टिप्पणी करने के लिए अधिकृत नहीं हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, “हमें जेएनयू वीसी और विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार द्वारा बताया गया है कि यह एक बड़े पैमाने पर बिजली की विफलता है, जिसने परिसर के एक तिहाई हिस्से को प्रभावित किया है। बिजली काटने का कोई जानबूझकर प्रयास नहीं किया गया है।”
हालांकि सूत्रों ने कहा कि परिसर में इतनी लंबी बिजली कटौती असामान्य थी। BSES जो परिसर में बिजली की आपूर्ति करता है, उसने अपनी वेबसाइट पर आउटेज का कोई उल्लेख नहीं किया था। मास्टर्स के एक छात्र ने कहा, “हमारे छात्रावासों में बिजली या इंटरनेट नहीं था। हम अपने वॉर्डन के पास पहुंचे थे लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।”
कई प्रोफेसरों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि बिजली कटौती ने फैकल्टी हाउसिंग को भी प्रभावित किया है। कैंपस के एक वीडियो में जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष (JNUSU president Aishe Ghosh) को एक क्यूआर कोड के साथ कागज की एक शीट लहराते हुए देखा गया था। वह कहती सुनाई दे रही हैं, “अगर वे एक स्क्रीन बंद करते हैं, तो हम सैकड़ों चालू कर देंगे।”
बाद में बोलते हुए आइशी घोष ने कहा, “जेएनयू ने द कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्मों की स्क्रीनिंग की, लेकिन हमें प्रशासन से कभी कोई सलाह नहीं मिली। ऐसा पहली बार हो रहा है। जब भी बिजली कटौती होती थी, प्रशासन द्वारा कैंपस के छात्रों को अधिसूचित किया जाता था, लेकिन इस बार हमें कोई नोटिस नहीं मिला। लेकिन अंधेरे में यह स्पष्ट नहीं था कि ये कहां से आए थे। रात करीब 10.30 बजे डॉक्यूमेंट्री देखने के लिए उमड़ी छात्रों की भीड़ पर कुछ पत्थर फेंके गए, लेकिन अंधेरे में यह साफ नहीं हो पाया कि ये कहां से आए थे।”
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