200 टन कबाड़, भाला, तौलिया, ब्रश... चांद पर क्या-क्या छोड़कर आए थे वैज्ञानिक? अब तक 12 लोग कर चुके हैं Moon Tour

चांद पर वैज्ञानिकों की खोज से दुनियाभर में लोगों का उत्साह बढ़ता है, लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि चंद्रमा पर खोज के लिए भेजे गए मिशन के कारण वहां पृथ्वी से कितना कचरा अब तक पहुंच चुका है. इस कबाड़ में भारी भरकम मशीनें और टेक्निकल चीज

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चांद पर वैज्ञानिकों की खोज से दुनियाभर में लोगों का उत्साह बढ़ता है, लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि चंद्रमा पर खोज के लिए भेजे गए मिशन के कारण वहां पृथ्वी से कितना कचरा अब तक पहुंच चुका है. इस कबाड़ में भारी भरकम मशीनें और टेक्निकल चीजें तो हैं ही. इसके अलावा भाला, बाज का पंख, चिमटे, ड्रिल, तौलिये, ब्रश और रेक भी है. द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक चांद पर मानव मल, यूरिन और उल्टी के 96 पैकेट्स भी हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अब तक चांद पर 200 टन कबाड़ पहुंच चुका है.

चांद पर किस तरह का कबाड़?

1. अपोलो मिशन जिस जगह पर लैंड हुआ था, उसके आसपास कई चीजें बिखरी हुई हैं, इन्हें कभी वापस नहीं लाया गया. इनमें एक बाज का पंख, एक भाला, मानव अपशिष्ट के बैग, एक पारिवारिक तस्वीर और एक फॉलन एस्ट्रोनॉट (एल्युमीनियम की मूर्ति ) शामिल है. फॉलन एस्ट्रोनॉट के पास एक पट्टिका भी, जिस पर अंतरिक्ष एक्सप्लोरेशन के दौरान मारे गए 14 वैज्ञानिकों के नाम हैं.

2. कुल मिलाकर, चांद पर इंसानी कबाड़े के रूप में करीब 200 टन वस्तुएं मौजूद हैं. अपोलो मिशन के पांच सैटर्न-V रॉकेट इन अवशेषों में सबसे ज्यादा भारी-भरकम हैं. इसके बाद अंतरिक्ष यानों का मलबा है, जो मिशन के आखिरी चरण में चंद्रमा की सतह पर हादसे का शिकार हो गए.

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3. इसके अलावा चांद पर रोबोटिक लैंडर और रोवर्स का मलबा भी बड़ी मात्रा में है, जो अब किसी काम के नहीं हैं. उनकी बैटरियां खत्म हो गईं हैं या फिर हार्डवेयर खराब हो गया है. चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला अंतरिक्ष यान लूना-9 है. यह चंद्रमा के पश्चिमी छोर पर है.

4. दुर्घटनाग्रस्त और टूटे अंतरिक्ष यानों के अलावा कई व्यक्तिगत सामान भी हैं, जो अंतरिक्ष यात्री चांद पर ही छोड़ आए. इसमें मल-मूत्र और उल्टी के लिए 96 बैग भी शामिल हैं. इसके अलावा दो गोल्फ गेंदें भी वहां हैं, जिन्हें अपोलो-14 के अंतरिक्ष यात्री एलन शेपर्ड ने हिट किया था. चांद पर एडगर मिशेल की फेंकी गई धातु की छड़ भी इसे भाला कहा जाता है.

5. अपोलो-15 में सवार होकर चांद पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्री जेम्स इरविन ने डैशबोर्ड पर एक बाइबिल छोड़ी थी.अपोलो-16 के अंतरिक्ष यात्री चार्ल्स ड्यूक की जमीन पर रखी एक पारिवारिक तस्वीर है, जो 1972 में चंद्रमा पर चलने वाले 10वें और सबसे कम उम्र के वैज्ञानिक थे.

6. तकनीकी कबाड़ के रूप में वहां अपोलो लैंडिंग साइट कैमरे, पावर पैक, चिमटे, ड्रिल, तौलिये, ब्रश, रेक और ट्रेंचिंग टूल भी हैं.

अमेरिका

चांद पर अब तक पहुंचने वाले 12 लोग

1. 1969 में US के नील आर्मस्ट्रॉन्ग अपोलो-11 मिशन के तहत चांद पर पहुंचे थे.

2. बज एल्ड्रिन नील आर्मस्ट्रॉन्ग के साथ चांद पर पहुंचने वाले दूसरे शख्स थे.

3. अमेरिका ने 1969 में ही अपोलो-12 मिशन भेजा था. इसमें पेटे कॉनराड पहुंचे थे.

4. अपोलो-12 मिशन में ही एलन बीन भी कॉनराड के साथ थे.

5. एलन शेपर्ड 1971 में अपोलो-14 मिशन के तहत गए थे.

6. एडगर मिशेल भी शेपर्ड के साथ गए थे.

7. अपोलो-15 मिशन के तहत डेविड स्कॉड गए थे.

8. जेम्स इरविन भी अपोलो-15 मिशन में गए थे.

9. अपोलो-16 मिशन में जॉन यंग चांद पर पहुंचे थे.

10. चार्ल्स ड्यूक भी अपोलो-16 मिशन में यंग के साथ थे.

11. अपोलो-17 मिशन में यूजीन सेरनन पहुंचे थे.

12. हैरिसन स्मिथ भी उनके साथ थे.

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चांद पर अब तक कौन-कौन से देश पहुंचे?

> भारत: चांद पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग सफल होने के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन गया है. इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन ये कारनामा कर चुके हैं.

>अमेरिकाः 2 जून 1966 से 11 दिसंबर 1972 के बीच अमेरिका ने 11 बार चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई. इसमें सर्वेयर स्पेसक्राफ्ट के पांच मिशन थे. छह मिशन अपोलो स्पेसक्राफ्ट के थे. इसी के तहत नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने चांद पर पहला कदम रखा था. जिनके बाद 24 अमेरिकी एस्ट्रोनॉट्स चांद पर गए. अमेरिका का पहला लैंडर चंद्रमा पर 20 मई 1966 में उतरा था. रूस के लैंडर के उतरने के तीन महीने बाद.

>रूस (तब सोवियत संघ): 3 फरवरी 1966 से 19 अगस्त 1976 के बीच आठ सॉफ्ट लैंडिंग वाले लूना मिशन हुए. जिसमें लूना-9, 13, 16, 17, 20, 21, 23 और 24 शामिल हैं. रूस कभी भी चांद पर अपने अंतरिक्षयात्रियों उतार नहीं पाया. 3 फरवरी 1966 में लूना-9 चांद पर उतरने वाला पहला मिशन था. लूना के दो मिशन चंद्रमा की सतह से नमूने लेकर भी वापस आए.

>चीनः भारत के इस पड़ोसी देश ने 14 दिसंबर 2013 को पहली बार चांद पर चांगई-3 मिशन उतारा. 3 जनवरी 2019 को चांगई-4 मिशन उतारा. 1 दिसंबर 2020 को तीसरा मिशन चांगई-5 उतारा. इसमें से आखिरी वाला रिटर्न मिशन था. यानी चांद से सैंपल लेकर आने वाला.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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