भारत, नेपाल के अलावा वो तीसरा देश, जहां 50 फीसदी से ज्यादा रहते हैं हिंदू

दुनिया के तीन ही ऐसे देश हैं, जहां हिंदू बहुसंख्यक हैं. भारत और नेपाल के बारे में ऐसे देश हैं जहां अब हिंदू बहुसंख्यक हैं, दो के नाम तो आप जानते ही होंगे-ये भारत और नेपाल हैं. तीसरा देश कौन सा है. ये देश अफ्रीका महाद्वीप में है लेकिन भारत से इसका नात

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दुनिया के तीन ही ऐसे देश हैं, जहां हिंदू बहुसंख्यक हैं. भारत और नेपाल के बारे में ऐसे देश हैं जहां अब हिंदू बहुसंख्यक हैं, दो के नाम तो आप जानते ही होंगे-ये भारत और नेपाल हैं. तीसरा देश कौन सा है. ये देश अफ्रीका महाद्वीप में है लेकिन भारत से इसका नाता 200 सालों का तो है ही. इस देश का नाम मॉरीशस है. जहां हिंदुओं की आबादी 50 फीसदी से ऊपर है.

दुनिया में तीन ही ऐसे देश हैं जहां अब हिंदू बहुसंख्यक हैं, दो के नाम तो आप जानते ही होंगे-ये भारत और नेपाल हैं. तीसरा देश कौन सा है. ये देश अफ्रीका महाद्वीप में है लेकिन भारत से इसका नाता 200 सालों का तो है ही. इस देश का नाम मॉरीशस है. जहां हिंदुओं की आबादी 50 फीसदी से ऊपर है.

मॉरीशस में जब वर्ष 2011 की जनगणना हुई तो हिंदू कुल आबादी का 48.5 फीसदी थे. अब उनके बारे में माना जा रहा है कि वो 51 फीसदी हो चुके हैं. वर्ष 2020 के एक आंकलन में पता लगा कि हिंदुओं की ग्रोथ रेट वहां 2.1 की है, जो यहां की दूसरे समुदायों की आबादी से ज्यादा तेज है. वैसे मॉरीशस का भी प्रमुख इस तरह से हिंदू ही है. यहां बहुत से मंदिर हैं. ये बड़े और स्थापत्य की दृष्टि से खूबसूरत हैं. कई मंदिर समुद्र तट पर हैं.

मॉरीशस में जब वर्ष 2011 की जनगणना हुई तो हिंदू कुल आबादी का 48.5 फीसदी थे. अब उनके बारे में माना जा रहा है कि वो 51 फीसदी हो चुके हैं. वर्ष 2020 के एक आंकलन में पता लगा कि हिंदुओं की ग्रोथ रेट वहां 2.1 की है, जो यहां की दूसरे समुदायों की आबादी से ज्यादा तेज है. वैसे मॉरीशस का भी प्रमुख इस तरह से हिंदू ही है. यहां बहुत से मंदिर हैं. ये बड़े और स्थापत्य की दृष्टि से खूबसूरत हैं. कई मंदिर समुद्र तट पर हैं.

मॉरीशस में हिंदूत्व की शुरुआत गिरमिटिया मजदूरों के जरिए हुई. जिन्हें अंग्रेज राज खासकर ईस्ट इंडिया कंपनी के राज में काम करने के लिए मॉरीशस में लाया गया. ये मजदूर आमतौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्री, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से लाए गए थे.

मॉरीशस में हिंदूत्व की शुरुआत गिरमिटिया मजदूरों के जरिए हुई. जिन्हें अंग्रेज राज खासकर ईस्ट इंडिया कंपनी के राज में काम करने के लिए मॉरीशस में लाया गया. ये मजदूर आमतौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्री, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से लाए गए थे.

ये ब्रिटिश बागानों में काम के लिए लाए गए. इसके अलावा गन्ना और तंबाखू जैसी फसलों की पैदावार के लिए. मॉरीशस अब अफ्रीका महाद्वीप का ऐसा देश बन गया है, जहां सबसे ज्यादा भारतीय रहते हैं. आबादी के प्रतिशत के लिहाज से ये भारत और नेपाल के बाद तीसरा ऐसा देश है, जहां हिंदुओं की आबादी 50 फीसदी से ज्यादा है और बहुलता में है. वहां की कुल आबादी करीब 08 लाख है.

ये ब्रिटिश बागानों में काम के लिए लाए गए. इसके अलावा गन्ना और तंबाखू जैसी फसलों की पैदावार के लिए. मॉरीशस अब अफ्रीका महाद्वीप का ऐसा देश बन गया है, जहां सबसे ज्यादा भारतीय रहते हैं. आबादी के प्रतिशत के लिहाज से ये भारत और नेपाल के बाद तीसरा ऐसा देश है, जहां हिंदुओं की आबादी 50 फीसदी से ज्यादा है और बहुलता में है. वहां की कुल आबादी करीब 08 लाख है.

भारत से लाए गए गिरमिटिया लोगों में मुख्य रूप से हिंदू शामिल थे, लेकिन मुस्लिम और ईसाई भी थे. वो सभी अनुबंध के तहत यहां लाए गए. फिर उसके बाद वो यहीं बसते चले गए. अब तो उनकी कई पीढ़ियां यहां पैदा हो चुकी हैं और मॉरीशस मूलतौर पर उनका देश बन चुका है. भारत से गिरमिटिया मजदूरों को पहली बार जहाज से 1836 में लाया गया. वैसे भारत से गिरमिटिया मजदूर फिजी, जमैका, त्रिनिदाद, मार्टीनिक, सूरीनाम और दूसरे देशों या द्वीपीय देशों में भी ले जाए गए थे.

भारत से लाए गए गिरमिटिया लोगों में मुख्य रूप से हिंदू शामिल थे, लेकिन मुस्लिम और ईसाई भी थे. वो सभी अनुबंध के तहत यहां लाए गए. फिर उसके बाद वो यहीं बसते चले गए. अब तो उनकी कई पीढ़ियां यहां पैदा हो चुकी हैं और मॉरीशस मूलतौर पर उनका देश बन चुका है. भारत से गिरमिटिया मजदूरों को पहली बार जहाज से 1836 में लाया गया. वैसे भारत से गिरमिटिया मजदूर फिजी, जमैका, त्रिनिदाद, मार्टीनिक, सूरीनाम और दूसरे देशों या द्वीपीय देशों में भी ले जाए गए थे.

जब मॉरीशस को ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी मिली, तब तक इसकी अधिकांश आबादी भारतीय मूल वाली ही थी, जिनकी जड़ें भारत में थीं. पैट्रिक आइसेनलोहर के अनुसार, मॉरीशस की कुल आबादी का लगभग 70% भारतीय मूल का है. मॉरीशस में हिंदुओं के घरों में क्रियोल, भोजपुरी, तमिल और हिंदी जैसी भाषाएं बोली जाती हैं.

जब मॉरीशस को ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी मिली, तब तक इसकी अधिकांश आबादी भारतीय मूल वाली ही थी, जिनकी जड़ें भारत में थीं. पैट्रिक आइसेनलोहर के अनुसार, मॉरीशस की कुल आबादी का लगभग 70% भारतीय मूल का है. मॉरीशस में हिंदुओं के घरों में क्रियोल, भोजपुरी, तमिल और हिंदी जैसी भाषाएं बोली जाती हैं.

एक खास और भी है कि मॉरीशस में बसने वाले हिंदू जाति व्यवस्था का पालन नहीं करते है. ये हिंदू होने के बाद भी जाति व्यवस्था से अलग रहे हैं.ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि जिन सामाजिक और आर्थिक हालात में गिरमिटिया भारतीय मजदूरों को यहां लाया गया, वो ऐसी स्थितियां थीं जो जाति के रखरखाव के लिए अनुकूल नहीं थीं और तब यहां आए सभी भारतीय एक जैसे मजदूर का ही काम कर रहे थे. फिर उन्हें ये भी महसूस हुआ कि भारत जैसी जाति व्यवस्था फिर यहां गलत परंपरा को जन्म देगी.

एक खास और भी है कि मॉरीशस में बसने वाले हिंदू जाति व्यवस्था का पालन नहीं करते है. ये हिंदू होने के बाद भी जाति व्यवस्था से अलग रहे हैं.ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि जिन सामाजिक और आर्थिक हालात में गिरमिटिया भारतीय मजदूरों को यहां लाया गया, वो ऐसी स्थितियां थीं जो जाति के रखरखाव के लिए अनुकूल नहीं थीं और तब यहां आए सभी भारतीय एक जैसे मजदूर का ही काम कर रहे थे. फिर उन्हें ये भी महसूस हुआ कि भारत जैसी जाति व्यवस्था फिर यहां गलत परंपरा को जन्म देगी.

मॉरीशस में सभी हिंदू प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं. महा शिवरात्रि यहां बड़ा त्योहार है. ये काफी अच्छी तरह मनाया जाता है. तमिल हिंदुओं द्वारा थाईपुसम मनाते हैं, जो भगवान मुरुगन के सम्मान में होता है. गणेश चतुर्थी भी होती है. दुर्गा पूजा नौ दिनों तक मनाई जाती है, तब यहां नामधारी देवी की पूजा करते हैं. दीवाली तो सभी मनाते हैं. इन सभी त्योहारों पर वहां राष्ट्रीय सार्वजनिक अवकाश होता है. मॉरीशस के ईसाई भी इसे साथ मनाते हैं. उगादी / गुड़ी पड़वा, हिंदू नव वर्ष, होली, पोंगल / मकर संक्रांति भी खूब मनाते हैं.

मॉरीशस में सभी हिंदू प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं. महा शिवरात्रि यहां बड़ा त्योहार है. ये काफी अच्छी तरह मनाया जाता है. तमिल हिंदुओं द्वारा थाईपुसम मनाते हैं, जो भगवान मुरुगन के सम्मान में होता है. गणेश चतुर्थी भी होती है. दुर्गा पूजा नौ दिनों तक मनाई जाती है, तब यहां नामधारी देवी की पूजा करते हैं. दीवाली तो सभी मनाते हैं. इन सभी त्योहारों पर वहां राष्ट्रीय सार्वजनिक अवकाश होता है. मॉरीशस के ईसाई भी इसे साथ मनाते हैं. उगादी / गुड़ी पड़वा, हिंदू नव वर्ष, होली, पोंगल / मकर संक्रांति भी खूब मनाते हैं.

मॉरीशस सरकार के ज्यादातर प्रधानमंत्री अब तक हिंदू ही हुए हैं. वहां की सरकार के ज्यादातर मंत्री भी हिंदू होते हैं. मॉरीशस की अर्थव्यवस्था और प्रशासन पर भी उनका वर्चस्व बना रहता है. हिंदुओं के ज्यादा होने के बाद भी ये देश बहुत शांतिपूर्ण देश है, यहां कभी तनाव नहीं होता और कानून कड़े हैं।

मॉरीशस सरकार के ज्यादातर प्रधानमंत्री अब तक हिंदू ही हुए हैं. वहां की सरकार के ज्यादातर मंत्री भी हिंदू होते हैं. मॉरीशस की अर्थव्यवस्था और प्रशासन पर भी उनका वर्चस्व बना रहता है. हिंदुओं के ज्यादा होने के बाद भी ये देश बहुत शांतिपूर्ण देश है, यहां कभी तनाव नहीं होता और कानून कड़े हैं.

यह एकमात्र अफ्रीकी देश है जिसे लोकतंत्र सूचकांक में पूर्ण लोकतंत्र के रूप में स्थान दिया गया है. मॉरीशस अफ्रीका महाद्वीप में मानव विकास सूचकांक में बहुत ऊंची रैंकिंग वाला अकेला देश है. विश्व बैंक उसे उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था के रूप में वर्गीकृत करता है. ये अफ्रीका में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी और सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं में है. यहां की सरकार अपने लोगों को मुफ़्त स्वास्थ्य, शिक्षा, कुछ वर्गों में मुफ़्त सार्वजनिक परिवहन प्रदान करती है. मॉरीशस को लगातार सबसे शांतिपूर्ण अफ्रीकी देश के रूप में स्थान दिया गया है.

यह एकमात्र अफ्रीकी देश है जिसे लोकतंत्र सूचकांक में पूर्ण लोकतंत्र के रूप में स्थान दिया गया है. मॉरीशस अफ्रीका महाद्वीप में मानव विकास सूचकांक में बहुत ऊंची रैंकिंग वाला अकेला देश है. विश्व बैंक उसे उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था के रूप में वर्गीकृत करता है. ये अफ्रीका में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी और सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं में है. यहां की सरकार अपने लोगों को मुफ़्त स्वास्थ्य, शिक्षा, कुछ वर्गों में मुफ़्त सार्वजनिक परिवहन प्रदान करती है. मॉरीशस को लगातार सबसे शांतिपूर्ण अफ्रीकी देश के रूप में स्थान दिया गया है.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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