100 फिल्मों में काम, झेला कैंसर, अंत में हुआ ऐसा हाल....सिंगर की दर्द भरी कहानी

ये दर्दभरी कहानी है जबलपुर से मायानगरी आने वाले एक सिंगर की. जिन्होंने 100 से ज्यादा फिल्मों के लिए गाने गाए और म्यूजिक दिया. वह एक समय पर इंडस्ट्री पर राज कर रहे थे. लेकिन किसी पता था कि अच्छी खासी जिंदगी में कैंसर आफत बनकर आएगा और सबकुछ बर्बाद क

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ये दर्दभरी कहानी है जबलपुर से मायानगरी आने वाले एक सिंगर की. जिन्होंने 100 से ज्यादा फिल्मों के लिए गाने गाए और म्यूजिक दिया. वह एक समय पर इंडस्ट्री पर राज कर रहे थे. लेकिन किसी पता था कि अच्छी खासी जिंदगी में कैंसर आफत बनकर आएगा और सबकुछ बर्बाद कर देगा. बस फिर क्या... सिंगर ने महज 51 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. चलिए बताते हैं कहानी आदेश श्रीवास्तव की, जिनका अंत काफी दर्दनाक रहा था.

आदेश श्रीवास्तव ने दो बार कैंसर को मात दी लेकिन तीसरी बार वह इसके आगे हार गए. अंत में हालत ये हो गई थी कि इलाज के लिए पैसे की इतनी तंगी थी कि उन्हें बहुत कुछ झेलना पड़ा. एक वक्त था जब उन्हें महंगी गाड़ियों का शौक था लेकिन बीमारी के चलते उन्होंने अपनी सारी महंगी कार बेच दी. लेकिन, ऊपर वाले को तो कुछ और ही मंजूर था.

पहले बर्थडे फिर मौत आदेश श्रीवास्तव अपने बर्थडे के अगले दिन ही इस दुनिया को छोड़ दिया. 4 सितंबर 1964 को जबलपुर में पैदा हुए आदेश श्रीवास्तव ने मशहूर संगीतकार आरडी बर्मन और राजेश रोशन के लिए ड्रमर की भूमिका के साथ अपनी शुरुआत की.

अमिताभ बच्चन से भी थी अच्छी यारी 100 से भी ज्यादा फिल्मों को आदेश ने अपने संगीत से सजाया. उनकी आवाज भी इतनी रूहानी की माइक पर जब उनकी आवाज गूंजती तो लोग उनके दीवाने हो जाते. अमिताभ बच्चन से 22 साल छोटे आदेश का उनसे ऐसा याराना था कि उनके बाद के करियर की कई सारी फिल्में लाल बादशाह, दीवार, मेजर साहब, बाबुल, बागवान, आंखें, कभी खुशी कभी गम के गानों को अपनी संगीत से आदेश ने ही सजाया.

आदेश श्रीवास्तव के मशहूर गाने 'क्या अदा क्या जलवे तेरे पारो', 'सोना सोना', 'शाबा शाबा', 'नीचे फूलों की दुकान', 'मोरा पिया', 'मैं यहां तू वहां' और 'चली चली फिर चली चली' जैसे गाने को अपनी संगीत की धुन से संवारने वाले इस संगीतकार के बारे में कौन समझ सकता था कि वह अपने अंदर कितना दर्द छुपाए हुए हैं.

इलाज के लिए नहीं बचे थे पैसे इतने सारे हिट गाने भी उनके काम नहीं आए क्योंकि कैंसर का इलाज कराने के लिए अंतिम समय में उनके पास पैसे तक नहीं थे. कैंसर से जूझ रहे आदेश हमेशा अपनी पत्नी से शिकायत करते कि इस बीमारी ने उन्हें इतना टॉर्चर नहीं किया, जितना लोगों के व्यवहार ने किया है. उन्हें अंतिम समय तक यह शिकायत रही कि बीमारी के दौरान ना तो उनकी किसी ने खबर ली और ना ही कोई मिलने आया.

आदेश श्रीवास्तव को हुआ कैंसर साल 2010 जब आदेश की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी फिर मेडिकल जांच के दौरान सामने आया कि उन्हें ब्लड कैंसर है. उनका इलाज शुरू हुआ और जीवट आदेश ने कुछ समय में इस गंभीर बीमारी को मात दे दी. इसके कुछ समय बाद ही उनको दोबारा कैंसर हो गया. दूसरी बार भी आदेश ने इस बीमारी को हराया. लेकिन, कैंसर तो मानो उन्हें उनके चाहने वालों से दूर ले जाने के लिए ही आया था.

तीसरी बार हुआ कैंसर और चल बसे सिंगर इस बीमारी ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और तीसरी बार फिर से उन्हें कैंसर की बीमारी ने जकड़ लिया. 42 दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जंग लड़ते हुए उन्होंने आखिर हार मान ली और 5 सितंबर को उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली.

इनपुट: एजेंसी

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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