US- इजरायल विरोधी प्रदर्शनों के पीछे चीनी साजिश, मामले में क्यों हुई भारत की एंट्री?

Chinese Propaganda behind Anti Israel Protest in US: क्या भारत में चीन समर्थक गतिविधियों और अमेरिका में अचानक बढ़े फिलिस्तीन समर्थकों के इजरायल विरोधी प्रदर्शनकारियों को हो रही फंडिग में कोई समानता है? कुछ अमेरिकी रिपोर्ट्स के मुताबिक इसका जवाब 'ह

4 1 28
Read Time5 Minute, 17 Second

Chinese Propaganda behind Anti Israel Protest in US: क्या भारत में चीन समर्थक गतिविधियों और अमेरिका में अचानक बढ़े फिलिस्तीन समर्थकों के इजरायल विरोधी प्रदर्शनकारियों को हो रही फंडिग में कोई समानता है? कुछ अमेरिकी रिपोर्ट्स के मुताबिक इसका जवाब 'हां' है, और उस कॉमन फैक्टर का नाम US कारोबारी नेविल रॉय सिंघम है. जिस पर चीन से पैसा लेकर भारत और अमेरिका दोनों जगह बीजिंग का प्रोपेगेंडा फैलाने का आरोप है. पूरे मामले में अब भारत की एंट्री हो गई है. भारतीय खुफिया एजेंसियां भी सिंघम की कुंडली खंगाल रही हैं. आखिर क्यों हो रहा है ऐसा? आइए बताते हैं.

अमेरिका में बढ़े इजयरायल विरोधी प्रदर्शनों के पीछे चीन?

नेविल रॉय सिंघम अगस्त 2023 में पहली बार तब सुर्खियों में आया था, जब एक अमेरिकी अखबार ने यह खुलासा किया था कि सिंघम की कंपनी चीन सरकार से फंड लेकर पूरी दुनिया में उसके सुनियोजित प्रोपेगंडा को फैला रही है. इस रिपोर्ट से कई देशों में हंगामा मच गया. इस वजह से अमेरिका के अवाला कई देशों में इस आरोप की जांच हो रही है. भारत का नाम आया तो नई दिल्ली ने भी जांच का फैसला लिया. जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पहली बार सीधे तौर पर सिंघम को पूछताछ के लिए समन जारी किया है.

सिंघम की भारत में भूमिका की जांच

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 16 नवंबर को ऑनलाइन समाचार पोर्टल न्यूज़क्लिक से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के संबंध में नेविल रॉय सिंघम को पूछताछ के लिए बुलाया. सिंघम पर न्यूज वेबसाइट न्यूज़क्लिक को फंडिंग कर भारत में चीन का प्रोपेगेंडा फैलाने का आरोप है.

सिंघम अपने ही देश की खुफिया एजेंसियों के निशाने पर कैसे आया. वो आपको बताएं, इससे पहले आपको बताते हैं कि कौन है ये सिंघम?

1954 में अमेरिका में जन्मा नेविल रॉय सिंघम एक कारोबारी है. उसके पिता आर्चीबाल्ड विक्रमाराजा सिंघम श्रीलंका मूल के थे. कॉलेज में पढ़ाई के दौरान सिंघम अमेरिका के एक मजदूर संगठन रिवोल्यूशनरी ब्लैक वर्कर्स लीग में शामिल हुआ, जहां उसने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया. ये लीग वामपंथी विचारधारा से जुड़ी थी. कुछ समय बाद सिंघम पढ़ाई पूरी करने हावर्ड यूनिवर्सिटी पहुंचा. वहां से लौटकर उसने 1980 में अपनी कंसलटेंसी फर्म थॉटवर्क की स्थापना की.

सिंघम का चीन से लिंक

2001 से 2008 तक सिंघम ने चीनी कंपनी हुआवेई के लिए बतौर एक रणनीतिक तकनीकी सलाहकार के रूप में काम किया. इसके बाद सिंघम ने जमकर तरक्की की. आगे चलकर उसकी कंपनी ने माइक्रोसॉफ्ट, ओरेकल और द गार्जियन जैसे कंपनियों को टेक सलाह देना शुरू किया. सिंघम की कंपनी ने सार फोकस चीन पर किया और अपनी कंपनी का मुख्यालय यहीं शिफ्ट कर दिया. कंपनी के चीन शिफ्ट करने के पीछे एक बड़ी वजह सिंघम का मार्क्सवादी विचारधारा का समर्थक होना मानी जाती है. फिलहाल थॉटवर्क 30 से ज्यादा कंपनियों के साथ काम एक्टिव है. जिनमें बैंक और कुछ बड़े मीडिया हाउस भी शामिल हैं.

अमेरिका में सिंघम एक संस्था 'द पीपुल्स फोरम' के साथ अपने कनेक्शन को लेकर सुर्खियों में हैं. जिसने 7 अक्टूबर को हमास आतंकवादियों द्वारा 1200 इजरायलियों की हत्या के बाद से गाजा पर इजरायल के हमले के खिलाफ विरोध मार्च आयोजित किया. अमेरिका में इजरायल विरोधी कई बड़े प्रदर्शनों के पीछ 'ऑर्गेनिक' और 'पीपुल्स फोरम' का हाथ है. जिनकी फंडिग चीन से होती है.

अमेरिका में एक लाख से ज्यादा लोग प्रदर्शनों में उतरे

अमेरिका और अमेरिकी लोगों का इजरायल और यहूदियों से प्रेम जगजाहिर है. दोनों पारंपरिक तौर पर एक दूसरे के पूरक है, आप इसे चोली दामन का साथ भी कह सकते हैं. इसके बावजूद जब अचानक से अमेरिका में इजरायल विरोधी प्रदर्शन शुरू हुए तो खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हुए. इन प्रदर्शनों में चीन की भूमिका और उसकी ताकत को कुछ इस तरह से समझा जा सकता है कि अमेरिका में एक लाख से ज्यादा लोग उस संस्था द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए जो फिलिस्तीन को समर्थन देने के नाम पर निकाले गए थे. इसके बाद कुछ लोगों ने ऐसे घटनाक्रमों को हमास से हमदर्दी के रूप में जोड़ कर देखा.

नेविल रॉय सिंघम, पीपुल्स फोरम और इजरायल विरोधी प्रदर्शन

नेविल रॉय सिंघम, द पीपुल्स फोरम के लिए फंडिंग का मुख्य स्रोत रहा है. ये संगठन श्रमिक वर्ग और सर्वहारा लोगों की आवाज उठाने के लिए जाना जाता है.

द फ्री प्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिंघम और उनकी पत्नी जोडी ने 2017 से 2022 तक द पीपुल्स फोरम को 20.4 मिलियन डॉलर से अधिक का दान दिया. ये आकंड़ा पब्लिक डोमेन में है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि यह पैसा फर्जी संगठनों और सलाहकार समूहों के माध्यम से पीपुल्स फोरम में भेजा जाता था.

एक रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में 'पीपुल्स फोरम' संगठन की कुल संपत्ति 13.6 मिलियन डॉलर थी और इसमें 13 लोग काम करते थे. 17 नवंबर को, इस संगठन ने फ़िलिस्तीन समर्थक कार्यकर्ताओं द्वारा न्यूयॉर्क में फॉक्स न्यूज़ के मुख्यालय पर प्रदर्शन करने का वीडियो साझा किया. पीपुल्स फोरम उन सात संगठनों में से एक था, जिन्होंने 17 नवंबर को 'फ़िलिस्तीन बचाओ' मुहिम के तहत चुन चुन कर कुछ लोगों को निशाना बनाया गया.

इसी पीपुल्स फोरम ने 16 नवंबर को आरोप लगाया कि फॉक्स न्यूज, फ्री प्रेस और वाशिंगटन एग्जामिनर जैसे नरसंहार समर्थक मीडिया हाउस ने फिलिस्तीन समर्थकों को डराने और उनका मुंह बंद करने के लिए पीपुल्स फोरम और फिलिस्तीन सॉलिडैरिटी मूवमेंट पर काउंटर अटैक किया.

इस फोरम ने एक्स (पहले ट्विटर) पर गाजा पर इजरायल के हमलों को अमेरिकी सरकार द्वारा समर्थित हमले बताते हुए लिखा, 'इस समय इजरायल गाजा में अल-शिफा अस्पताल पर रेड कर रहा है, जहां हजारों मरीज और चिकित्सा कर्मचारी घिरे हैं. सबसे अधिक संख्या में नागरिकों को हताहत करने के उद्देश्य से की जा रही इस अनवरत हिंसा को पूरी तरह से अमेरिकी सरकार द्वारा मदद की जा रही है. यह नरसंहार है.'

भारत में सिंघम की भूमिका की जांच

आपको बताते चलें कि कुछ दिन पहले भारत में न्यूजक्लिक के कर्ता-धर्ताओं पर रेड हुई थी. न्यूजक्लिक पर चीनी प्रोपेगैंडा फैलाने के बदले पैसे लेने का आरोप है. न्यूजक्लिक को खासतौर पर सिंघम की ओर से पैसे मिलने का आरोप है. पिछले साल भी ED ने सिंघम को समन जारी किया था, लेकिन तब चीनी अधिकारियों ने तब यह समन स्वीकार करने से मना कर दिया था. न्यूजक्लिक मामले में सुनवाई के दौरान दिल्ली कोर्ट की ओर से चीनी अदालत के नाम एक फॉर्मल रिक्वेस्ट जारी की गई. इसके बाद ED ने सिंघम के खिलाफ यह कार्रवाई की.

ऐसे में समझा जा सकता है कि सिंघम भारत के साथ-साथ अमेरिकी एजेंसियों के निशाने पर क्यों है.

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

LiveElection Results : रुझानों में कांग्रेस से छिन रही राजस्थान की सत्ता, तेलंगाना में पहली बार केसीआर आउट?

विधानसभा चुनाव ​परिणाम 2023 LIVE: मध्य प्रदेश, राजस्थान,

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now