Maldives asks India to withdraw troops: श्रीलंका को बर्बाद करने की साजिश रचने के बाद अब 'ड्रैगन' यानी चीन की बुरी नजर मालदीव पर है. मालदीव के चुनाव में इस बार चीन समर्थक कैंडिडेट मुइज्जू की जीत हुई है, इसलिए उन्होंने शपथ लेते ही भारत को तेवर दिखाए हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मुइज्जू अपने चुनाव प्रचार के दौरान से ही मालदीव से भारतीय सेना को हटाए जाने की बात लगातार कर रहे थे. मुइज्जू को शपथ लिए कुछ घंटे ही बीते थे, कि मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय से जारी एक बयान में यह कहा गया है कि मालदीव सरकार ने औपचारिक रूप से भारत से मालदीव से अपने सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने का अनुरोध किया है.
मालदीव में दिमाग लगा रहा चीन
चीन अपनी विस्तारवादी नीति के लिए पूरी दुनिया में कुख्यात है. भारत, भूटान, नेपाल, ताइवान, श्रीलंका, मालदीव से लेकर फिलीपींस तक अपने हर पड़ोसी की जमीन या समुद्री प्राकतिक संसाधान हड़पना चाहता है. आज की तारीख में भारत के आगे चीन की चालबाजी चल नहीं पाती, ऐसे में बौखलाया ड्रैगन पाकिस्तान और अन्य देशों के कंधे पर बंदूक रखकर भारत पर निशाना लगाना चाहता है. इस कड़ी में वो श्रीलंका को लोन के जाल में फंसाकर उसका एक बंदरगाह का नियंत्रण चीनी कंपनी के हाथ में दिला चुका है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू ने शनिवार (18 नवंबर) को राष्ट्रपति कार्यालय में भारत सरकार के मंत्री किरेन रिजिजू से मुलाकात के दौरान औपचारिक रूप से ये अनुरोध किया है.
भारतीय सेना की उपस्थिति खत्म करना चाहते थे मुइज्जू
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू मालदीव के नए राष्ट्रपति के एक कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व करने पहुंचे थे. गौरतलब है कि निर्वाचित होने से पहले मुइज्जू ने कहा था कि मालदीव से भारतीय सेना की उपस्थिति को जल्द से जल्द खत्म करना उनकी पहली प्राथमिकता है. जानकारी के मुताबिक भारत के 70 फौजी वहां मौजूद है. मुइज्जू ने 17 नवंबर को शपथ लेते ही अपनी बात को दोहराया कि वो यह तय करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं कि मालदीव अपनी स्वतंत्रता और संप्रभुता में किसी तरह की भी विदेशी सैन्य मौजूदगी नहीं चाहता है. मुइज्जू मालदीव के आठवें राष्ट्रपति हैं. जो बीजिंग की पढ़ाई पट्टी के हिसाब से चल रहे हैं.
जबकि मुइज्जू के पूर्ववर्ती राष्ट्रपति भारत से अच्छे रिश्ते रखने पर फोकस करते थे. इस वजह से 2018 के चुनाव में विजेता रहे इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शपथ ग्रहण में तत्कालीन राष्ट्रपति को बधाई देने पीएम मोदी पहुंचे थे.
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