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रंगों का त्यौहार होली। सृष्टि ने किया है अनुपम श्रृंगार। प्रकृति रंगों से सराबोर। पीली-पीली सरसों झूम रही हैं। हल्की-हल्की धूप सुहासिनी हैं। रंगबिरंगे फूलों की कसीदाकारी लुभा रही हैं। हरियाली चूनर ओढ़ धरती मुस्कुरा रही है। नीलाभ गगन की नीलिमा मन मोह रही है।
सजी -धजी, सतरंगी शोभा, आह्लादित आभा, विलसित विभा हरदिल को हर्षित कर रही हैं। लहराती सुरभित पवन, महकती बगियां, रंगबिरंगी तितलियां, गुनगुनाते भ्रमर उमंग, उल्लास ले आये हैं।
प्रकृति की बाहों में झूलता, झूमता मानव मन पुलकित हो रहा हैं। नव जीवन, नव उमंग दीप आलोकित हो, उजियार सुशोभित कर रहे हैं धरा गगन। उन्मुक्त, अलमस्त धारा कलकल करती निरंतर आगे बढ़ने को बेताब है। चट्टानों से बतियाती, हरियाली को स्नेह प्रदान करती, जीवनदायिनी जलधारा। मनोहारी समां बंधा हैं चारो ओर। ऐसे में होली का रंगारंग त्यौहार मनाता मनुज शुकराना अदा करना चाहता हैं, परम प्रभु परमेश्वर का, प्रकृति का, पर्यावरण का। रंगारंग त्यौहार मिटा देता हैं, सारे क्लेश, दुखदर्द न रहे शेष। हरदिल खुशियां अपार हो, भावविभोर कणकण हो। पलपल हंसी-ठिठोली, थोडासा होली का हुड़दंग हो। प्रेम की रेशम डोर से बंधे रहे, अनुरागी मन मतवाला झूमता रहे। मनमयूर खुशी से थिरकता रहे। पंख फैला, करे नर्तन। हो धुंद झूमे, गाये गीत प्रीत के। लावण्या रूपमती, रंगों में रंगी, आये इतराती, प्रेमरस धार छितराती। पिया मिलन बेकरार। पीयूजी करते प्यार का इजहार। भर भर शर्म से गुलाबी गालों पर मलते गुलाल। मौसम आशिकाना हो, थोड़ी मस्ती, धमाचौकड़ी हो। सब मिल गोकुल सी रास रचायें। भेदभाव न हो किसी के दिल में, प्रेमभाव बहरे, जीवन सुखमय, आनंददायी होवे। अश्लीलता पर अंकुश हो। उन्माद बेकाबू न हो। भंग और ढोल, मंजीरा, चंग हो, धड़कन साज सुरीला, थिरकन रंगीली हो।
होली का पावन पर्व, रंगारंग हर्ष लाया।
दुराचार का दहन, सद्भावना पुष्प खिलाने आया।
आओ खेले होली,
रंगारंग शुभकामनाओं से
हे प्रभु, भर दे झोली।
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