25 दलों को न्योता मंजूर! संसद उद्घाटन पर संग्राम के बीच सरकार के साथ क्यों आए ये 7 गैर-NDA दल?

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देश का नया संसद भवन बनकर तैयार है. नया संसद भवन हाईटेक सुविधाओं से लैस है. पीएम मोदी 28 मई को इसका उद्घाटन करेंगे. कांग्रेस समेत विपक्ष के तमाम दलों ने पीएम मोदी के हाथों उद्घाटन को मुद्दा बनाकर सियासी महाभारत छेड़ दी है. विपक्ष राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नए संसद भवन का उद्घाटन कराने की मांग कर रहा है.

हालांकि, कुछ विपक्षी दल सरकार के समर्थन में भी खड़े नजर आ रहे हैं. यानी संसद के उद्घाटन के मुद्दे पर विपक्ष दो फाड़ हो गया है. जहां 25 दलों ने सरकार के न्यौते को स्वीकार किया है. तो वहीं 21 दलों ने खुलेआम उद्घाटन समारोह का बायकॉट करने का ऐलान कर दिया है. लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि 7 दल ऐसे हैं, जिन्होंने विपक्षी एकता को झटका देते हुए इस मुद्दे पर मोदी सरकार का समर्थन दिया है. मोदी सरकार के इस भव्य समारोह में विपक्षी एकजुटता में दरार देखकर सत्ताधारी NDA का मनोबल निश्चित तौर पर बढ़ने वाला है.

संसद भवन के उद्घाटन समारोह में 25 दलों ने शामिल होने की बात कही है. उद्घाटन की तारीख के बाद जिस तरह से विपक्ष ने विरोध का बिगुल फूंका था, उसके बाद अब 25 दलों का समर्थन मिलना बीजेपी के लिए राहत वाली बात है. मोदी सरकार का न्योता स्वीकार करने वाले जो 25 दल हैं, उनमें 7 गैर एनडीए दल हैं. बहुजन समाज पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, जनता दल (सेक्यूलर), लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास), वाईएसआर कांग्रेस, बीजू जनता दल और तेलुगू देशम पार्टी ने समारोह में शामिल होने की बात कही है. इन 7 पार्टियों के लोकसभा में 50 सदस्य हैं.

इन दलों ने न्योता किया स्वीकार

बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट), नेशनल पीपल्स पार्टी, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, अपना दल - सोनीलाल, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया, तमिल मनीला कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, आजसू (झारखंड), मिजो नेशनल फ्रंट, वाईएसआरसीपी, टीडीपी, बीजद, बीएसपी, जेडीएस, शिरोमणि अकाली दल शामिल हैं.

नंबर गेम में आगे निकली मोदी सरकार

- 25 पार्टियां संसद के उद्घाटन समारोह में शामिल होंगी. इनके लोकसभा में 68% यानी 376 सांसद हैं. जबकि राज्यसभा में 55% यानी 131 सांसद हैं. समर्थन करने वाली पार्टियां 18 राज्यों यानी 60% राज्यों में सत्ता में हैं.

इन 21 दलों ने किया बायकॉट

21 विपक्षी दलों ने संसद के उद्घाटन का बायकॉट का ऐलान किया है. इन दलों में कांग्रेस, डीएमके (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम), AAP, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रालोद, टीएमसी, जदयू, एनसीपी, सीपीआई (एम), आरजेडी, AIMIM, AIUDF (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मरुमलार्ची द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) शामिल हैं.

- इन 21 पार्टियों के लोकसभा में 31% यानी 168 सांसद हैं. वहीं, राज्यसभा में 104 सांसद यानी 45% विरोध में हैं. जबकि विरोध कर रहे दलों की 40% यानी 12 राज्यों में सरकार है.

क्यों मोदी सरकार के समर्थन में आए 7 गैर NDA दल?

बसपा: बसपा का गठन 1984 में हुआ था. दलित बसपा का प्रमुख वोट बैंक माना जाता है. इससे पहले तक यूपी में यह कांग्रेस का वोटबैंक हुआ करताथा. ऐसे में बसपा को लगताहै कि अगर वह कांग्रेस के साथ खड़ी होती है, तो उसकी बची हुई सियासी जमीनी भी खतरे में पड़ सकती है. कर्नाटक में दलित वोट कांग्रेसकी तरफ लौटा है, जिसे देखते हुए मायावती सतर्क हो गई हैं. ऐसे में कांग्रेस के साथ किसी भी तरह से बसपा नजदीकी नहीं दिखाना चाहती.

वहीं, संसद भवन उद्घाटन का बायकॉट करने वाले दलों में समाजवादी पार्टी भी शामिल है. यूपी में सपा और बसपा एक दूसरे की प्रतिद्वंदी रही है. ऐसे में बसपा भी उसी पाले में खड़े होकर यह सियासी संदेश नहीं देना चाहती है कि वो कांग्रेस और सपा के नक्शेकदम पर चल रही है. इसलिए संसद भवन के उद्घाटन में शामिल होने का फैसला कर सभी का चौंका दिया है.

बसपा पहले भी बीजेपी के साथ मिलकर यूपी में सरकार बना चुकी है और 2002 के गुजरात विधानसभाचुनाव में मायावतीनरेंद्र मोदी के लिए प्रचार भी कर चुकी हैं. ऐसे मेंबसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रधानमंत्री द्वारा किए जाने वाले उद्घाटन का न सिर्फ समर्थन किया है, बल्कि उद्घाटन को बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी का हक भी बताया है.मायावती ने अपने बयान में कहा कि जिस सरकार ने इस नए संसद भवन को बनवाया, उसके उद्घाटन का हक भी उसका ही है.उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी देश व जनहित के मुद्दों पर हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उसका समर्थन करती आई है.

शिरोमणि अकाली दल: शिरोमणि अकाली दल लंबे वक्त तक एनडीए में रहा है. पिछले साल किसानों के मुद्दे पर अकाली दल ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था. इसके बाद पंजाब चुनाव में बीजेपी और अकाली दल अलग अलग चुनाव लड़े थे. इस चुनाव में दोनों को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा. अब किसानों का मुद्दा खत्म हो गया है और अकाली दल और बीजेपी 2024 की तैयारियों में जुट गए हैं. ऐसे में अकाली दल ने भविष्य की राजनीति को ध्यान में रखकर बीजेपी के साथ आने का फैसला किया है.

लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास): चिराग पासवान के नेतृत्व वाली पार्टी लोजपा ने भी मोदी सरकार का समर्थन किया है. चिराग पासवान लगातार नीतीश कुमार के खिलाफ हमलावर रहे हैं. उन्हें नीतीश-तेजस्वी के गठबंधन वाली सरकार में भी जगह नहीं मिली है. वहीं नीतीश बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं. ऐसे में पिछले कुछ दिनों में चिराग पासवान की नजदीकी बीजेपी से बढ़ी है. वे पहले भी पीएम मोदी की खुलकर तारीफ करते रहे हैं. माना जा रहा है कि 2024 में वे बीजेपी का समर्थन भी कर सकते हैं.

वाईएसआर कांग्रेस: आंध्र के सीएम जगन मोहन रेड्डी ने कांग्रेस से अलग होकर ही अपनी पार्टी वाईएसआर का गठन किया था. इसके बाद उन्होंने राज्य में सरकार बनाई. ऐसे में वे भले ही एनडीए में शामिल न हों, लेकिन कई मुद्दों पर मोदी सरकार का समर्थन करते रहे हैं. इतना ही नहीं वे ऐसे विपक्षी मुद्दों पर भी किनारा करते रहे हैं, जहां कांग्रेस खड़ी होती रही है.

बीजद: ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजद प्रमुख नवीन पटनायक ने पिछले दिनों विपक्षी एकता में जुटे नीतीश कुमार से मुलाकात की थी. हालांकि, इस मुलाकात के बाद उन्होंने साफ कर दिया था कि वे लोकसभा और विधानसभा में अकेले चुनाव लड़ेंगे. पटनायक की पूरी राजनीति कांग्रेस के खिलाफ रही है. इतना ही नहीं पटनायक ऐसे नेता माने जाते हैं, जिनका पूरा फोकस ओडिशा की राजनीति पर ही रहा है. केंद्रीय मुद्दों से वे अक्सर दूरी बनाकर चलते हैं. यही वजह है कि उन्होंने उद्घाटन समारोह में शामिल होने का ऐलान किया है.

तेलुगू देशम पार्टी: टीडीपी चीफ चंद्रबाबू नायडू ने कहा है कि वे संसद के उद्घाटन में शामिल होंगे. चंद्रबाबू नायडू की पार्टी एनडीए का हिस्सा रही है. हालांकि, 2019 लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था. लेकिन चर्चा है कि 2024 चुनाव में वे फिर से एनडीए के साथ आ सकते हैं.

जनता दल (एस): कर्नाटक में हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए हैं. इन चुनावों में पिछली बार की किंगमेकर रही जनता दल (एस) को बड़ा झटका लगा है. वहीं, कांग्रेस न सिर्फ पूर्ण बहुमत में सरकार बनाने में सफल रही है, बल्कि पार्टी ने जेडीएस के वोट बैंक में भी सेंध लगाया. ऐसे में अब जेडीएस को डर है कि अगर वह कांग्रेस के साथ खड़ी होती है, तो उसके बचे हुए वोट बैंक में भी कांग्रेस सेंध लगा सकती है. इतना ही नहीं कर्नाटक में जनता दल (एस) अब बीजेपी की तरह ही विपक्ष में है. ऐसे में पार्टी ने संसद के मुद्दे पर बीजेपी के साथ खड़े होने का फैसला किया है.

समर्थन में आए दलों ने क्या तर्क दिए?

जनता दल (सेक्यूलर) के सुप्रीमो और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने कहा कि वह 28 मई को नई दिल्ली में नए संसद भवन के उद्घाटन में भाग लेंगे. उन्होंने कहा कि यह देश की संपत्ति है और टैक्सपेयर्स के पैसे से बनाया गया है. उन्होंने विरोध करने वाली पार्टियों से पूछा कि क्या यह बीजेपी और आरएसएस का कार्यालय है जिसके उद्घाटन का बहिष्कार करना है? यह किसी का निजी कार्यक्रम नहीं है, यह देश का कार्यक्रम है.

शिरोमणि अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा, नए संसद भवन का उद्घाटन देश के लिए गर्व की बात है, इसलिए हमने फैसला किया है कि शिअद पार्टी उद्घाटन समारोह में शामिल होगी. हम विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए मुद्दों से सहमत नहीं हैं.

मेरी पार्टी ऐतिहासिक कार्यक्रम में शामिल होगी- रेड्डी

आंध्र के सीएम जगन मोहन रेड्डी ने कहा, संसद, लोकतंत्र का मंदिर होने के नाते, हमारे देश की आत्मा को दर्शाती है और हमारे देश के लोगों और सभी राजनीतिक दलों की है. ऐसे शुभ आयोजन का बहिष्कार करना लोकतंत्र की सच्ची भावना के अनुरूप नहीं है. सभी राजनीतिक मतभेदों को दूर करते हुए, मैं अनुरोध करता हूं कि सभी राजनीतिक दल इस शानदार आयोजन में शामिल हों. लोकतंत्र की सच्ची भावना में मेरी पार्टी इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में शामिल होगी.

क्या कहा मायावती ने?

मायावती ने कहा, केन्द्र में पहले चाहे कांग्रेस पार्टी की सरकार रही हो या अब वर्तमान में बीजेपी की, बीएसपी ने देश व जनहित निहित मुद्दों पर हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनका समर्थन किया है. 28 मई को संसद के नये भवन के उद्घाटन को भी पार्टी इसी संदर्भ में देखते हुए इसका स्वागत करती है.

उन्होंने कहा, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा नए संसद का उद्घाटन नहीं कराए जाने को लेकर बहिष्कार अनुचित. सरकार ने इसको बनाया है इसलिए उसके उद्घाटन का उसे हक है. इसको आदिवासी महिला सम्मान से जोड़ना भी अनुचित. यह उन्हें निर्विरोध न चुनकर उनके विरुद्ध उम्मीदवार खड़ा करते वक्त सोचना चाहिए था.

मायावती ने कहा, देश को समर्पित होने वाले कार्यक्रम अर्थात नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का निमंत्रण मुझे प्राप्त हुआ है, जिसके लिए आभार और मेरी शुभकामनायें लेकिन पार्टी की लगातार जारी समीक्षा बैठकों सम्बंधी अपनी पूर्व निर्धारित व्यस्तता के कारण मैं उस समारोह में शामिल नहीं हो पाऊंगी.

चंद्रबाबू नायडू ने मोदी सरकार को दी बधाई

चंद्रबाबू नायडू ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में अपनी पार्टी के शामिल होने की बात कही. उन्होंने ट्वीट कर कहा, हमारा नया संसद भवन बना है, मैं एक हर्षित और गौरवान्वित राष्ट्र में शामिल होकर पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार और हर वह हाथ जिसने इस ऐतिहासिक ढांचे को बनाने में योगदान दिया है उनको बधाई देता हूं. मैं कामना करता हूं कि नया संसद भवन परिवर्तनकारी नीति और निर्णय लेने का स्थान बने. आजादी के 100 साल पूरे होने पर 2047 तक गरीबी मुक्त भारत का सपना पूरा हो जाएगा, जहां अमीर और गरीब के बीच की खाई पाट दी जाएगी.

बीजद ने कहा, पार्टी का हमेशा मानना रहा है कि ये संवैधानिक संस्थाएं किसी भी मुद्दे से ऊपर होनी चाहिए, जो उनके पवित्रता और सम्मान को प्रभावित कर सकता है. इस तरह के मुद्दों पर बाद में हमेशा बहस हो सकती है. इसलिए बीजेडी इस महत्वपूर्ण अवसर का हिस्सा होगी.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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