102 साल का स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अपने जिंदा रहने का सर्टिफिकेट जमा नहीं करा सका तो उसकी पेंशन रोक दी गई। बुजुर्ग अपनी फरियाद लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा। अदालत ने सारे मामले पर गौर करने के बाद मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स को हिदयत दी कि वो क्षति पूर्ति के साथ सारी पेंशन बुजुर्ग को उपलब्ध कराए। कोर्ट का कहना था कि सरकार यह कोई इनाम नहीं दे रही है। ये याचिकाकर्ता का अधिकार है।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स से जवाब तलब किया तो सरकार ने कहा कि इसमें उसका कोई हाथ नहीं है। ये सीधे सीधे बैंक से जुड़ा मसला है। बैंक की तरफ से पेश वकील ने जब कहा कि लाइफ सर्टिफिकेट के बगैर वो पेंशन जारी नहीं कर सकते। इस पर हाईकोर्ट का कहना था कि अगर कोई बुजुर्ग शख्स बैंक में नहीं पहुंच पा रहा है तो बैंक की ड्यूटी बनती है कि उसके दस्तावेज घर जाकर एकत्र करे। उनका कहना था कि महज इस वजह से पेंशन रोकी गई क्योंकि शख्स अपने जिंदा रहने का प्रमाण पत्र नहीं दे सका था। हमें ये ध्यान रखना होगा कि याचिकाकर्ता की उम्र 100 साल के आसपास है। वो न केवल शारीरिक तौर बल्कि मानसिक तौर पर भी सक्रिय नहीं है। लिहाजा नरमी बरतनी चाहिए थी।
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