पंजाब की राजनीति के स्तंभ और पांच बार मुख्यमंत्री रहे शिरोमणि अकाली दल नेता प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार की रात 95 साल की आयु में निधन हो गया. बुधवार को प्रकाश सिंह बादल का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए चंडीगढ़ के सेक्टर-28 स्थित पार्टी कार्यालय में रखा जाएगा. इस दौरान शिरोमणि अकाली दल के कार्यालय में गणमान्य लोग, पार्टी के कार्यकता सहित सभी लोग उनका अंतिम दर्शन कर पाएंगे. पार्टी कार्यालय में उनके पार्थिव शरीर को 26 अप्रैल की सुबह 10 बजे से 12 बजे दोपहर तक दर्शन के लिए रखा जाएगा. इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को चंडीगढ़ से पूर्व सीएम के पैतृक गांव ले जाया जाएगा. प्रकाश सिंह बादल के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार 27 अप्रैल को दोपहर 1 बजे किया जाएगा.
भारतीय राजनीति के कद्दावर नेता प्रकाश सिंह बादल ने सीमावर्ती राज्य पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में पहली बार 1970 में शपथ ली थी. उस समय उनकी उम्र 43 साल की थी. उस समय वह पंजाब के सबसे कम उम्र के सीएम बने थे. इसके बाद वर्ष 2012 में बादल प्रदेश के सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री बने थे. एक मार्च 2007 से 2017 के बीच उन्होंने दो बार पंजाब के सीएम का कार्यभार संभाला. वह केंद्र सरकार में भी मंत्री बनाए गए थे. करीब आठ साल पहले यानी 2015 में मोदी सरकार ने उन्हें 2015 में देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया था. पंजाब के पूर्व सीएम को पंजाब में हिंदुओं और सिखों के बीच एका कायम करने के लिए जाना जाता है.
प्रकाश सिंह बादल ने सतलुज यमुना लिंक नहर के खुलकर विरोध किया था. वह नहीं चाहते थे एसवाईएल से हरियाणा को पानी मिले. एसवाईएल से पानी साझा करना आज भी दोनों राज्यों के बीच एक अहम मुद्दा बना हुआ है. एसवाईएल परियोजना का उग्र विरोध करने और उसके खिलाफ आंदोलन चलाने के लिए 1982 में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था. हरियाणा को पानी देने के खिलाफ वह न केवल मुखर रहे बल्कि् पंजाब विधानसभा में उनके नेतृत्व में विवादास्पद पंजाब सतलुज यमुना लिंक नहर विधेयक 2016 भी पारित कराया गया था.
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