शिवसेना में टूटफूट के बाद उद्धव ठाकरे फिर से खुद को मजबूत करने की कोशिश में हैं। बीएमसी चुनाव से पहले उन्होंने प्रकाश अंबेडकर से हाथ मिलाया है। वंचित बहुजन अघाड़ी के साथ तालमेल की घोषणा खुद उद्धव ने की। महाराष्ट्र की सियासत में ये बड़ा घटनाक्रम है। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश के साथ उद्धव की जुगलबंदी की बात पर दो महीने से चर्चा चल रही थी। लेकिन इस पर मुहर अब लगी है। हालांकि अभी ये साफ नहीं हो सका है कि कांग्रेस और एनसीपी इस नए गठजोड़ का हिस्सा बनने जा रही हैं या नहीं?
नए गठजोड़ की घोषणा करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि आज 23 जनवरी है और बाला साहेब ठाकरे का जन्म दिन भी। उनका कहना था कि वो अब प्रकाश अंबेडकर के साथ मिलकर सियासत करेंगे। उनका कहना था कि ये गठबंधन महाराष्ट्र के हित में लिया गया है। उनका कहना था कि प्रकाश और उनके दादा एक साथ मिलकर कई सामाजिक मसलों पर काम कर चुके हैं। वो इस परंपरा को आगे ले जा रहे हैं। प्रकाश अंबेडकर का कहना था कि ये देश में एक नई राजनीति की शुरुआत है। उनका कहना था कि कांग्रेस ने अभी तक उनके गठबंधन में आने की कोई इच्छा जाहिर नहीं की है। लेकिन उन्हें यकीन है कि शरद पवार उनके साथ आएंगे।
शिवसेना में टूट के बाद उद्धव को बीएमसी के चुनाव में अपनी ताकत दिखानी होगी। तभी वो मजबूत होकर उभर सकते हैं। एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना में बड़े पैमाने पर भगदड़ मची। कई बड़े और दिग्गज नेता ठाकरे परिवार से किनारा कर गए। उद्धव ठाकरे को ये बगावत काफी महंगी पड़ी। उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी। तमाम नेता उनसे अलग हुए वो झटका अलग है।
शिवसेना और पिता के नाम का इस्तेमाल करने से भी उनको रोक दिया गया। अंधेरी के उप चुनाव के लिए उन्हें पार्टी का अलग नाम आवंटित किया गया। चुनाव आयोग अभी भी फैसला नहीं कर सका है कि शिवसेना का असली मालिक कौन है। एकनाथ शिंदे भी खुद को शिवसेना और बाला साहेब ठाकरे का सच्चा सिपाही बताकर दावा कर रहे हैं। उद्धव ठाकरे ने पार्टी पर हक के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में भी याचिका दाखिल की थी। इस पर अभी सुनवाई चल रही है।
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