नाराज कर्मचारियों के पंचकूला में जबरदस्त प्रर्दशन के बाद मनोहर लाल खट्टर की सरकार को अपने रुख में नरमी लानी पड़ी है और उसने अगले महीने के शुरू में कर्मचारियों से इस मुद्दे पर बातचीत करने का एलान किया है। इसके लिए सरकार ने आनन-फानन में तीन सदस्यों की समिति बनाने का एलान भी किया है।
हालांकि राज्य सरकार ने बातचीत पर सहमति जताते हुए जो प्रस्ताव कर्मियों को दिया है , उससे लगता है कि वह पुरानी पेंशन योजना और नई पेंशन योजना से इतर कोई बीच का रास्ता निकालने को आतुर है। समझा जाता है कि बीच का रास्ता आंध्र प्रदेश में अप्रैल 2022 में जगनमोहन रेड्डी सरकार की ओर से प्रस्तावित गारंटीड पेंशन योजना से निकलता है।
हालांकि आंध्र में भी इस पेंशन योजना का जबरदस्त विरोध हो रहा है। दरअसल जगनमोहन रेड्डी ने चुनाव से पहले वादा किया था कि यदि उनकी सरकार बनी तो वे पुरानी पेंशन योजना को बहला कर देंगे। वहां के कर्मचारियों ने जगन सरकार पर वादे से मुकरने का आरोप लगाया है।
इधर हरियाणा की पेंशन बहाली संघर्ष समिति हरियाणा ने इसे सिरे से नकार दिया है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें पुरानी पेंशन योजना के अलावा कुछ नहीं चाहिए। कर्मचारियों के कड़े तेवर के कारण हरियाणा सरकार ने इस मामले में मुख्य संजीव कौशल की अध्यक्षता में वित्त सचिव अनुराग रस्तोगी और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी उमाशंकर की तीन सस्दसीय कमेटी बनाई है। साथ ही संघर्ष समिति की ओर से पांच सदस्यीय कमेटी बनाई जाएगी। इन दोनों कमेटियों की पहली बैठक 3 मार्च सुबह चंडीगढ़ सचिवालय में होगी।
सोमवार को पेंशन बहाली संघर्ष समिति हरियाणा के राज्य प्रधान वीरेंद्र धारीवाल के नेतृत्व में 25 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने हरियाणा निवास में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री के साथ आधे घंटे और अधिकारियों के साथ करीब एक घंटे तक चली बैठक में मंथन किया गया।
कर्मचारियों की चेतावनी
समिति के राज्य प्रधान वीरेंद्र धारीवाल का कहना है कि 3 मार्च को बैठक में अगर पुरानी पेंशन बहाली को लेकर सहमति नहीं बनी तो उसी दिन से आंदोलन की घोषणा की जाएगी। समिति ने 3 मार्च को ही अपने जिला और राज्य कार्यकारिणी की बैठक भी चंडीगढ़ में बुलाई है। सरकार के फैसले के बाद ही वह कोई निर्णय लेंगे। उन्हें कोई बीच का रास्ता नहीं, बल्कि ओपीएस चाहिए।
हरियाणा में यह मुुद्दा काफी दिनों से गरमाया हुआ है लेकिन हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के पुरानी पेंशन योजना लागू करने के बाद कर्मचारी आर-पार पर उतर आए। वैसे राज्य सरकार में शामिल जेजेपी ने भी इसे लागू करने का समर्थन कर रखा है। हरियाणा कांग्रेस भी इसकी मांग कर रही है। हिमाचल से पहले कांग्रेस शासित दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने इसे लागू कर दिया है। वहीं पंजाब में भगवंत मान की सरकार भी इसे लागू कर चुका है।
इस संबंध में सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि पुरानी पेंशन योजना को लागू करने से कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित होगा जबकि नई पेंशन योजना से कर्मचारियों को काफी नुकसान हो रहा है। नई पेंशन योजना शेयर बाजार के आधार पर ही दी जाती है। ऐसे में पैसा शेयर बाजार के उतारचढ़ाव के आधार पर मिलता है।
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