सड़क परियोजनाओं पर अमल की निगरानी के लिए तकनीकी सलाहकार की नियुक्ति का फैसला समय की मांग है। यह सलाहकार लागत घटाने के लिए नई तकनीक और सामग्री के उपयोग के मामले में मंत्रालय को सलाह देने का कार्य करेगा। तकनीकी सलाहकार नियुक्त करने के फैसले का एक कारण सड़क निर्माण का लक्ष्य पूरा न हो पाना है। जब कोई परियोजना समय से पूरी नहीं होती तो उससे केवल उसकी लागत ही नहीं बढ़ती, बल्कि लोगों को समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है।
सड़क परियोजनाएं अटकने के कई कारण हैं। कभी जमीन का अधिग्रहण कारण बनता है, कभी केंद्र और राज्य के बीच सहयोग का अभाव और कभी पर्यावरण संबंधी आपत्तियां। कभी-कभी कोई मामला अदालतों में पहुंच जाने के कारण भी अटक जाता है। कई परियोजनाएं तो ऐसी हैं, जो 80-90 प्रतिशत पूरी होने के बाद किसी कारण अटक गई हैं। कुछ माह पहले संसद में यह बताया गया था कि चार सौ से अधिक परियोजनाएं ऐसी हैं, जिनका 95 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है, लेकिन पांच प्रतिशत काम न हो पाने के कारण उन्हें लंबित परियोजनाओं में रखना पड़ा है।
आशा की जाती है कि तकनीकी सलाहकार केवल यही नहीं देखेंगे कि सड़क परियोजनाएं समय पर पूरी हों, बल्कि वे उनकी गुणवत्ता भी सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही तकनीकी सलाहकार से यह भी अपेक्षित है कि वह सड़कों की डिजाइनिंग और इंजीनियरिंग पर भी ध्यान देंगे।
अपने देश में एक बड़ी संख्या में राजमार्ग और एक्सप्रेस-वे ऐसे हैं, जिनका निर्माण सही तरह से नहीं किया गया है। इसके चलते न केवल उनमें यातायात बाधित होता है, बल्कि वे दुर्घटनाओं के गवाह भी बनते हैं। यह ठीक नहीं कि जैसे-जैसे राजमार्ग और एक्सप्रेस-वे बनते जा रहे हैं, वैसे-वैसे सड़क दुर्घटनाओं में हताहत होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ रही है। भारत में सड़क दुर्घटनाओं में प्रतिवर्ष करीब डेढ़ लाख लोग मारे जाते हैं। यह संख्या विश्व में सबसे अधिक है। यह इसलिए चिंताजनक है, क्योंकि भारत में अन्य कई देशों के मुकाबले कहीं कम वाहन हैं।
वैसे तो मार्ग दुर्घटनाओं के कई कारण हैं, लेकिन इनमें एक कारण सड़कों की खराब डिजाइन भी है। इस खराब डिजाइन के कारण कई प्रमुख सड़कों में दुर्घटना बहुल क्षेत्र बन गए हैं। यह सही है कि सड़कों की खराब डिजाइनिंग को ठीक किया जा रहा है, लेकिन प्रश्न यह है कि उनका निर्माण ही सही तरह क्यों नहीं किया जाता? निःसंदेह आवश्यक केवल यह नहीं है कि सड़क परियोजनाएं समय से पूरी हों। इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि रेल, पुल, बिजली, बांध जैसी परियोजनाएं भी समय से पूरी हों। इसके लिए आवश्यक हो तो अन्य मंत्रालयों को भी तकनीकी सलाहकार नियुक्त करने चाहिए। बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाएं समय से पूरी हों, इसकी जितनी चिंता केंद्र सरकार को करनी चाहिए, उतनी ही राज्यों को भी।
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