राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार जिस तरह अपनी इस बात पर कायम हैं कि अदाणी मामले की जांच करने में जेपीसी के स्थान पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति ज्यादा प्रभावी होगी, उससे कांग्रेस और विशेष रूप से राहुल गांधी को झटका लगना तय है। यह राहुल गांधी ही हैं, जो बढ़चढ़कर अदाणी मामले को तूल देने में लगे हुए हैं। कांग्रेस इसी मामले को लेकर विपक्षी दलों को एकजुट करने की भी कोशिश कर रही है, लेकिन शरद पवार के कथन से यह साफ है कि वह इसे ऐसा मुद्दा नहीं मानते, जिस पर सरकार को घेरा जा सके।
यह उल्लेखनीय है कि उन्होंने हिंडनबर्ग की उस रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े किए, जिसने अदाणी समूह पर आरोप लगाए हैं। इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी केवल महाराष्ट्र में ही कांग्रेस की सहयोगी नहीं है, बल्कि वह संप्रग का घटक भी है। कांग्रेस के नेता भले ही शरद पवार के वक्तव्य को उनका निजी बयान बताएं, लेकिन सच तो यही है कि उन्होंने कांग्रेस की ओर से उछाले जा रहे मुद्दे की हवा निकाल दी है। आखिर कांग्रेस के नेता किसी अन्य दल के नेता के कथन को उसका निजी बयान कैसे करार दे सकते हैं?
शरद पवार केवल अपने दल के प्रमुख ही नहीं, बल्कि विपक्षी दल के नेताओं में एक बड़ा नाम भी हैं। उन्होंने जो कुछ कहा, उसे आसानी से खारिज नहीं किया जा सकता। इसलिए और भी नहीं, क्योंकि उनकी इस बात में दम है कि जेपीसी जांच के मुकाबले सुप्रीम कोर्ट की समिति की जांच कहीं अधिक प्रभावी होगी। जेपीसी में केवल सत्तारूढ़ दलों के नेताओं की अधिकता ही नहीं होगी, बल्कि उसका प्रमुख भी सत्ताधारी दल से होगा। इसकी भी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि अभी तक जेपीसी जांच का अनुभव कोई बहुत अच्छा नहीं रहा। उसने जिन मामलों की जांच की, उनमें या तो वह किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी या फिर उसकी ओर से ऐसी रिपोर्ट दी गई, जो आधी-अधूरी रही।
यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि कांग्रेस अदाणी मामले की जेपीसी से जांच की मांग पर इसीलिए बल दे रही है ताकि इस मसले को आगामी आम चुनाव तक राजनीतिक रूप से गर्म रखा जा सके। शरद पवार ने न केवल उसके इरादों पर पानी फेरने का काम किया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह जेपीसी के बजाय सुप्रीम कोर्ट की समिति से जांच के पक्षधर क्यों है? उनके कथन के बाद कांग्रेस के लिए अदाणी मामले को लेकर विपक्ष को एकजुट करना और कठिन हो जाए तो हैरानी नहीं। वास्तव में कांग्रेस की समस्या यही है कि वह ऐसे मुद्दों का चयन नहीं कर पा रही है, जिनके जरिये सरकार को घेरा जा सके और साथ ही जनता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया जा सके।
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