लेकिन ऐसा लगता है कि पाकिस्तान हर वक्त कोई न कोई ऐसी गतिविधि जारी रखना चाहता है, जिससे वह भारत के लिए परेशानी पैदा कर सके और साथ ही अपनी जनता का ध्यान असली समस्याओं से बंटाए रख सके।
अब तक उसका मुख्य हथियार आतंकवादियों और उनके संगठनों को पनाह देना रहा है, जिनके जरिए वह अक्सर भारत में आतंक का माहौल बनाए रखना चाहता है। लेकिन इस मोर्चे पर भारत ने जिस तरह चौकसी बरती है, उसकी वजह से आतंकियों ने भले अपनी हरकतें जारी रखी हैं, मगर उन्हें अपने पांव पसारने में कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली सकी है।
साथ ही आए दिन सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में आतंकी मारे जाते हैं। खासतौर पर जब से कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाया गया, उसके बाद वहां आतंकवाद के खिलाफ एक तरह से स्पष्ट नीति पर अमल किया जा रहा है। जाहिर है, अब आतंकी संगठनों का दायरा और प्रभाव कम होना शुरू हो गया है।
इसी क्रम में आतंकवादी संगठनों और पर्दे के पीछे से उन्हें संचालित करने वालों के सामने एक मुश्किल यह पेश आ रही है कि उन्हें अब स्थानीय आबादी का साथ नहीं मिल पा रहा है। इसकी मुख्य वजह यही है कि कश्मीर के लोग अब तक के तनावपूर्ण माहौल और उसके नुकसान के बारे में पहले के मुकाबले ज्यादा व्यावहारिक तरीके से सोच-समझ रहे हैं। यानी एक तरह से वहां का समाज एक नए ताने-बाने की ओर बढ़ रहा है।
शायद यही वजह है कि प्रत्यक्ष आतंकवाद की रणनीति पर वैश्विक स्तर पर मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान ने अब नए चेहरे में छद्म-युद्ध का सहारा लेने का रास्ता अख्तियार किया है। इस संदर्भ में भारत में सेना के एक वरिष्ठ कमांडर ने मंगलवार को कहा कि कश्मीर में ‘नार्को आतंकवाद’ चिंताजनक स्तर पर रफ्तार पकड़ रहा है। इसके पीछे मुख्य वजह यह है कि पाकिस्तान अब मादक पदार्थों की तस्करी और उसके प्रसार को जम्मू-कश्मीर में अपने ‘छद्म युद्ध’ में एक नए हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है।
दरअसल, हाल के दिनों में पाकिस्तान से लगे सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन के जरिए हथियार भेजने के कुछ मामले पकड़ में आए थे। अब अन्य स्रोतों के अलावा पाकिस्तान ड्रोन से मादक पदार्थ भी भेजने की दोहरी रणनीति अपना रहा है। यह किसी से छिपा नहीं है कि मादक पदार्थों की तस्करी से लेकर नशे की जद में आया व्यक्ति और समाज किस तरह दिशाहीन हो जाता है और फिर उसकी गतिविधियां भी उसी मुताबिक संचालित होने लगती हैं।
कहा जा सकता है कि पाकिस्तान अब मादक पदार्थों को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करके स्थानीय स्तर पर समाज के उस ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है, जो अब नई राह की ओर बढ़ रहा था। ऐसा लगता है कि पाकिस्तान किसी न किसी रास्ते भारत को नुकसान पहुंचाने की सुचिंतित रणनीति पर चल रहा है !
या फिर वह ऐसी हरकतों से अपने यहां अर्थव्यवस्था की डांवाडोल स्थिति के बीच व्यापक महंगाई, बेरोजगारी और बढ़ती गरीबी जैसी उन समस्याओं पर पर्दा डालने की कोशिश में है, जिनकी वजह से पाकिस्तानी जनता का जीवन दूभर होता जा रहा है। सवाल है कि अपने देश में लोगों की समस्याओं को दूर करने के बजाय पड़ोसी देश के सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने की कोशिश करके पाकिस्तान क्या अपनी खोखली होती जा रही दशा की भरपाई कर लेगा?
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