दिल का धड़कना हमारे जिंदा रहने का सबूत है। इन धड़कनों की रफ्तार को हमेशा कायम रखना चाहते हैं तो दिल की सेहत का ध्यान रखें। खराब डाइट और बिगड़ता लाइफस्टाइल हमारे दिल की धड़कनों की रफ्तार को धीमा कर रहा है। उम्रदराज़ लोगों में होने वाले दिल के रोग अब कम उम्र के लोगों को भी अपना शिकार बना रहे हैं। कम उम्र में भी लोगों को दिल का दौरा और कार्डियेक अरेस्ट की परेशानी हो रही है।
भारत में पिछले एक दशक में दिल के रोगियों की तादाद लगभग दोगुनी हो गई है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (world health organization)के मुताबिक विश्व में कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों से होने वाली 17.9 मिलियन मौतों में से कम से कम पांचवे हिस्से के बराबर मौतें भारत में होती हैं।
हार्ट अटैक और कार्डियेक अरेस्ट दिल से जुड़ी ऐसी परेशानियां हैं जो दिल को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करती हैं। हार्ट अटैक (heart attack)तब पड़ता है, जब दिल में खून के प्रवाहित होने में कोई रुकावट आ जाती है। जबकि कार्डियेक अरेस्ट (cardiac arrest)तब पड़ता है जब दिल काम करना बंद कर देता है और दिल की धड़कने रुक जाती हैं। हार्ट अटैक खून के बहाव की समस्या है और सडेन कार्डियेक अरेस्ट एक इलेक्ट्रिकल (electrical)समस्या है। दिल से जुड़ी इस बीमारी से बचाव करना बेहद जरूरी है।
कंसलटेंट और एचओडी, कार्डियोलॉजी मणिपाल हॉस्पिटल, बाणेर- पुणे के डॉ. अभिजीत जोशी के मुताबिक हार्ट अटैक और कार्डियेक अरेस्ट के लक्षणों को पहचानना और उनसे बचाव करना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं कि हार्ट अटैक और कार्डियेक अरेस्ट (heart attack and cardiac arrest)में कैसे अंतर करें और इस बीमारी से कैसे बचाव भी करें।
हार्ट अटैक के लक्षणों से करें पहचान: (symptoms of heart attack)
हार्ट अटैक तब पड़ता है जब ब्लड वेसल्स में रुकावट आ जाती है और ऑक्सीजन युक्त खून दिल में नहीं पहुंच पाता है। अगर इस रुकावट को तुरंत नहीं हटाया जाए तो उस ब्लड वेसल्स द्वारा जिस हिस्से में खून पहुंचाया जाता है, वह हिस्सा मरना शुरू हो जाता है। इसका इलाज नहीं किया जाए तो नुकसान बढ़ने लगता है। हार्ट अटैक के लक्षण अचानक और बहुत तीव्र गति से होते हैं। कई बार हल्के लक्षणों के साथ वो धीरे-धीरे बढ़ने लगते हैं। हार्ट अटैक पड़ने पर दिल आम तौर से धड़कना बंद नहीं करता। महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों के मुकाबले अलग हो सकते हैं।
कार्डियेक अरेस्ट के लक्षणों से करें पहचान: (symptoms of cardiac arrest)
कार्डियेक अरेस्ट बिना किसी लक्षण के हो सकता है। यह तब होता है जब दिल में इलेक्ट्रिकल खराबी आने पर हृदय की धड़कन अनियमित हो जाती है।जब दिल पंप करने की क्रिया बंद कर देता है तो हृदय से दिमाग,फेफड़ों एवं अन्य मुख्य अंगों को खून नहीं पहुंचता। ऐसी स्थिति में मरीज बेहोश हो जाता है और उसकी नब्ज चलना बंद हो जाती है। मरीज का तुरंत इलाज नहीं किया जाए तो मरीज की मौत भी हो सकती है।
हार्ट अटैक और कार्डियेक अरेस्ट से कैसे करें बचाव: How to prevent heart disease
- कार्डियेक अरेस्ट की स्थिति को तेजी से मेडिकल सहायता देकर बढ़ने से रोका जा सकता है। इससे मरीज के बचने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। कार्डियेक अरेस्ट पड़ने पर सबसे महत्वपूर्ण उपाय डिफाईब्रिलेटर या चेस्ट कंप्रेशंस द्वारा कार्डियो पल्मोनरी रिसस्सिटेशन (सीपीआर) दिया जाना है। ये विकल्प उचित मेडिकल सहायता मिलने तक मरीज के जिंदा रखने की संभावनाएं बढ़ा सकते हैं।
- लाइफस्टाइल में बदलाव करके,वजन को कंट्रोल करके और डाइट का ध्यान रखकर दिल के रोगों से बचा जा सकता है।
- बॉडी को एक्टिव रखें और रेगुलर एक्सरसाइज और योगा करें दिल की सेहत दुरुस्त रहेगी।
- धूम्रपान बिल्कुल भी न करें क्योंकि इससे हृदय की धड़कन बढ़ जाती है,खून में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है,और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है।
- तनाव और हाईपरटेंशन हृदय की समस्याओं के मुख्य कारण हैं इसलिए तनाव से दूर रहें।
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