मैतेई-कुकी के बीच खाई और गहराई... मणिपुर में जातीय हिंसा के बाद क्या-क्या बदला? इस ग्राउंड रिपोर्ट में जानें

4 1 22
Read Time5 Minute, 17 Second

मणिपुर में 3 मई, 2023 को मैतेई और कुकी समुदायों के बीच शुरू हुई जातीय हिंसा के अगले कुछ दिनों में दो वर्ष पूरे होने जा रहे हैं. लेकिन राज्य में अब भी पूरी तरह शांति नहीं स्थापित हो सकी है और हिंसा का दौर अब भी जारी है. सैकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है, हजारों घायल हुए हैं. वहीं एक बहुत बड़ी आबादी को अपनी आजीविका चलाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, वे अपने ही राज्य में विस्थापित हो चुके हैं और उन्हें अपना घर-बार छोड़कर राहत शिविरों में रहना पड़ रहा है.

Advertisement

जातीय ​हिंसा शुरू होने के बाद से इन दो वर्षों में मणिपुर में क्या कुछ बदल चुका है, इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए आजतक हिंसा से प्रभावित मणिपुर के उन इलाकों में पहुंचा, जहां मैतेई और कुकी समुदाय के लोग रहते हैं. आजतक ने ग्राउंड जीरो पर उतरकर यह जानने की कोशिश की कि राज्य में अभी मौजूदा हालात कैसे हैं, मैतेई और कुकी समुदाय एक दूसरे के साथ कैसे डील कर रहे हैं, राज्य में हालात सामान्य करने के लिए सुरक्षा बलों की ओर से क्या किया जा रहा है और आने वाले दिनों में और क्या कुछ हो सकता है.

यह भी पढ़ें: 'मुझे इस देश का हिस्सा होने पर गर्व...', मणिपुर के लोगों से SC के जज कोटिस्वर सिंह ने की ये भावुक अपील

कुकी और मैतेई के बीच की खाई बहुत गहरी

Advertisement

मणिपुर में स्थानीय लोगों से बातचीत करने पर पता चला कि जातीय हिंसा शुरू होने के करीब दो साल बाद भी मैतेई और कुकी समुदायों के बीच की खाई बहुत गहरी है. मणिपुर के पहाड़ों में कुकी लोग रहते हैं, जबकि घाटी और खासकर राजधानी इंफाल के इलाकों में मैतेई समुदाय का दबदबा है. आजतक राज्य के दो जिलों चुराचांदपुर और बिष्णुपुर के बीच बने बफर जोन में पहुंचा. बता दें कि चुराचांदपुर कुकी बहुल जिला है, जबकि बिष्णुपुर मैतेई बहुल. बफर जोन में बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है.

भारतीय सेना, बीएसएफ, असम राइफल्स, सीआरपीएफ के जवान बफर जोन में मोर्चा संभाले हुए हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि इस इलाके में कोई हिंसा ना हो. भारत सरकार ने कुछ दिन पहले ही मणिपुर में बने सभी बफर जोन एरिया को फ्री मूवमेंट के लिए खोला है. इसके पीछे का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कुकी और मैतेई समुदाय के लोग एक दूसरे के प्रभाव वाले इलाकों में बिना किसी रोकटोक के आ जा सकें. क्योंकि, हिंसा शुरू होने के बाद से मणिपुर दो हिस्सों में बंट गया है, कुकी उन इलाकों में जाने से बचते हैं जहां मैतेई प्रभाव रखते हैं और मैतेई उन इलाकों में जाने से बचते हैं जहां कुकी प्रभाव रखते हैं.

Advertisement

यह भी पढ़ें: 'जाकर उन्हें गले लगाना चाहूंगा...', मणिपुर दौरे पर कुकी इलाके में नहीं जा पाए मैतेई जज, हुए इमोशनल

फ्री मूवमेंट का मणिपुर में कोई खास असर नहीं

लेकिन ग्राउंड पर फ्री मूवमेंट का कोई खास असर नहीं दिखता. मणिपुर में अब भी कुकी और मैतेई एक दूसरे के इलाकों में जाने से कतरा रहे हैं. उन्हें अपनी जान का डर सता रहा है. दोनों समुदायों के लोग एक दूसरे के एरिया में आने के लिए प्रतिबंधित हैं. ये प्रतिबंध सुरक्षा बलों की ओर से नहीं लगाया गया बल्कि दोनों समुदायों ने खुद इसे लागू किया है. यही कारण था कि जब सुप्रीम कोर्ट के 6 जजों का एक डेलिगेशन मणिपुर दौरे पर आया तो, इसमें शामिल जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह चुराचांदपुर जिले में नहीं जा सके.

क्योंकि जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह मैतेई समुदाय से आते हैं और चुराचांदपुर कुकी बहुल जिला है. चुराचांदपुर बार एसोसिएशन ने एक बयान जारी करके कहा था, 'शांति और सार्वजनिक व्यवस्था के हित में मैतेई समुदाय के जज को हमारे जिले में कदम नहीं रखना चाहिए. चाहे उनका नाम सुप्रीम कोर्ट के जजों के प्रतिनिधिमंडल में ही क्यों ना शामिल हो.' कुकी और मैतेई के बीच खाई इस हद तक गहरी हो चुकी है कि इसका प्रभाव राज्य में शांति बहाली के काम में लगे सुरक्षा बलों और ब्यूरोक्रेट्स तक पर पड़ रहा है.

Advertisement

यह भी पढ़ें: 'मणिपुर में अब शांति, दोनों समुदायों के बीच बातचीत की भी हो चुकी शुरुआत', राज्यसभा में भाषा विवाद पर बोले अमित शाह

मणिपुर पुलिस और राज्य का प्रशासन संभालने वाले अधिकारी भी कुकी और मैतेई में ​बंट चुके हैं. कुकी इलाकों में राज्य पुलिस और प्रशासन के वही अधिकारी तैनात किए गए हैं, जो इस समुदाय से आते हैं. यही हाल मैतेई इलाकों का भी है. स्थिति ऐसी है कि राज्य में शांति बनाए रखने के लिए इन दो समुदायों के बीच सरकार को ही विभाजन करना पड़ रहा है. सवाल यह उठता है कि इस संकट का स्थायी समाधान कैसे निकलेगा. क्या मणिपुर में मैतेई और कुकी कभी एक दूसरे को गले लगाएंगे और मिलजुलकर राज्य में शांति बहाली सुनिश्चित करेंगे?

Live TV

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

Constable Job: बंद होने वाली है बिहार सिपाही 19000+ भर्ती की आवेदन विंडो, इतनी मिलेगी सैलरी

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now