गुजरात में लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में 7 मई को वोटिंग होगी. बीजेपी का गढ़ कहे जाने वाले गुजरात को पिछले 2 दो लोकसभा चुनावों में जनता का अपार समर्थन मिला है. इसी के चलते बीजेपी यहां 2014 और 2019 में सभी 26 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. इस बार भाजपा ने चुनाव से पहले ही एक सीट (सूरत) निर्विरोध जीत ली है. भारतीय जनता पार्टी पीएम मोदी की अपार लोकप्रियता और 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी के शानदार प्रदर्शन के दम पर हैट्रिक बनाने की उम्मीद कर रही है. दूसरी ओर, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के दम पर सफलता हासिल करने की उम्मीद कर रही है.
2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सूबे में रिकॉर्ड 156 सीटें जीती थीं. जबकि कांग्रेस 2022 में सिर्फ 17 सीटों पर सिमट गई थी. कांग्रेस ने 2017 में 14.2 प्रतिशत की गिरावट के साथ 27.3 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया था, जबकि AAP ने 12.9 प्रतिशत वोट हासिल कर 5 सीटें जीती थीं.
गुजरात में ऐसे बढ़ती गई बीजेपी
गुजरात की राजनीति को समझने के लिए इतिहास के आईने में देखने पर पता चलता है कि 1984 में कांग्रेस ने गुजरात में 24 सीटें जीतीं थीं. जबकि बीजेपी सिर्फ 1 सीट जीतने में ही कामयाब रही थी. दरअसल, ये भारी समर्थन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति के रूप में मिला था. 1984 के बाद से प्रत्येक चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से ज्यादा सीटें जीती. बात 1989 की करें तो भाजपा ने 12, जनता दल ने 11 और कांग्रेस ने सिर्फ तीन सीटें जीतीं थीं, जबकि 1991 के चुनाव में भाजपा ने 26 में से 20 सीटें जीतीं थीं. 2004 और 2009 में जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने लोकसभा चुनाव जीता था, तो कांग्रेस ने क्रमशः 12 और 11 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा ने 2004 में 14 और 2009 में15 सीटें जीती थीं. लेकिन 2014 और 2019 के चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था.
बीजेपी ने हर सीट पर 5 लाख वोटों से जीतने का रखा टारगेट
कांग्रेस ने 1984 में 53 प्रतिशत वोट हासिल किया था, जो कि 2004 में घटकर 43 और 2009 में 44 प्रतिशत रह गया, वहीं, भाजपा को 1984 में सिर्फ़ 19 प्रतिशत वोट शेयर मिला था, जो 2004 और 2009 के चुनावों में बढ़कर 47 प्रतिशत हो गया, जिसने जनता दल/जनता पार्टी के वोट शेयर को छीन लिया. 2019 में गुजरात उन 4 राज्यों में शामिल था, जहां बीजेपी ने सभी सीटों पर जीत हासिल की थी और 50 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर हासिल किया था. पिछले चुनाव में बीजेपी ने 2.5 लाख से अधिक मार्जिन के साथ 18 सीटें जीतीं थीं. इस बार बीजेपी ने हर सीट कम से कम 5 लाख वोटों से जीतने का टारगेट रखा है.
'KHAM' वोट लगाएगा कांग्रेस की नैया पार?
केंद्रीय मंत्री और भाजपा के राजकोट लोकसभा उम्मीदवार पुरुषोत्तम रूपाला के एक विवादास्पद बयान के बाद राज्य में विरोध प्रदर्शन हुए.कहा जा रहा है कि इस बयान के बाद से क्षत्रिय भाजपा से खफा हैं. इतना ही नहीं, वह राजकोट से रूपाला की उम्मीदवारी वापस लेने की मांग कर रहे हैं, जिसे पार्टी ने खारिज कर दिया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में लगभग 66 प्रतिशत पाटीदारों और 65 प्रतिशत क्षत्रियों ने भाजपा को वोट दिया था. गुजरात में पटेल भाजपा के पारंपरिक समर्थक रहे हैं. 1980 के दशक में कांग्रेस के KHAM यानी (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम) का रहे क्षत्रिय पिछले कुछ वर्षों में भाजपा में चले गए. इस विवाद के मद्देनजर कांग्रेस पाटीदारों और क्षत्रियों के बीच असंतोष का फायदा उठाकर KHAM वोट को फिर से हासिल करने की उम्मीद कर रही है.
AAP ने कांग्रेस के वोट बैंक को पहुंचाया नुकसान
एक्सिस-माई इंडिया के एग्जिट पोल के अनुसार 2019 में भाजपा को 49 प्रतिशत एससी समर्थन मिला, जबकि कांग्रेस को 44 प्रतिशत समर्थन मिला. हालांकि भाजपा को 63 प्रतिशत एसटी समर्थन मिला, जबकि कांग्रेस को केवल 31 प्रतिशत. 2022 के विधानसभा चुनावों में AAP ने कांग्रेस पार्टी के वोट को काफी नुकसान पहुंचाया. सी-वोटर के एग्जिट पोल के अनुसार AAP को 18 प्रतिशत एसटी, 20 प्रतिशत एससी और 30 प्रतिशत मुस्लिम समर्थन मिला, जिससे 50 सीटों पर कांग्रेस की संभावनाएं खत्म हो गईं.
AAP-कांग्रेस को गठबंधन से उम्मीदें
राजनीति के जानकारों का कहना है कि AAP के साथ गठबंधन से पारंपरिक वोट बैंक को मजबूत करने और आरक्षित सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करने में कांग्रेस को मदद मिलेगी. आम आदमी पार्टी अब गुजरात में 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि कांग्रेस 24 सीटों पर. भाजपा की ओर से भी मौजूदा सांसद और वडोदरा से उम्मीदवार रंजन भट्ट ने चुनाव लड़ने की अनिच्छा जाहिर की है. जैसा कि साबरकांठा से उम्मीदवार भीकाजी ठाकोर ने किया, जब उनके उम्मीदवारों के खिलाफ पोस्टर लगाए गए.
क्या कांग्रेस-AAP इस बार कुछ सीटें छीन सकती हैं?
गुजरात में भाजपा को जो बढ़त हासिल है, वह बहुत बड़ी है, औसतन 30 प्रतिशत. बीजेपी को हराने के लिए बहुत बड़े बदलाव की जरूरत है. अगर बीजेपी 5 प्रतिशत वोट शेयर खोती है और इसका फायदा कांग्रेस-AAP गठबंधन को मिलता है तो भी बीजेपी सभी 26 सीटों पर जीत का परचम फहरा देगी. अगर बीजेपी का 7.5 प्रतिशत वोट शेयर फिसलता है और यह कांग्रेस-AAP गठबंधन को मिलता है तो इंडिया ब्लॉक 2 सीटें जीत सकता है. अगर भाजपा का 10 प्रतिशत वोट शेयर फिसलता है और ये कांग्रेस-AAP गठबंधन के खाते में जाता है तो इंडिया ब्लॉक 5 सीटें जीत सकता है.
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