कश्मीरी पंडितों का कातिल, सिर पर 10 लाख का इनाम... आतंकियों की A++ केटेगिरी में शामिल था कुलगाम में ढेर बासित डार

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जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है. सुरक्षाबलों ने घाटी में चुनाव से पहले लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष कमांडर और कश्मीर में आतंकी संगठन TRF के प्रमुख बासित अहमद डार समेत तीन आतंकवादियों को मार गिराया है. दरअसल सुरक्षाबलों को लश्कर के ठिकाने की मौजूदगी के बारे में एक खुफिया इनपुट मिला था. इसके बाद सोमवार देर शाम को पुलिस और सुरक्षाबलों ने संयुक्त अभियान चलाकर मंगलवार को तीन आतंकियों को ढेर कर दिया.

डार का मारा जाना सुरक्षाबलों के लिए बड़ी कामयाबी है, क्योंकियह वही आतंकी है, जिसने घाटी में कई कश्मीरी पंडितों समेत प्रवासियों की टारगेट किलिंग को अंजाम दिया था. बासित डार के नेतृत्व में ही TRF ने पिछले 5 वर्षों के दौरान घाटी में कई हमले किए. इसमें दर्जनों लोगों की हत्या कर दी गई. आतंकी बासित डार सुरक्षाबलों की मोस्ट वांटेड लिस्ट में था और उस पर 10 लाख का इनाम घोषित किया गया था. उसे आतंकियों की A++ श्रेणी में डाला गया था.

कुलगाम का रहने वाला था आतंकी डार

अधिकारियों के मुताबिक, बासित कई हत्याओं का मास्टरमाइंड था. रेडवानी के कुलगाम का निवासी बासित, जो अपने घर से लापता हो गया था. इसके बाद वह लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) में शामिल हो गया था. आतंकी संगठन से जुड़ने पर उसने कई टारगेट किलिंग को अंजाम दिया. उसे आतंकी संगठन टीआरएफ का कश्मीर चीफ बनाया गया था. सुरक्षाबलों को उसकी लंबे समय से तलाश थी. पिछले साल ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बासित अहमद डार पर 10 लाख रुपये के नकद इनाम की घोषणा की थी. इनामी राशि की घोषणा दक्षिण कश्मीर के कुलगाम के रेडवानी पाईन के बासित अहमद डार के खिलाफ दर्ज मामले 32/2021/एनआईए/डीएलआई में की गई थी.

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पिछले साल TRF के हमले में ही तीन अधिकारी हुए थे शहीद

बता दें कि पिछले साल सितंबर महीने में जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में बड़ा आतंकी हमला हुआ था. इस हमले में सेना के कर्नल मनप्रीत सिंह, बटालियन कमांडिंग मेजर आशीष धोनैक और जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं भट शहीद हो गए थे. ये हमला अनंतनाग के कोकरनाग के हलूरा गंडूल इलाके में हुआ था. यहां पर आतंकियों के छिपे होने का इनपुट मिला था. इसके बाद सेना और पुलिस ने मिलकर सर्च ऑपरेशन चलाया और इसी दौरान आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी. इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी. टीआरएफ ने दावा किया था कि उसने पाकिस्तान की मस्जिद में मारे गए लश्कर कमांडर रयाज अहमद उर्फ कासिम की मौत का बदला लिया है. 8 सितंबर को रावलकोट की मस्जिद में आतंकी कासिम की हत्या कर दी गई थी.

2019 में बनाया गया आतंकी संगठन TRF

बता दें कि टीआरएफ कोई पुराना आतंकी संगठन नहीं है. ये आतंकी संगठन 2019 में वजूद में आया था. गृह मंत्रालय इस पर प्रतिबंध भी लगा चुकी है. टीआरएफ हाफिज सईद के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है. टीआरएफ एक तरह से सिर्फ चेहरा है और इन हमलों को लश्कर के आतंकी ही अंजाम देते हैं. द रेजिस्टेंस फ्रंट जम्मू-कश्मीर में एक्टिव है. ये लश्कर-ए-तैयबा की एक तरह से ब्रांच है. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाए जाने के बाद टीआरएफ एक ऑनलाइन यूनिट के रूप में शुरू हुआ था.

माना जाता है कि टीआरएफ को बनाने का मकसद लश्कर जैसे आतंकी संगठनों को कवर देना है. इस संगठन को बनाने की साजिश सरहद पार से रची गई थी. टीआरएफ को बनाने में लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के साथ-साथ पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का भी हाथ रहा है. ये इसलिए बनाया गया ताकि भारत में होने वाले आतंकी हमलों में सीधे तौर पर पाकिस्तान का नाम न आए. और वो फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ब्लैक लिस्ट में आने से बच जाए.

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ऐसे सामने आया था टीआरएफ का नाम

गौरतलब है कि 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में बड़ा आतंकी हमला हुआ था. इसके बाद दुनियाभर में पाकिस्तान बेनकाब हो गया. इस हमले को जैश-ए-मोहम्मद ने अंजाम दिया था. जब दुनियाभर से पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा तो वो समझ गया कि आतंकी संगठनों के खिलाफ कुछ न कुछ करके दिखाना होगा. इसके बाद उसने ऐसा संगठन बनाने की साजिश रची, जिससे भारत में आतंक भी फैल जाए और उसका नाम भी न आए. तब जाकर आईएसआई ने लश्कर के साथ मिलकर टीआरएफ बनाया. टीआरएफ का नाम तब चर्चा में आया जब उसने 2020 में बीजेपी कार्यकर्ता फिदा हुसैन, उमर राशिद बेग और उमर हाजम की कुलगाम में बेरहमी से हत्या कर दी थी. टीआरएफ कश्मीर में फिर से वही दौर लाना चाहता है, जो कभी 90 के दशक में था. टीआरएफ के आतंकी टारगेट किलिंग पर फोकस करते हैं. वो ज्यादातर गैर-कश्मीरियों को निशाना बनाते हैं ताकि बाहरी राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर आने से बचें.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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