महिला सुरक्षा पर कांग्रेस एजेंडा सेट करने लगी है, और BJP सिर्फ सफाई देने को मजबूर

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प्रज्ज्वल रेवन्ना के वीडियो कर्नाटक से निकल कर पूरे देश की राजनीति में कहर ढा रहे हैं. कांग्रेस आक्रामक हो गई है, और बीजेपी को जैसे तैसे बचाव करना पड़ रहा है - और कर्नाटक के बहाने मणिपुर से लेकर हाथरस और उन्नाव तक की घटनाओं पर कांग्रेस की तरफ से सवाल उठाये जा रहे हैं.

'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा बीजेपी का है, लेकिन रेवन्ना सेक्स स्कैंडल के बाद कांग्रेस के सवालों में बीजेपी घिरने लगी है. बचाव के लिए बीजेपी की तरह से जो तौर तरीके अपनाये जा रहे हैं, वे बहुत ज्यााद प्रभाव नहीं छोड़ पा रहे हैं - क्योंकि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ही नहीं, गृह मंत्री अमित शाह के सवालों पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी चुन चुन कर जवाब दे रहे हैं.

हालत ये हो गई है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर एजेंडा सेट कर रही है, और बीजेपी को बार बार सफाई देनी पड़ रही है. मुश्किल ये है कि रेवन्ना जेडीएस के सांसद और हासन लोकसभा सीट से एनडीए के उम्मीदवार भी हैं.

हासन में 26 अप्रैल को दूसरे चरण में वोटिंग थी, और रेवन्ना से जुड़े अश्लील वीडियो दो दिन पहले ही सामने आये थे. 25 अप्रैल को महिला आयोग ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री केस की एसआईटी जांच की मांग की थी - और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सरकार ने एसआईटी जांच का आदेश दिया था. एसआईटी ने जांच शुरू कर दी है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल साइट X पर पूछा है - क्या मोदी के ‘राजनीतिक परिवार’ का हिस्सा होना अपराधियों के लिए सुरक्षा की गारंटी है?

राहुल गांधी की ही तरह कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी सवाल पूछ रही हैं, और उसके जवाब में अमित शाह कह रहे हैं कि कांग्रेस नेता को सवाल अपने मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम से पूछना चाहिये - ये सुनते ही सिद्धारमैया ने मणिपुर सहित महिलाओं से जुड़े कई घटनाओं का हवाला देते हुए सवालों की झड़ी लगा दी है.

रेवन्ना के बहाने कांग्रेस का बीजेपी पर हमला

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल साइट एक्स के जरिये रेवन्ना वीडियो केस पर जवाब देने की मांग की है, और आरोप लगाया है कि महिलाओं के साथ हुए वीभत्स अपराध पर भी नरेंद्र मोदी ने हमेशा की तरह शर्मनाक चुप्पी साध ली है.

राहुल गांधी का आरोप है, कैसरगंज से कर्नाटक और उन्नाव से उत्तराखंड तक... बेटियों के गुनहगारों को प्रधानमंत्री का मूक समर्थन देश भर में अपराधियों के हौसले बुलंद कर रहा है - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके सवाल हैं -

1. सब कुछ जान कर भी सिर्फ वोटों के लिए उन्होंने सैकड़ों बेटियों का शोषण करने वाले हैवान का प्रचार क्यों किया?
2. आखिर इतना बड़ा अपराधी बड़ी सहूलियत के साथ देश से फरार कैसे हो गया?
3. क्या मोदी के ‘राजनीतिक परिवार’ का हिस्सा होना अपराधियों के लिए ‘सुरक्षा की गारंटी’ है?

और बिलकुल उसी तरीके से प्रियंका गांधी भी बीजेपी नेतृत्व यानी मोदी-शाह को टारगेट कर रही हैं. चुनाव कैंपेन के तहत कर्नाटक में प्रियंका गांधी कहती हैं, वो व्यक्ति जिसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा किया, और जिसके लिए मोदी ने वोट मांगे... उसने हजारों महिलाओं पर अत्याचार किया... मैं प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से पूछना चाहती हूं... वे इस बारे में क्या कहते हैं?

प्रियंका गांधी का इल्जाम है, देश में जहां भी महिलाओं पर अपराध हुए... चाहे वह हाथरस हो, उन्नाव हो या मणिपुर... मोदी सरकार सिर्फ अपराधियों की रक्षा करती आई है.

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प्रज्ज्वल रेवन्ना के विदेश भाग जाने को लेकर भी बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ हमलावर हैं. कांग्रेस कह रही है केंद्र सरकार ने क्यों भागने दिया, और बीजेपी का सवाल है कर्नाटक पुलिस क्या कर रही थी?

और अपना किस्सा सुनाते हुए प्रियंका गांधी बताती हैं कि कुछ दिन पहले जब वो तीन दिन के लिए बेटी से मिलने गई थीं, तो मोदी-शाह कहने लगे कि वो विदेश चली गईं. प्रियंका गांधी का सवाल है, उन्हें ये तो पता चल जाता है कि मैं या विपक्षी दलों के नेता कहां गये हैं, लेकिन इस तरह का अपराधी, इस तरह का राक्षस देश छोड़ कर चला जाता है... ये पता नहीं चला.

मोदी पर राहुल और प्रियंका के हमले के बाद अमित शाह को मोर्चा संभालना पड़ा है, और वो भी इसे बेहद गंभीर मामला बताते हैं. मीडिया से बातचीत में अमित शाह कहते हैं, बीजेपी मामले की जांच के पक्ष में है... हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते... हम कांग्रेस से पूछना चाहते हैं कि सत्ता में होने के बावजूद सरकार ने अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की? प्रियंका जी को अपने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से पूछना चाहिए.

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रेवन्ना के विदेश चले जाने में अमित शाह कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य सरकार के पास होने की दुहाई देते हैं, और अपनी तरफ से साफ करते हैं - बीजेपी का रुख साफ है... हम देश की 'मातृशक्ति' के साथ खड़े हैं.

अमित शाह के बयान पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने X पर एक बड़ी सी पोस्ट लिखी है. सिद्धारमैया ने रेवन्ना केस में अमित शाह के बयान के लिए शुक्रिया कहा है, लेकिन ये भी आरोप लगाया है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में बीजेपी सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है.

सिद्धारमैया लिखते हैं, क्या हम आपके सांसद की तरफ से महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न की बात भूल सकते हैं? आप किसके साथ खड़े रहे, निश्चित तौर पर अपने सांसद के साथ. क्या हम बिलकिस बानो के बलात्कारियों की गुजरात की बीजेपी सरकार द्वारा रिहाई और और उनका माला फूल के साथ स्वागत किया जाना भूल सकते हैं? क्या हम भूल सकते हैं कि किस तरह आपकी पार्टी उन्नाव केस में हमलावरों के साथ खड़ी रही? क्या हम हाथरस केस भूल सकते हैं?

मणिपुर की घटना का हवाला देते हुए सिद्धारमैया कहते हैं, क्या हम भूल सकते हैं कि कैसे मणिपुर में महिलाओं को सरेआम नंगे घुमाया गया और बीजेपी ने आंखें मूंद ली थी.

कर्नाटकसरकार क्या कर रही है?

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खबर है कि एसआईटी ने अपनी जांच शुरू कर दी है, और प्रज्ज्वल रेवन्ना को पेश होने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया है. सीआरपीसी की धारा 41A के तहत जारी नोटिस में प्रज्ज्वल रेवन्ना को एसआईटी के सामने 24 घंटे के भीतर पेश होने को कहा गया है.

एसआईटी के पास रेवन्ना की तरह से पेश होने के लिए 7 दिन की मोहलत मांगी गई थी, लेकिन ये रिक्वेस्ट नामंजूर हो गई है. बताया गया था कि रेवन्ना के 3 मई को बेंगलुरू पहुंचने और अगले दिन एसआईटी के सामने पेश होने की बात कही गई थी, लेकिन एसआईटी की तरफ से मोहलत न मिलने पर रेवन्ना का क्या प्लान है, अभी सामने नहीं आया है.

कर्नाटक पुलिस ने घर में काम करने वाली एक महिला की शिकायत के आधार पर प्रज्ज्वल रेवन्ना और उनके पिता एचडी रेवन्ना के खिलाफ यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी का मामला दर्ज किया है. एचडी रेवन्ना विधायक हैं और मंत्री भी रह चुके हैं. प्रज्ज्वल रेवन्ना पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के भतीजे हैं. ये मामला इसलिए भी ज्यादा तूल पकड़ चुका है क्योंकि कर्नाटक में बीजेपी जेडीएस के साथ मिल कर चुनाव लड़ रही है.

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बाकी मामले अपनी जगह हैं, लेकिन जिस तरह से कैसरगंज से बृजभूषण शरण सिंह को टिकट देने से बीजेपी के परहेज की खबर आ रही है, साफ है बीजेपी आगे की फजीहत से बचने की कोशिश कर रही है - और ये कांग्रेस के ताबड़तोड़ हमलों का ही असर है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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