रायबरेली में दिनेश प्रताप सिंह पर BJP ने क्यों दांव खेला? क्या गांधी परिवार से सीट छीन पाएंगे?

4 1 23
Read Time5 Minute, 17 Second

रायबरेली संसदीय सीट से बीजेपी ने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है. 2019 में सोनिया गांधी को कड़ी टक्कर देने वाले दिनेश प्रताप सिंह पर भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर भरोसा जताया है. दिनेश प्रताप सिंह अभी एमएलसी हैं और योगी सरकार में मंत्री भी हैं. 6 साल पहले तक दिनेश प्रताप सिंहगांधी परिवार के बहुत खास लोगों में शामिल होते थे. 2018 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन कर लीथी. रायबरेली सीट पर कल शुक्रवार को नामांकन का आखिरी दिन है. कांग्रेस ने अभी तक यहां के लिए प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है. उम्मीद की जा रही है कि आज रात या कल सुबह तक कांग्रेस भी अपने प्रत्याशी का ऐलान कर देगी. कांग्रेस नेता जिस तरह सस्पेंस बनाए हुए हैं उससे तो यही लगता है कि कांग्रेस रायबरेलीसे गांधी परिवार के ही किसी सदस्य को चुनाव में उतार सकती है. बीजेपी ने दिनेश प्रताप सिंह के नाम का ऐलानतो दिया है पर क्या वो बीजेपी की मंशा को पूरा कर सकेंगे. बीजेपी ने जिस तरह अमेठी से राहुल गांधी को बाहर कर दिया उसी तरह गांधी परिवार से रायबरेली को भी छीन लेना चाहती है. क्या दिनेश प्रताप सिंह बीजेपी की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे?

Advertisement

1-बीजेपी के अमेठी मॉड्यूलपर बिल्कुल फिट हैं दिनेश प्रताप सिंह

भारतीय जनता पार्टी रायबरेली को जीतने के लिए अमेठी मॉड्यूलपर काम कर रही है. जिस तरह 2014 में स्मृति इरानी हारने के बाद भी लगातार अमेठी में लगी रहींऔर फाइनली 2019 में राहुल से इस संसदीय सीट से छीन लिया. बिल्‍कुलउसी तर्ज पर रायबरेली में दिनेश प्रताप सिंह भी काम करतेरहे हैं. दिनेश प्रताप सिंह ने 2019 में सोनिया गांधी को जोरदार टक्कर दी. 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करीब 72.2 प्रतिशत वोट मिला था. जो 2014 में गिरकर 63.8 परसेंट हो गया. 2019 में दिनेश प्रताप सिंह के प्रत्याशी बनने के बादसोनिया गांधी को 55.8 प्रतिशत वोट ही मिले. 2014 में जहां बीजेपी को करीब 21.1 प्रतिशत वोट ही मिला था दिनेश प्रताप सिंह के आने के बाद 2019 में 38.7 परसेंट तक पहुंच गया. उसके बाद बीजेपी ने एमएलसी बनाकर उन्हेंविधानसभा में भेज दिया और योगी सरकार में मंत्री पद भी दिया गया. यहसब इसी रणनीति के तहत किया गया कि वो लगातार 5 साल जनता के बीच रहेऔर उनकी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करें. जिस तरह अमेठी में चुनाव हारने के बाद भी 5 साल तक अमेठी कीजनता के साथ स्मृति इरानी नेसमय गुजारा था.

2-स्थानीय स्तर पर बहुत मजबूत हैं दिनेश प्रताप सिंह

दिनेश प्रताप सिंह स्थानीय स्तर पर बहुत मजबूत हैं और रायबरेली के चप्पे की समझ रखते हैं. यही कारण रहा कि सोनिया गांधी के बहुत करीबी थे. गांधी परिवार उनकी सलाह पर ही काम करता रहा है. दिनेश प्रताप सिंह पांच भाई हैं जिसमें से तीन राजनीति में सक्रिय हैं. उनके भाई राकेश सिंह भी 2017 में हरचंदपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट से विधायक चुने गए थे. वहीं एक और भाई अवधेश सिंह रायबरेली जिला पंचायत के अध्यक्ष हैं. दिनेश प्रतापसिंह केआवास पंचवटी से ही पूरे जिले की राजनीति होती रही है. गांधी परिवार के लिए रायबरेली मेंदिनेश प्रताप सिंह और अखिलेश सिंह जैसे लोग ही हाथ पैर होते रहे हैं. कभी अखिलेश सिंह की भी रायबरेली में तूती बोलती थी. उनके मरने के बाद अब उनकी बेटी अदिति सिंह बीजेपी में आ गई हैं. अदिति सिंह विधायक हैं और बीजेपी के साथ मजबूती से जुड़ी हुई हैं.

3-मनोज पांडेय पर इसलिए भारी पड़े दिनेश

समाजवादी पार्टी से बीजेपी के खेमे में आ चुके ऊंचाहार के कद्दावर विधायक मनोज पांडेय का भी नाम रायबरेली सीट से कैंडिडेट के रूप में चल रहा था. पर पार्टी ने उनके मुकाबले दिनेश प्रताप सिंह को चुना. सुल्तानपुर में पिछले 4 दशकों से पत्रकारिता कर रहे राज खन्ना कहते हैं कि मनोज पांडेय अभी भी टेक्निकली समाजवादी पार्टी में है.और बीजेपी कैडर वाली पार्टी है. अचानक किसी दूसरी पार्टी से आए नेता को कार्यकर्ता तुरंत शायद एडजेस्ट नहीं कर पाते. यही सोचकर मनोज पांडेय की जगह दिनेश प्रताप सिंह को महत्व दिया गया होगा. साथ ही दिनेश प्रताप सिंह पिछले 5 साल से क्षेत्र में लगातार लगे हुए हैं, यह भी उनके पक्ष में गया. मनोज पांडेयमोदी लहर में भी लगातार विधायक चुने जाते रहे हैं. उनकी मजबूत स्थिति का लाभ पार्टी को अब दिनेश प्रताप सिंह को जिताने में मिलेगा.

Advertisement

4-जातिगत समीकरण में भी फिट

रायबरेली लोकसभा चुनाव क्षेत्र से दिनेश प्रताप सिंह के आने के बाद जातियों का संतुलन बीजेपी के फेवर में है. एक अनुमान के मुताबिक यहां ब्राह्मण 11 प्रतिशत, ठाकुर 9 प्रतिशत के करीब हैं. पश्चिमी यूपी में इस बीच लगातार बीजेपी से ठाकुरों के नाराज होने की खबरेंआरही थीं. पहले दो चरणों के चुनावों में यह स्पष्ट रूप से दिखा भी. बीजेपी ने दिनेश प्रताप सिंह को टिकट देकर एक तीर से दोशिकार किएहैं. हालांकि योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद उत्तर प्रदेश के ठाकुरों का वोट बीजेपी को ही जाता रहा है, पर इस बार पार्टी थोड़ी आशंकित थी. समाजवादी पार्टी के कद्दावर ब्राह्मण नेता मनोज पांडेय के बीजेपी के पाले में आने से ब्राह्मण वोट के बिखरने की भी चिंता नहीं है. 6 फीसदी लोध और 4 फीसदी कुर्मी अब बीजेपी के कोर वोटर्स हैं. 23 फीसदी अन्य वोटों में कायस्थ-बनिया और कुछ अति पिछड़ी जातियां हैं जोबीजेपी के वोट देती हैं. 34 फीसदीके करीब एससी वोट में सेबीएसपी अपना हिस्सा लेगीही.

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

JAC 8th 9th 11th Result 2024 Live: झारखण्ड 9वीं और 11वीं के नतीजे घोषित, 8वीं का भी परीक्षाफल जल्द संभव

एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। झारखण्ड बोर्ड 8वीं, 9वीं और 11वीं कक्षाओं के परीक्षाफल का इंतजार कर रहे लाखों छात्र-छात्राओं के लिए बड़ी खबर। झारखण्ड अधिविद्य परिषद (JAC) द्वारा वर्ष 2023-24 के लिए कक्षा 8, कक्षा 9 और कक्षा 11 के परिणाम घोषित कर दिए गए

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now