अरविंद केजरीवाल की NIA जांच की सिफारिश पर ये सवाल तो उठेंगे ही

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर खालिस्तान के आतंकवादियों से मधुर रिश्ते के आरोप बहुत पहले से लगते रहे हैं. आरोप लगाने वालों में बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस रही है.दरअसल पंजाब में कांग्रेस की स्थिति बीजेपी के मुकाबले कहीं बेहतर रही है. इसलिए आम आदमी पार्टी के मुकाबले में वही रही है.इसलिए शिकायत करने में बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस ज्यादा आगे रही है. ठीक वैसे ही जैसे शराब घोटाले में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ शिकायत करने वाले में बीजेपी से आगे कांग्रेस थी. अब केजरीवाल के खालिस्तान से रिश्तों की जांच के लिए सरकार ने कमर कस ली है. एलजी ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है. इसमें केजरीवाल पर आतंकी संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' से 16 मिलियन अमेरिकी डॉलर लेने का आरोप लगाया गया है.दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गृह मंत्रालय से मामले कीNIA जांच की सिफारिश की है.सवाल यह है कि अचानक दिल्ली के उपराज्यपाल को एनआईए जांच की क्यों सूझी.

1-क्या बीजेपी नहीं चाहती की केजरीवाल कभी बाहर आएं?

सबसे पहले तो केंद्र की एनडीए सरकार पर यह आरोप तो लगेगा ही कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जेल के बाहर नहीं आने देना चाहती है. सोमवार को दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से यह सिफारिश तब आई जब लोगों को ऐसा लग रहा था कि सुप्रीम कोर्ट केजरीवाल को रिहा कर सकता है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अरविंद केजरीवाल की जमानत पर सुनवाई होनी थी. इसके पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने क्लीयर कर दिया था कि चुनाव को देखते हुए कोर्ट केजरीवाल की रिहाई पर विचार कर सकता है. दूसरी तरफ ईडी ने भी कह दिया था कि उसे कोई एतराज नहीं है. ईडी के एतराज न होने पर ही संजय सिंह को जमानत मिली थी. इसी आधार पर आंकलन लगाया जा रहा था कि हो सकता है कि मंगलवार को कोर्ट उनको जमानत दे दे.

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इस बीच वीके सक्सेना की सिफारिश का सीधा अर्थ इसी से लगाया जाएगा कि बीजेपी नहीं चाहती है कि अरविंद केजरीवाल बाहर आएं. क्योंकि इसके पहले भी सीबीआई कई मामलों की जांच कर रही है जिसमें अरविंद केजरीवाल आरोपी हैं. हो सकता है कि ईडी की जमानत मिलते ही सीबीआई भी शिकंजा कस दे. दिल्ली जल बोर्ड का मामला तो खुला ही हुआ है.पर एनआईए अगर मामला दर्ज करती है तो फिर कब जमानत मिलेगी यह कोई कल्पना भी नहीं कर सकेगा.

आम आदमी पार्टी नेता सौरभ भारद्वाज ने पूरे मामले पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाई जिस संगठन के अध्यक्ष हैं, उसके महासचिव और बीजेपी के ही नेता आशु मोंगिया ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल पर एक बार फिर ये पुराने और घिसे-पिटे आरोप लगाए हैं. इससे साफ हो गया है कि बीजेपी दिल्ली की सातों लोकसभा सीटें हार रही है और इसलिए पूरी तरह बौखलाई हुई है. अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं, मुफ्त बिजली-पानी देने वाले अरविंद केजरीवाल को अपमानित करने वाली बीजेपी को दिल्ली की जनता अपने वोट से जवाब देगी.

2-दो मुख्यमंत्रियों ने आरोप लगाया, लिखित शिकायत दी, जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं?

अरविंद केजरीवाल देश तोड़ने का इतना बड़ा षडयंत्र कर रहे थे तो आखिर जांच एजेंसियां अभी तक क्या कर रही थीं. सबसे बड़ी बात ये देश को तोड़ने की साजिश कर रहे लोगों के साथ अरविंद केजरीवाल मिल रहे थे इसका आरोप अकेले बीजेपी लगा नहीं रही थी. कांग्रेस के संवैधानिक पदों पर रहने वाले लोगों ने केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगाए थे फिर भी कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया? इस तरह के सवाल तो उठेंगे ही. कैप्टन अमिरंदर सिंह ने पंजाब का सीएम रहते केंद्र को कई बार आगाह किया था. कैप्टन के बाद पंजाब के सीएम बने चरणजीत सिंह चन्नी ने तो आगाह ही नहीं बल्कि शिकायत भी दर्ज कराई पर सरकारी जांज एजेंसियां सोईं रहीं.

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2016 में जरनैल सिंह भिंडरावाले, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) के अन्य नेताओं की तस्वीरों वाले एक पोस्टर में लोगों से 9 फरवरी को भिंडरावाले का जन्मदिन मनाने का आग्रह किया गया है, जिसके बाद विवाद पैदा हो गया था. आम आदमी पार्टी के नेताओं ने इससे किनारा कर लिया था. पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आप पर 'अल्पकालिक राजनीतिक लाभ के लिए विघटनकारी और अस्थिर करने वाली रणनीति अपनाने का आरोप लगाया और कहा था कि इससे अराजकता पैदा हो सकती है.' उन्होंने इंकलाब के नारे को लेकर आप पर भी निशाना साधा. अमरिंदर ने कहा कि किसी भी तरह की क्रांति की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि भारत एक स्वतंत्र देश है और किसी को भी आजादी के लिए लड़ने की जरूरत नहीं है.

अमरिंदर सिंहके बाद पंजाब के मुख्यमंत्री बने कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी ने केंद्रीय गृहमंत्री को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि सिख फॉर जस्टिस आम आदमी पार्टी के लगातार संपर्क में है और चुनावों में उसकी मदद भी कर रहा है.पत्र में लिखा गया था कि 2017 के विधानसभा चुनावों की तरह ही 2022 के चुनावों में भी ये संगठन आम आदमी पार्टी का समर्थन कर रहा है.

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चन्नी ने अपने पत्र में कहा था कि देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए ये बेहद गंभीर मामला है और उसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए. चन्नी ने अनुरोध किया था कि इस मामले में तत्काल उचित कार्रवाई की जाए. चन्नी ने अपने पत्र में ये भी लिखा था कि आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य कुमार विश्वास ने भी भी खालिस्तानी ताकतों के साथ अरविंद केजरीवाल के संबंधों को लेकर आरोप लगाए हैं. इन आरोपों की भी गंभीरता से जांच होनी चाहिए. चन्नी ने ये भी कहा था कि विभाजनकारी ताकतों के कारण पंजाब ने पहले काफी कुछ सहा है, लिहाजा इसकी गंभीरता देखते हुए कार्रवाई की जाए.

3-क्या किसी के आरोप लगा भर देने से जांच की सिफारिश हो सकती है?

एलजी की सिफारिश के अनुसार, वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव आशू मोंगिया की तरफ से मिली शिकायत के आधार पर एनआईए जांच कराने की सिफारिश की गई है. पर सबसे बड़ी बात यह है कि शिकायत में अरविंद केजरीवाल के साथी रहे मुनीश कुमार रायजादा की सोशल मीडिया पोस्ट को भी आधार बनाया गया है. आम आदमी पार्टी से अलग होने के बाद से मुनीश रायजादा लगातार अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कैंपेन चलाते रहे हैं - लेकिन एक्शन पहली बार हुआ है.सवाल यह है कि अगर किसी शिकायत के आधार पर एक्शन लिया गया तो पहले भी लोग शिकायत करते रहे हैं उन पर क्यों नहीं एक्शन लिया गया. एक बात और अगर इस तरह की शिकायतों के आधार पर एनआईए जांच होने लगे तो देश का कोई भी मुख्यमंत्री नहीं बचेगा जिसके खिलाफ जांच न बैठ जाए.क्योंकि हर मुख्यमंत्री को हटाने में दूसरी पार्टी लगी होती है.और आज कल की राजनीति में किसी को पद से हटाने के लिए किसी भी स्तर पर जाने को लोग तैयार हैं.

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4-एक आतंकवादी के लगाए आरोपों पर भारत सरकार कैसे विश्वास कर सकती है?

शिकायत में सिखफॉर जस्टिस के प्रमुख और प्रतिबंधित खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नूद्वारा जारी एक वीडियो का हवाला दिया गया है, जिसमें उसने आरोप लगाया है कि AAP को 2014 और 2022 के बीच खालिस्तानी समूहों से 16 मिलियन अमेरिकी डॉलर मिले. अगर किसी भी सूरत में गुरपतवंत जैसे लोगों की बातों पर भारत सरकार भरोसा करने लगेगा तो फिर हम किस मुंह से उसके दूसरे आरोपों का जवाब देंगे.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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