प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार मुस्लिम समुदाय को सीधे सीधे संबोधित किया है. एक इंटरव्यू के दौरान मोदी ने मुस्लिम समुदाय से चुनावी राजनीति को लेकर आत्ममंथन करने की सलाह दी है - और लगे हाथ आगाह भी किया है कि मुस्लिम समुदाय को अपनी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य का ख्याल जरूर रखना चाहिये.
मोदी ने इंटरव्यू के वीडियो क्लिप सोशल साइट X पर शेयर किया है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के बहाने वो कांग्रेस को घेरने की कोशिश कर रहे हैं और पूछते हैं, आप लोग आत्ममंथन कीजिये... आखिर सरकारी योजनाओं का फायदा कांग्रेस के जमाने में आप लोगों को क्यों नहीं मिला?
गुजरात दंगों को लेकर हमेशा ही राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर रहे प्रधानमंत्री मोदी कह रहे हैं, गुजरात में 10 साल में से 7 साल दंगे हुए थे, लेकिन 2002 के बाद गुजरात में एक भी दंगा नहीं हुआ है. जिस दौर के दंगों की तरफ मोदी ध्यान दिलाना चाह रहे हैं, उस वक्त गुजरात में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी.
मुस्लिम समुदाय को मोदी की सलाहियत
वोट बैंक के रूप में मुसलमानों का बीजेपी के खिलाफ जितना इस्तेमाल हुआ, उतना किसी और समुदाय का किसी पार्टी विशेष के खिलाफ नहीं हुआ - यही वोट बैंक कुछ पार्टियों के लिए ऑक्सीजन बन गया.
और मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण की राजनीति की काट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में लगातार विपक्ष पर हमलावर रहे हैं. लेकिन, अब उन्होंने अंतिम हथियार के रूप में सीधे मुस्लिम समुदाय से बात की है.
1. मुस्लिम समाज को पहला संबोधन: मुस्लिम समुदाय को लेकर अपने खिलाफ लगाये जाते रहे आरोपों पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है, मैं कभी पहले भी इन विषयों पर नहीं आया... मैं मुस्लिम समाज को कह रहा हूं... उनके पढ़े-लिखे लोगों को कहता हूं... आत्ममंथन करिये... सोचिये देश इतना आगे बढ़ रहा है अगर कमी आपके समाज में महसूस होती है तो क्या कारण हैं?
मुस्लिम तुष्टिकरण को लेकर कांग्रेस पर लगातार हमलावर रहे मोदी पूछ रहे हैं, क्या कांग्रेस के कालखंड में आप इस दुर्दशा के शिकार हुए हो क्या? आत्ममंथन कीजिये, और एक बार तय कीजिए... ये आपके मन में जो है कि सत्ता पर हम बिठाएंगे, हम उतारेंगे... उसमें आप अपने बच्चों का भविष्य खराब कर रहे हो.
2. अपने बच्चों के बारे में सोचे मुस्लिम समाज: मोदी की सलाहियत है, मैं मुसलमान समाज से आग्रह पूर्वक कहता हूं... कम से कम अपने बच्चों की जिंदगी का तो सोचो... अपना भविष्य तो सोचो... मैं नहीं चाहता कोई समाज बंधुआ मजदूर की तरह जिंदगी जीये.
3. न इस्लाम विरोधी हैं, न मुसलमान विरोधी: अपने ऊपर मुस्लिम विरोधी होने के इल्जाम को लेकर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सफाई दी है, हम न इस्लाम के विरोधी हैं, न हम मुसलमान के विरोधी हैं... हमारा ये काम ही नहीं है.
मुस्लिम समुदाय समझदार बताते हुए मोदी कांग्रेस को घेरने की कोशिश करते हैं, जब मैं तीन तलाक का कानून खत्म करता हूं... परम्परा खत्म करता हूं, तो मुस्लिम बहनों को लगता है - ये तो सही आदमी है.
मुस्लिम महिलाओं के बहाने मोदी कहते हैं कि जब उनकी सरकार सबको आयुष्मान कार्ड देती है, कोविड वैक्सीन देती है तो भी महिलाओं को लगता है ये तो सही आदमी है... हमारे साथ तो कोई भेद नहीं कर रहा है - और फिर राजनीतिक विरोधियों को टारगेट पर रख कर कहते हैं, इनकी परेशानी ये है कि उनका झूठ अब पकड़ा जाने लगा है... इसलिए उनको ज्यादा भ्रम फैलाने के लिए बिना सिर पैर के झूठ बोलने पड़ रहे हैं.
4. मोदी की सलाह, बीजेपी के करीब आये मुस्लिम समाज: मुस्लिम समुदाय को बीजेपी के करीब आने की सलाह देते हुए मोदी कहते हैं, कोई डरा रहा है... अगर आप बैठना-उठना शुरू करोगे... भाजपा वाले आपको डर वाले लगते हैं? अरे जाओ ना 50 लोग बैठकर भाजपा कार्यालय में एक दिन बैठे रहो निकाल देंगे क्या आपको? अब देखिये क्या चल रहा है... कौन निकाल देगा आपको... कब्जा करो न जाकर बीजेपी कार्यालय में आपको कौन रोकता है?
5. दुनिया भर में मुसलमान बदल रहा है: प्रधानमंत्री मोदी बताते हैं कि सऊदी अरब में योग आधिकारिक तौर पर पाठ्यक्रम का हिस्सा है, लेकिन अगर भारत में वो ऐसी व्यवस्था कर दें तो एंटी मुस्लिम कहा जाने लगेगा.
दुनिया भर में मुस्लिम समुदाय में आ रहे बदलाव की तरफ ध्यान दिलाते हुए मोदी कहते हैं, मैं गल्फ के देशों में जाता हूं... सारे अमीर लोग जो हैं मेरे साथ बैठते हैं, लंच या डिनर में जरूर मुझे योग के बारे में पूछते हैं... स्पेशल ऑफिशियल ट्रेनिंग लेना है तो क्या करना, कैसे करना है? कोई कहता है... मेरी पत्नी इंडिया जाती है योग सीखने... महीनों वहीं रहती है, अमीर की पत्नी कहती हैं, उनके परिवार जन आते हैं.
मोदी क्यों कर रहे हैं मुस्लिम समुदाय से संवाद?
1. मुस्लिम आरक्षण और वोट जिहाद ने वजह दी है: कर्नाटक में सभी मुस्लिमों को आरक्षण देने की बात जबसे सामने आई है, प्रधानमंत्री तभी से कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ आक्रामक हो गये हैं.मोदी का कहना है, लोग कहते हैं... कांग्रेस का हाथ, पाकिस्तान के साथ!
और फिर मुद्दे पर आ जाते हैं, अपने वोटर को अलर्ट करते हुए कहते हैं, ये मेरे परिवारजनों को तय करना है कि भारत में वोट जिहाद चलेगा या राम राज्य?
2. मोदी की बातों से क्या चुनाव में रिवर्स पोलराइजेशन होगा: राजस्थान की रैली में मुसलमानों के लिए 'ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले' और 'घुसपैठिया' तक बता डालने वाले मोदी के भाषण के बाद से बीजेपी और विपक्ष दोनों ही हिंदू-मुस्लिम को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
अगर विपक्ष बीजेपी पर वोटों के ध्रुवीकरण का आरोप लगाता है, तो बीजेपी भी बिलकुल यही चाहती है, लेकिन वो ये तो बिलकुल नहीं चाहती कि रिवर्स पोलराइजेशन होने लगे. यानी विपक्ष को एअजुट मुस्लिम वोट मिल जाये.
मुस्लिमों को आरक्षण देने की लालू यादव की वकालत तो बीजेपी के मनमाफिक ही हुआ है, लेकिन जैसे ही उनको समझ आया है, वो फिर से मंडल आयोग की सिफारिशें लागू कराने का क्रेडिट लेते हुए सफाई देने लगे हैं कि वो सामाजिक आधार पर आरक्षण के पैरोकार हैं.
3. क्या पसमांदा मुसलमानों की भाजपाई पॉलिटिक्स को अब भी तवज्जो नहीं मिल रही: 2023 के विधानसभा चुनावों से एक साल पहले ही बीजेपी की कार्यकारिणी में मोदी ने बीजेपी नेताओं को सलाह दी थी कि वे पसमांदा मुसलमानों के करीब जायें, और केंद्र सरकार की योजनाओं से मिलने वाले लाभ की चर्चा करें.
तभी से मुख्तार अब्बास नकवी जैसे नेता मिशन में जुट गये थे, और बीजेपी के कई सीनियर नेता पसमांदा सम्मेलनों में जा रहे हैं - लेकिन बीजेपी को कोई ठोस फायदा मिल रहा हो, अभी तक ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है.
4. विपक्ष के संविधान बचाओ के मुद्दे को न्यूट्रल बनाने की रणनीति: पूरा इंडिया गठबंधन लोगों को तरह तरह से समझाने की कोशिश कर रहा है कि बीजेपी सत्ता में फिर आई तो संविधान बदल देगी.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी तो नेताओं को हर वक्त पास में संविधान की कॉपी रखने की सलाह दे चुके हैं, और लोगों से संपर्क के दौरान उसे आगे रख कर अपनी बात कहने की सलाह दे रहे हैं, ताकि लोगों को ये बात न भूले कि बीजेपी सत्ता में लौटी तो संविधान बदल देगी.
तो क्या अब तक कांग्रेस के बहाने मुस्लिम समाज को मैसेज भेजने की कोशिश करते रहे प्रधानमंत्री मोदी, अब सीधे सीधे संवाद स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं? और मुस्लिम समुदाय को कांग्रेस से सतर्क रहने के लिए कह रहे हैं?
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