सैम पित्रोदा ने ओवरसीज़ कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्‍तीफा दिया लेकिन पार्टी तो सहती रहेगी नुकसान?

4 1 28
Read Time5 Minute, 17 Second

इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने विरासत टैक्स के बाद एक और विवादित बयान देकर कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया है.पित्रोदा का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह भारत के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले लोगों की तुलना इस तरह करते नजर आ रहे हैं जिससे कोई भी नाराज हो सकता है.पित्रोदा कहते हैं कि 'भारत एक अत्यंत विविधता भरा देश है, जहां पूर्वी भारत में रहने वाले लोग चीन के लोगों जैसे, पश्चिम में रहने वाले अरब जैसे, उत्तर भारत में रहने वाले श्वेतों की तरह और दक्षिण में रहने वाले अफ्रीकी लोगों की तरह दिखते हैं. लेकिन इससे फर्क नहीं पड़ता. हम सभी भाई-बहनें हैं. वे कहते हैं कि हम अलग-अलग भाषाओं, धर्मों और रीति-रिवाजों का सम्मान करते हैं. ये वही भारत है, जिस पर मेरा भरोसा है, जहां हर किसी का सम्मान है और हर कोई थोड़ा-बहुत समझौता करता है.' देखा जाए तो यह बहुत सामान्य सी बात है. हम लोग आम जीवन में इस तरह की तुलनात्मक बातें करते रहते हैं. पर जब कोई शख्स आम के बजाय खास बन जाता है तो उसकी बातचीत के कई मतलब निकाले जाते हैं. और जब चुनाव चल रहे हैं और आप देश की सबसे बड़ी पार्टी में से एक के जिम्मेदार सदस्य हैं तो आपकी जवाबदेही और बनती है कि आप क्या बोल रहे हैं?

Advertisement

शायद यही कारण है कि सैम पित्रोदा का बयान वायरल होते ही बीजेपी की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद मोर्चा संभाल लिया. तेलंगाना के वारंगल में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए सैम पित्रोदा के बयान पर कांग्रेस और राहुल गांधी को जमकर घेरा. उन्होंने कहा कि 'आज मैं बहुत गुस्से में हूं. शहजादे के एक अंकल ने आज ऐसी गाली दी है, जिसने मुझे गुस्से में भर दिया है. संविधान सिर पर रखने वाले लोग देश की चमड़ी का अपमान कर रहे हैं.' आखिर पीएम को कांग्रेस पर हमला करने का मौका किसने दिया? आखिर अभी कुछ हफ्ते ही हुए जब इनहैरिटेंस टैक्स (विरासत टैक्‍स) की बात कर सैम पित्रोदा ने कांग्रेस को सफाई देने पर मजबूर कर दिया था. 2019 के चुनाव के दौरान वे सिख दंगों को लेकर 'हुआ तो हुआ' कहकर फंस गए थे.हाला्ंकि पित्रोदा के ताजा बयान के बाद मचे बवाल के चलते उन्होंने खुद ही अपने पद से रिजाइन कर दिया. पर सवाल यही रह गया है कि कांग्रेस पार्टी में ऐसे लोगों को कंट्रोल करने के लिए सख्त कदम अगर पहले उठाए गए होते आज ऐन चुनावों के मौके पर पित्रोदा जैसे लोग पार्टी के सारे कार्यों पर पानी फेर देते हैं. पार्टी की कार्यशैली के चलते कई तरह के संदेह पैदा होते हैं जो पार्टी समर्थकों को हर्ट करते हैं.

क्या जानबूझकर कांग्रेस ऐसे लोगों को हवा देती है?

सबसे पहला सवाल यही उठता है कि क्या कांग्रेस जानबूझकर ऐसे लोगों के खिलाफ एक्शन नहीं लेती? क्योंकि यह बार-बार देखा जाता है कि कांग्रेस पार्टी में एक गलती करने वाला बार-बार वैसी ही गलतियां करता है. उन गलितयों को पार्टी उनका व्यक्तिगत मामला मानकर पल्ला झाड़ लेती है. यह भी कहती है कि उनका स्टैंड पार्टी का स्टैंड नहीं है. पर बाद में ऐसे शख्सियत जब पार्टी में पुरस्कृत होते हैं तो संदेह होना लाजिमी हो जाता है. एक उदाहरण दिग्विजय सिंह का है. दिग्विजय सिंह लगातार आतंकवादियों के प्रति हमदर्दी जताने के जाने जाते हैं. कभी ओसामा बिन लादेन और हाफिज सईद के नाम के आगे जी लगाने के लिए उनकी कड़ी आलोचना हुई थी. इसी तरह उन्होंने बाटला हाउस एनकाउंटर में भी मारे गए आतंकियों के लिए संवेदना जताई थी. हर बार वो इस तरह की गलतियां करते रहे हैं पर उनपर कोई एक्शन भी नहीं होता. अब लोकसभा टिकट से उन्हें उनकी गलतियों के लिए पुरस्कृत किया गया है.जाहिर है कि ऐसा ही विजय वेडट्टियार और चरनजीत सिंह चन्नी के साथ भी है. चरनजीत सिंह चन्नी ने एयरफोर्स हमले को ही फॉल्स ऑपरेशन की संज्ञा दे दी. विजय वेडट्टियार ने कसाब को निर्दोष करार दे दिया. इस तरह की बातें करने वालों पर कोई एक्शन नहीं होने से कई बार ऐसा लगता है कि क्या कांग्रेस में यह सब एक योजनाबद्ध तरीक से तो नहीं होता.क्योंकि दूसरी पार्टियों में इस तरह की हरकत करने वालों को तुरंत दंडित कर दिया जाता है.

Advertisement

पित्रोदा केस में ऐसा ही हुआ, उन्होंने इस्तीफा दिया है पर उन्हें दंडित नहीं किया गया है. ये बात खुद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट करके कही है कि सैम पित्रोदा का इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष ने मंजूर कर लिया है पर उन्होंने इस्तीफा अपनी मर्जी से दिया है. मतलब सीधा है कि कांग्रेस ने एक्शन नहीं लिया है पित्रोदा खुद अलग हो गए हैं.

क्या कांग्रेस सभी को साधने के चक्कर में किसी को भी नहीं साध पाती?

कांग्रेस में अकसर ऐसा देखा गया है कि किसी खास मुद्दे पर ठीके एक दूसरे से विरोधी विचार सामने आते हैं. और एक साथ आते हैं. द्रमुक नेता उदयनिधि मारन के सनातन को डेंगू मलेरिया कहने के बाद कांग्रेस में एक साथ कई विचार आए. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के पुत्र प्रियांक खरगे को उदयनिधि मारन की बातों में कोई बुराई नहीं दिखी. पर ठीक उसी समय मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने इसका खंडन किया. देशभर में दर्जनों ऐसे नेताओं के बयान आए जो मारन की बातों से यकीन नहीं रखते थे. तो बहुत से लोगों ने सीधे मारन और खरगे को सपोर्ट किया. इसी तरह राम मंदिर के मुद्दे पर पूरी पार्टी में अलग-अलग विचार सामने आते रहे. कोई समर्थन में था तो कोई इसके विरोध में . कोई भी पार्टी इस तरह के विचारों पर एक मत नहीं है तो निश्चित है कि उसके समर्थकों में कन्फ्यूजन पैदा होगा. पर कांग्रेस नेताओं को लगता है कि इस तरह एक ही मुद्दे पर अलग-अलग विचार करके सभी विचार वालों को पार्टी चुनावों में साध लेगी. पर जब जनता के सामने विकल्प को रूप मे ऐसी पार्टियां रहेंगी जो एक विचार पर पूरी शिद्दत से लगी हुई हैं तो जनता ऐसे ढुलमुल विचार वाले के साथ क्यों जाएगी.

Advertisement

क्या कांग्रेस अपनी छवि लिबरल रखने के लिए ऐसा करती है?

Advertisement

यह सही है कि लोकतंत्र में एक आदर्श स्थिति यह है कि पार्टी के अंदर सभी लोगों को अपने विचार प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता हो. इस लिहाज से देखा जाए तो यह सही है. पर विचार स्वतंत्रता के नाम पर पार्टी के मूल विचारों से अलग होने की स्वतंत्रता तो नहीं ही दी जा सकती है. ब्रिटेन और अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देशों में पार्टी के अंदर विचारों की स्वतंत्रता दे जाती है. पर पार्टी की मूल विचारधारा को जब कोई पार करने लगता है तो उसे पार्टी से अलग ही होना होता है. जैसे कांग्रेस एक राष्ट्रवादी धर्मनिरपेक्ष पार्टी होने का दावा करती है.पर जब राष्ट्रवाद से इतर बात करने वाले या धर्मनिरपेक्षता को नकारने वाले लोग अपनी बात रखने लगते हैं उसे कंट्रोल करना जरूरी हो जाता है. पर कांग्रेस के अंदर ऐसा होता. इसलिए ऐसा लगता है कि छवि को लिबरल रखने के लिए नहीं बल्कि पार्टी में अनुशासन की कमी के चलते ऐसा होता है.

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

लोकसभा चुनाव: आज 5वें चरण के लिए मतदान, 695 उम्मीदवारों की किस्मत का होगा फैसला, चुनावी मैदान में कई दिग्गज

नई दिल्ली: देश मेंसात चरणों में कराए जा रहे लोकसभा चुनावों के तहत आज 5वें चरण की वोटिंग है। इस चरण में आठ राज्यों की 49 लोकसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। इसके लिए चुनाव आयोग ने पूरी तैयारी कर ली है। बढ़ती गर्मी को देखते हुए भी आयोग ने तमाम पो

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now