स्कूलों में धमकीभरे ईमेल की भाषा इस्लामिक स्टेट जैसी, कहां है ISIS, सालभर में कितने हमलों का जिम्मा ले चुका?

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बुधवार का दिन दिल्ली-एनसीआर के लिए हलचल से भरा रहा. बहुत से स्कूलों को धमकीभरे ईमेल आए, जिनमें कैंपस में बम रखा होने की बात थी. हालांकि पुलिस की फुर्ती से कोई दुर्घटना नहीं हुई, न ही किसी स्कूल में विस्फोटक बरामद हुआ. इस बीच कई चीजें इशारा कर रही हैं कि अफवाह के पीछे ISIS जैसे आतंकी संगठन का हाथ हो सकता है. धमकी भले ही खोखली थी, लेकिन इससे ISIS का एक्टिव होना एक बार फिर साबित हो गया. जानिए, किन देशों में अब भी जिंदा है इस्लामिक स्टेट.

इस्लामिक स्टेट की गतिविधियां हो रहीं ट्रैक

अमेरिकी थिंक टैंक- वाशिंगटन इंस्टीट्यूट ने एक एक्टिविटी ट्रैकर बनाया, जो अनुमान लगाता है कि ISIS कहां और किन तरीकों से काम कर रहा है. ये अंदाजा उसके हमलों के पैटर्न या हमलों की जिम्मेदारी के आधार पर लगाया जा रहा है. पिछले साल मार्च में ये रिसर्च शुरू हुई,एक सालबाद जो दिख रहा है वो डराने के लिए काफी है.

हजार से ज्यादा हमले कर चुका

सालभर के भीतर खुद इस्लामिक स्टेट ने ही 1,121 हमलों की जिम्मेदारी ली. इन हमलों में 4,770 लोग मारे गए या जख्मी हुए. इनकी जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट वेस्ट अफ्रीका प्रोविंस (ISWAP) ने ली.

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इन देशों से ऑपरेट हो रहा

इस हिस्से में बेनिन , बुर्किना फासो , केप वर्डे , गाम्बिया , घाना , गिनी , गिनी-बिसाऊ , आइवरी कोस्ट , लाइबेरिया , माली, नाइजर और नाइजीरिया जैसे देश आते हैं. इसके अलावा सीरिया, इराक और सेंट्रल अफ्रीका में भी इसके एक्टिव होने की बात मानी जा रही है. खुरासान इलाका जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और उत्तर-पूर्वी ईरान में आता है, वहां भी आतंकी काफी सक्रिय हो चुके. यहां हमलों में कैजुएलिटी भी काफी ज्यादा है.

islamic state of iraq and syria where is isis now amid delhi ncr school bomb threat photo Reuters

किस तरह से कर रहा काम

इस्लामिक स्टेट इराकऔर सीरिया में फैला हुआ था, तब आतंकियों का आपस में कोऑर्डिनेशन आसान था. अब ये दुनिया के कई देशों में काम कर रहा है, वो भी काफी हद तक छिपकर. ऐसे में काम को अंजाम देने और खुद को मजबूत बनाए रखने का उनका आजमाया हुआ पैटर्न है. आतंकी गांवों या ऐसे इलाकों को पहले टारगेट करते हैं, जहां सरकार की पकड़ कमजोर हो. ऐसे इलाके गरीबी-महंगाई की चपेट में होते हैं. ये लोग जल्दी बहकावे में आ जाते हैं. यानी उनकी सोच बदलकर चरमपंथ के रास्ते पर लाना खास मुश्किल नहीं.

स्थानीय गुटों को अपना प्रतिनिधि बना रहा

वाशिंगटन की मीडिया कंपनी नेशनल पब्लिक रेडियो ने भी इसपर काम किया कि इस्लामिक स्टेट अब कैसे अपने पैर जमा रहा है. इसके अनुसार, वो अलग देशों में पहले से काम कर रहे आतंकी संगठनों को साठगांठ करने लगा. ये छुटभैये गुट थे, जो छोटे-मोटे कामों से उगाही किया करते. इस्लामिक स्टेट ने उन्हें चरमपंथ की तरफ जाने को कहा. ये संगठन स्पिलिंटर ग्रुप कहलाने लगे, यानी एक तरह की ब्रांच. सीरिया और इराकमें जब सेनाओं ने आतंक को मिटाने की मुहिम चलाई, बचे हुए आतंकी यहां से ऑपरेट करने भाग निकले.

ये संगठन सीधे पाते रहे मदद

कई ऐसे आतंकी संगठन भी हैं, जिन्हें ISIS से सीधा सपोर्ट मिलता रहा. जैसे इस्लामिक स्टेट इन ग्रेटर सहारा (ISGS) को इस्लामिक स्टेट से फंडिंग और हथियार भी मिलते रहे. इसके अलावा इस्लामिक स्टेट इन वेस्ट अफ्रीका (ISWA) भी चड, कैमरून और नाइजर में एक्टिव है. ये भी इस्लामिक स्टेट का हिस्सा हैं.

islamic state of iraq and syria where is isis now amid delhi ncr school bomb threat photo AFP

कहां से आते हैं पैसे?

इस्लामिक स्टेट के पास पैसों के कई स्रोत हुआ करते थे, लेकिन साल 2019 में सीरिया और इराक से उखाड़े जाने के बाद इसमें थोड़ी रुकावट आई. लेकिन जल्दी ही अफ्रीका में कई सोर्सेज बनाए गए, जहां से पैसों की सप्लाई होती रहे. इसमें सबसे ऊपर है तस्करी. लीबिया, नाइजीरिया और बुर्किना फासो में सोने के भंडार हैं. साथ ही यहां तेल भी भरपूर मिलता है. तो ISIS ने इनकी तस्करी शुरू कर दी. अफ्रीकी संस्थान इंस्टीट्यूट फॉर सिक्योरिटी सर्विसेज की रिपोर्ट के मुताबिक, तस्करी में फिलहाल सबसे आगे आतंकी संगठन ही है.

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अमीरों से होने लगी उगाही

उत्तरपूर्वी अफ्रीकी देशों में फंडिंग का अलग ही तरीका खोजा गया. वहां चरमपंथी संगठन बड़े व्यापारियों पर टैक्स लगाते हैं. ये टैक्स सरकारी टैक्स से अलग होता है, मतलब एक किस्म की उगाही होती है. लेकिन ISIS और उसकी तरह से सोच वालों को भारी पैसे सहानुभूति में भी मिलते हैं.

बहुत से लोग हैं, जो मन ही मन में ISIS की आइडियोलॉजी को पसंद करते हैं. वे चाहते हैं कि दुनिया में इस्लामिक चरमपंथ का राज हो जाए, लेकिन ये बात कह नहीं पाते. ऐसे में वे उन्हें फंडिंग करने लगते हैं. इसके अलावा भी कई स्त्रोत हैं, जहां से पैसे आते रहे, जैसे डकैती और अपहरण.

लगभग 50 देशों में हो चुकीं कई गिरफ्तारियां

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साल 2019 में इस्लामिक स्टेट को खत्म करने के लिए भारी मुहिम चला चुका अमेरिका अब अलर्ट है. वो पिछले साल से ही कई ऐसे अमीरों पर पाबंदी लगा चुका, जिनकी सोच इस्लामिक स्टेट वाली है. साथ ही कई अरेस्ट हो रहे हैं. वॉशिंगटन इंस्टीट्यूट के मुताबिक, पिछले सालभर के भीतर 49 देशों में 470 मामले दिखे, जिसके तार कहीं न कहीं इस्लामिक स्टेट से मिलते हैं.

इन 470 मामलों में भी अलग-अलग गुट अलग काम देख रहे हैं. जैसे कोई अटैक की प्लानिंग की जिम्मेदारी लेता है, कोई सोशल मीडिया से चरमपंथी सोच फैलाता है, तो कोई फॉरेन फाइटर्स की तैनाती में लगा हुआ है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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