Sher Singh Ghubaya- फिरोजपुर की पिच पर रोचक हुआ मुकाबला, कांग्रेस ने खोल दिए पत्ते; अब बीजेपी किसपर लगाएगी दांव?
सत्येन ओझा, फिरोजपुर।आखिरकार कांग्रेस पार्टी ने भी लंंबे इंतजार के बाद फिरोजपुर लोकसभा क्षेत्र के लिए अपने पत्ते खोल दिए हैं। सुखबीर सिंह बादल के हाथों पिछले लोकसभा चुनावों में हारे शेर सिंह घुबाया पर एक बार फिर भरोसा जताया है।
सत्येन ओझा, फिरोजपुर।आखिरकार कांग्रेस पार्टी ने भी लंंबे इंतजार के बाद फिरोजपुर लोकसभा क्षेत्र के लिए अपने पत्ते खोल दिए हैं। सुखबीर सिंह बादल के हाथों पिछले लोकसभा चुनावों में हारे शेर सिंह घुबाया पर एक बार फिर भरोसा जताया है।
जिलाध्यक्ष कुलबीर सिंह जीरा को खडूर साहिब सीट पर उतारने के बाद कांग्रेस को दमदार प्रत्याशी की जरूरत थी। हालांकि, पूर्व आईपीएस अधिकारी गुरिंदर सिंह ढिल्लों को पार्टी में शामिल करने के बाद कांग्रेस में ये चर्चा जरूर शुरू हुई थी कि वे पार्टी प्रत्याशी बन सकते हैं। लेकिन फिरोजपुर लोकसभा चुनाव में उनका आधार ऐसा नहीं था कि वे मजबूत प्रत्याशी साबित हो पाते।
घुबाया का पुराना अनुभव है, दो चुनावों में वे दिग्गजों को हरा चुके हैं, यही बात उनके पक्ष में मजबूत रही है। एक दिन पहले ही घुबाया ने जिस प्रकार फिरोजपुर लोकसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था, उसी समय से ये माना जाने लगा था कि घुबाया पर ही पार्टी दोबारा दांव खेल सकती है। हुआ भी वही आखिरकार मंगलवार को पार्टी ने उन्हें आधिकारिक रूप से प्रत्याशी घोषित कर दिया।
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घुबाया के आने से रोचक हुआ 'फिरोजपुर' का मुकाबला
लेकिन मंगलवार को आखिरकार कांग्रेस कमेटी ने प्रत्याशी को लेकर चल रहीं अटकलों पर विराम लगा दिया है। घुबाया के आने से अब फिरोजपुर लोकसभा सीट की स्थिति रोचक बनेगी, अभी तक आम आदमी पार्टी ने काका बराड़ के रूप में जो प्रत्याशी की घोषणा की है। लोकसभा चुनाव में वे नया चेहरा हैं। हालांकि, विधानसभा क्षेत्र मुक्तसर साहिब से विधायक हैं, लेकिन लोकसभा का दायरा नौ गुना ज्यादा बड़ा है, घुबाया तीन बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं, ऐसे में पूरी विधानसभा क्षेत्र में वे जाना पहचाना चेहरा हैं। उन पर कोई दाग भी नहीं है।
भाजपा भी कांग्रेस प्रत्याशी की घोषणा का इंतजार कर रही थी, अब किसी भी समय में भाजपा के प्रत्याशी के रूप में रमिंदर आवला की घोषणा हो सकती है। अकाली दल की टिकट पर शेरसिंह घुबाया साल 2009 व 2014 में फिरोजपुर से लोकसभा पहुंच चुके हैं।
साल 2019 के चुनाव में उन्होंने तब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ को चुनाव में बराया था, इससे पहले उन्होंने कांग्रेस के ही एक अन्य दिग्गज जगमीत बराड़ को हराकर पहली बार लोकसभा पहुंचे थे। इस बार भी उनका दावा शुरू से ही मजबूत माना जा रहा था।
भाजपा किस पर लगाएगी दांव?
फिरोजपुर लोकसभा सीट पर अब सिर्फ भाजपा के प्रत्याशी की घोषणा का इंतजार है। पार्टी सूत्रों की मानें तो भाजपा सिर्फ कांग्रेस प्रत्याशी की घोषणा का इंतजार कर रही थी। भाजपा को डर था कि अगर उन्होंने पार्टी प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस के पूर्व विधायक रमिंदर आवला के नाम की घोषणा कर दी तो पार्टी के दूसरे प्रबल दावेदार राना गुरमीत सिंह सोढी पार्टी से विद्रोह कर कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी की घोषणा के बाद अब ये संभावना भी खत्म हो गई।
ऐसा भी माना जा रहा है कि अभी भी भाजपा के प्रत्याशी को लेकर दिल्ली में पेच फंसा नजर आ रहा है। उधर, गुरमीत सिंह सोढ़ी की दावेदारी भी अभी कमजोर नहीं है। इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि अगर पार्टी रमिंदर आवला को अपनी प्रत्याशी बनाकर जीतने का लक्ष्य निर्धारित करती है तो राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी को कोई और बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है, पार्टी उनकी अनदेखी नहीं कर सकती है। उन्हें फिरोजपुर लोकसभा चुनाव की रणनीति में भी शामिल किया जा सकता है।
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