विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। कांग्रेस के साथ महागठबंधन के दूसरे घटक दल भी उनकी (राहुल गांधी और प्रियंका गांधी) चुनावी सभाओं की अपेक्षा जता रहे हैं, लेकिन उन दोनों के पास बिहार के लिए समय नहीं। यह उलाहना नहीं, बल्कि वास्तविक स्थिति है। बिहार में तो अब तक राहुल की एकमात्र सभा हुई है और आगे छठे चरण से पहले कोई संभावना भी नहीं।
अलबत्ता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे चौथे और पांचवें चरण में पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में जनसभा के लिए दूसरी बार बिहार आने वाले हैं। 40 संसदीय क्षेत्रों वाले बिहार में चुनावी प्रक्रिया सात चरणों में पूरी होनी है। चौथा चरण अपने समापन की ओर है। कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार-प्रसार के लिए खरगे फिर भी समय निकाल ले रहे हैं, लेकिन राहुल को दक्षिणी और प्रियंका को उत्तरी राज्यों से ही फुर्सत नहीं।
खरगे ने अकेले ही संभाला मोर्चा
उन राज्यों में दोनों की इतनी अधिक मांग है और वहां बिहार की तुलना में कांग्रेस के लिए संभावना भी अपेक्षाकृत अधिक है। इसके अलावा वहां बिहार की तरह गठबंधन में खटराग भी नहीं। बहरहाल, बिहार में प्रचार-प्रसार का दायित्व अघोषित रूप से खरगे को सौंप दिया गया है।
11 मई को खरगे समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। यह उनकी क्रमश: तीसरी-चौथी सभा होगी। पहले चरण में कटिहार और किशनगंज में उनकी दो सभाएं हो चुकी हैं। बिहार में महागठबंधन के बैनर तले कांग्रेस मात्र नौ संसदीय क्षेत्रों में चुनाव लड़ रही। उनमें से एकमात्र भागलपुर में राहुल गांधी की जनसभा हुई है, जहां दूसरे चरण के अंतर्गत मतदान संपन्न हो चुका है।
दूसरे चरण में कांग्रेस के खाते की तीन सीटों पर चुनाव हो जाने के बाद उसकी दावेदारी की चौथी सीट समस्तीपुर में चौथे चरण में मतदान होना है। पांचवें चरण में कांग्रेस मुजफ्फरपुर के मैदान में हैं। इन सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी खरगे से पहले राहुल और प्रियंका की जनसभा की अपेक्षा जताए थे।
राहुल गांधी क्यों नहीं आ रहे बिहार?
अंदरूनी सूत्र बता रहे कि अतिशय व्यस्तता के साथ महागठबंधन की पैंतरेबाजी के कारण भी राहुल बिहार में बहुत अभिरुचि भी नहीं ले रहे। दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का प्रचार धुआंधार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अभी तक सात सभाएं कर चुके हैं। 11 व 12 मई को वे तीन जनसभाओं के साथ पटना में रोड-शो कर बिहार विजय का संकल्प दोहराने वाले हैं।
आइएनडीआइए के आकार लेते ही नीतीश कुमार के छिटक जाने से बिहार में शुरुआती दौर में ही चुनावी संभावना का फलक प्रभावित हो गया। तब यह समझा गया कि सीटों पर समझौते की अड़चन समाप्त हो गई है, लेकिन कांग्रेस को अटकाए-भटकाए रखने के लिए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने अपनी तरह की मनमानी की।
पहले चरण के नामांकन की अंतिम तिथि के अगले दिन महागठबंधन के घटक दलों की सीटें घोषित हुईं। हालांकि, तब तक राजद के लगभग आधा दर्जन प्रत्याशियों को सिंबल दिए जा चुके थे और अघोषित रूप से वाम दलों के प्रत्याशी भी मैदान में उतर चुके थे। अपने इस तिकड़म से राजद ने पहले चरण में कांग्रेस की संभावना वाला औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र अपने हिस्से में झटक लिया।
उसके बाद पूर्णिया पर पेच फंसाया और कन्हैया कुमार के लिए बेगूसराय सीट भी नहीं छोड़ी। इन सबसे केंद्रीय नेतृत्व का मन कुछ खट्टा हो गया। फिर भी राहुल भागलपुर में जनसभा के लिए पहुंचे। तेजस्वी ने मंच साझा तो किया, लेकिन पूर्णिया की राजद प्रत्याशी बीमा भारती का भागलपुर में मंचस्थ होना कांग्रेस नेतृत्व को अनमना कर देने वाला निर्णय रहा। अंदरूनी सूत्र बता रहे कि राजद की इन हरकतों से राहुल ने लोकसभा चुनाव तक बिहार से मुंह फेर लिया है।
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