सावधान! अगर प्रोडक्ट्स में हैं ये केमिकल्स तो हो सकती है कैंसर की बीमारी

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भारत समेत पूरी दुनिया में कैंसर के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है.नेशनल सेंटर ऑफ डिसीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च के 2024 के रिपोर्ट के मुताबिक देश में कैंसर के14 लाख नए मामले साल 2022 में दर्ज किए गए. हर 9 में एक व्यक्ति कैंसर की बीमारी से जूझ रहा है. स्मोकिंग और शराब का सेवन इस खतरे को और बढ़ा रहे हैं.

हाल ही में सिंगापुर नेएमडीएच और एवरेस्ट के कुछ प्रोडक्ट्स को यह कहकर बैन कर दिया कि इसमें कैंसर को बढ़ावा देने वाले केमिकल्स पाए गए हैं. ऐसे में जब भी आप कोई भी प्रोडक्ट्स खरीदने जा रहे हैं तो उसमें इस्तेमाल किए गए इंग्रेडिएंट्स को बारे में जरूर पता कर लें. हम आपको बता रहे हैं कि तरह-तरह के प्रोडक्ट्स के पाए जाने वाले कौन से केमिकल्स आपको कैंसर का संभावित मरीज बना सकता है.

कोल टार

कोल टार कोल प्रोसेसिंग के वक्त बनने वाला बाय प्रोडक्ट है.हेयर डाई, शैंपू समेत कई स्किन प्रोडक्ट्स में इसका इस्तेमाल किया जाता है. अगर आपइन प्रोडक्ट्स का रेगुलर इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है. इसके अलावा इनकाअधिक इस्तेमाल लंग्स, ब्लेडर और किडनी पर भी बुरा असर डाल सकता है. EPA और IARC जैसे कोल टार युक्त को कैंसर के खतरा बढ़ाने वाला प्रोडक्ट माना है.

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पैराबेन

पैराबेनका इस्तेमालकॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स के लंबी लाइफ के लिएइस्तेमाल किया जाता है. साबून, शैंपू,शेविंग क्रीम और प्रोसेस्ड फूड में यह पाया जाता है.पैराबेन केमिकल्स हमारे हार्मोन्सऔर फर्टिलिटी पर भी बुरा असर डालता है. इससे युक्त प्रोडक्ट्स का इस्तेमालब्रेस्ट कैंसरजैसी खतरनाक बीमारी का संभावित मरीज बना सकता है. ऐसे में जब भी कोईकॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स या फिर प्रोसेस्ड फूड खरीदने जाएं तो ये जरूर सुनिश्चित कर लें कि वहपैराबेन फ्री हो या फिर उसमें पैराबेन की जगहमिथाइल ,इथाइल और प्रोपाइल पैराबेन का इस्तेमाल किया गया हो.

पैथालेट्स

पैथालेट्स जैसे केमिकल्स का इस्तेमाल सिंथेटिक फ्रेगनेंस जैसे परफ्यूम, हेयर स्प्रे और नेल पॉलिस में उपयोग किया जाता है. यह आपके हार्मोन्स को बुरी तरहप्रभावित करता है. साथ ही ये ब्रेस्ट कैंसर को बढ़ावा देताहै. ऐसे में जब इस तरह का प्रोडक्ट खरीदने जाएं तो उन्हीं कंपनियोंको तरजीह दें जिन्होंने उसे बनाने के लिए इस्तेमाल किए कंपोजिशन को रिवील किया है.

फॉर्मेल्डिहाइड

फॉर्मेल्डिहाइड तेज गंध वाला एक कलरलेस गैस है जो बिल्डिंग मैटेरियल्स, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल इंडस्ट्री के प्रोडक्ट्स को बनाने मेंइस्तेमाल किया जाता है. IARC (इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर)जैसी संस्थाओंने भी माना है कि येनासॉफिरिन्जियल कैंसर और ल्यूकेमिया जैसी बीमारियां होनेकी वजह बन सकता है. ऐसे में इससे संबंधितप्रोडक्ट्स को खरीदते वक्त ध्यान रखें कि इसमें फॉर्मेल्डिहाइड गैस का तो उपोयग नहीं किया गया है.

एक्रिलामाइड

एक्रिलामाइड नाम का केमिकल्स फूड्स में तब पाया जाता है जब उसे अधिक टेंपरेचर पर फ्राई या फिर बेक किया जाता है. कई स्टडीज में ये बात सामने आई है किएक्रीमीलाइड का जानवरों पर भी बुरा प्रभाव है. साथ ही इंसानों में भी यह कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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