रिश्तेदारों ने पैसे दिए, कोटा ने हौसला... गरीब परिवार के बेटे ने इन हालात में क्लियर किया JEE Mains

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राजस्थान को कोचिंग हब कहा जाने वाला कोटा शिक्षा के साथ संघर्ष का हौसला भी देता है, हालात से लड़ना और आगे बढ़ना सीखता है. जेईई मेन्स के परिणामों (JEE Mains Result 2024) में इसके कई उदाहरण देखने को मिले हैं. उन्हीं में से एक उदाहरण है गरीब परिवार के राहुल कुमार साहू का, जिन्होंने कोटा में रहकर अपनी तकदीर बनाई है. कोटा उनके साथ ऐसे समय पर खड़ा रहा जब उन्हें सबसे ज्यादा जरूरत थी. राहुल ने कोटा में रहकर तैयारी की और जेईई मेन्स की परीक्षा पास की है.

पता नहीं था क्या होता है जेईई?
राहुल ने बताया कि मेरी मैथ्स शुरू से अच्छी है. इंजीनियर बनना चाहता था लेकिन पता नहीं था कि इसके लिए क्या करना होता है. फिर इंटरनेट से जानकारी जुटाई तो पता चला कि इसके लिए जेईई परीक्षा देनी होती है. फिर इसकी तैयारी करने का निर्णय लिया. स्कूल में टीचर्स ने बताया कि जेईई और नीट की तैयारी के लिए एलन के बारे में जानकारी ली और साल 2022 में कोटा आ गया. मेरे लिए यह आसान नहीं था लेकिन ‘जहां चाह होती है, वहां राह अपने आप बन जाती है’.

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रिश्तेदार भेजते थे खाने के पैसे
राहुल ने कहा कि हमारे परिवार में पहले कोई भी इंजीनियर नहीं बना. पिता सिर्फ 10वीं व मां 12वीं तक पढ़ी हैं. मेरे पिता सरोज कुमार साहू की अंगुल में ही छोटी सी थड़ी है. इसी पर परिवार निर्भर है. मां ज्योत्सना मयी साहू गृहिणी हैं और परिवार बीपीएल श्रेणी में है. राहुल ने बताया कि जब मेरे कोटा जाने के निर्णय के बारे में पता चला तो रिश्तेदारों ने खुद आगे आकर मदद करने की पहल की. पहले फीस का इंतजाम किया. इसके बाद हर महीने किराए के एवं खाने के पैसे भी रिश्तेदार पैसे जोड़कर मुझे भेज देते हैं.

इंजीनियर बनने के लिए राहुल कोटा आया
कोटा से हजार किलोमीटर दूर ओडिशा के अंगुल जिले के गरीब परिवार ने एक सपना देखा और उसे सच करने कोशिश की. कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद इंजीनियर बनने के लिए राहुल कोटा आया. यहां एलन करियर इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया. संस्थान में अपनी स्थिति बताई तो फीस में 50 प्रतिशत की रियायत मिली और सफर आगे बढ़ा. मेहनत में कसर नहीं छोड़ी लेकिन जब टेस्ट के परिणाम अपेक्षानुरूप नहीं आने लगे तो राहुल परेशान हो गया. जैसे-तैसे एक साल पूरा हुआ.

परीक्षा दिए बिना घर जाने की कर ली थी तैयारी

राहुल को लगा कि वो लक्ष्य हासिल नहीं कर सकेगा और पापा की गाढ़ी कमाई भी खराब हो जाएगी. उसने पापा से बात की और वापस लौटने का फैसला ले लिया. परीक्षा में शामिल हुए बिना ही वापस जाने के इस फैसले के संबंध में जब संस्थान में काउंसलर्स को बताया तो उन्होंने समझाया. मोटिवेट किया और संघर्ष से सफलता तक के कई उदाहरणों के माध्यम से प्रेरित किया.

एलन ने की मदद
राहुल ने कहा कि साल 2022 में कोटा आने के बाद एडमिशन लेने एलन आया तो यहां मैंने अपनी स्थिति के बारे में बताया. मेरी लगन और पुराने अकादमिक रिकॉर्ड को देखते हुए पहले साल मुझे संस्थान ने फीस में 50 प्रतिशत की रियायत दी. इसके बाद दूसरे साल भी रियायत दी. 10वीं कक्षा में इंटरनेशनल मैथेमेटिकल ओलंपियाड में गोल्ड मैडल जीता हूं.

जब कमरा खाली करके बांध लिया था बिस्तर
राहुल ने बताया कि साल 2023-24 में अक्टूबर माह में आमदनी घट गई तो आर्थिक स्थिति कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई थी. टेस्ट में मेरी परफॉर्मेंस भी डाउन हो गई थी. पापा ने मुझे पढ़ाने में असमर्थता जता दी. मेरे पास भी कोई रास्ता नहीं था. इसलिए कोटा से जाने का निर्णय लेना पड़ा और कमरा खाली कर दिया था. यह बात एलन में फैकल्टीज को पता चली तो उन्होनें मुझे बुलाया और कहा कि ‘कोटा निराश करके नहीं भेजता, अगर तुमने मेहनत की तो सपना जरूर साकार होगा.’ इसके बाद मुझे संस्थान ने फीस में रियायत दी. जिससे मुझे सहारा मिला और कोटा में रह सका. फिलहाल जेईई एडवांस्ड की तैयारी कर रहा हूं. आईआईटी जाने का सपना सच करना है.

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जेईई मेन्स में राहुल को मिले 99 परसेंटाइल
राहुल और उसके पिता को लगा कि परीक्षा में शामिल तो होना चाहिए, फिर फैकल्टीज के सहयोग और नई प्रेरणा के साथ राहुल फिर से मेहनत करने में जुट गया. संघर्ष से इस सफलता का परिणाम भी सकारात्मक रहा. ओडिशा के अंगुल जिले के गरीब परिवार से आने वाले राहुल कुमार साहू ने जेईई मेन्स में एलन के छात्र राहुल ने 99 परसेंटाइल स्कोर के साथ आल इंडिया रैंक 17873 और ओबीसी कैटेगिरी रैंक 4459 प्राप्त की. अब वे जेईई एडवांस्ड की तैयारी कर रहे हैं. उनका लक्ष्य आईआईटी से बीटेक करना है.

कोटा भविष्य बनाता है
राहुल की सफलता के बाद एलन इंस्टीट्यूट के निदेशन नवीन माहेश्वरी ने कहा कि कोटा में पढ़ने वाले स्टूडेंट के लिए बहुत कुछ है. राहुल जैसे कई विद्यार्थी हैं जो प्रयास करते हैं और सफल होकर कोटा से जाते हैं. कोटा भविष्य बनाता है, यहां आकर विद्यार्थी को शिक्षा ही नहीं संघर्ष करने का हौसला भी सिखाया जाता है. यही कारण है कि इसे करियर और केयर सिटी कहते हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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