नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू होने के बाद अब शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता मिलनी शुरू हो गई है. बुधवार को 14 लोगों को नागरिकता का सर्टिफिकेट सौंपा गया. ये पहली बार है, जब सीएए के तहत नागरिकता दी गई है.
इन 14 लोगों को गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने नागरिकता के सर्टिफिकेट हैंड टू हैंड दिए. न्यूज एजेंसी ने बताया कि कई सैकड़ों और लोगों को भी ईमेल के जरिए सर्टिफिकेट भेजा गया है.
गृह मंत्री अमित शाह ने X पर लिखा, 'सीएए के माध्यम से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़नाओं के कारण भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भाई-बहनों को भारत की नागरिकता मिलनी शुरू हो गई है.'
11 साल पहले पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आए भरत कुमार ने नागरिकता मिलने पर कहा कि इससे उन्हें नई जिंदगी मिल गई है. भरत जब 13 साल के थे, तब उनका परिवार भारत आ गया था. उनका परिवार दिल्ली के मजनू का टीला में रहता था.
सीएए के कानून बनने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और ईसाई धर्म के ऐसे लोगों को भारतीय नागरिकता मिलना आसान हो गया है, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आ चुके थे.
बहरहाल, नागरिकता का सर्टिफिकेट मिलने के बाद इन लोगों की जिंदगी में काफी बदलाव भी आने वाला है. सबसे बड़ा फायदा तो यही होगा कि इनके पास अब स्थायी पहचान होगी. अब तक जो लोग शरणार्थी के तौर पर रह रहे थे, अब वो भारतीय नागरिक के रूप में रहेंगे. इसके साथ ही अब इन्हें भी वो सब अधिकार मिल जाएंगे, जो एक भारतीय नागरिक के पास हैं.
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भारतीय नागरिकता मिलने के फायदे क्या?
1. वोट डाल सकेंगेः चुनाव में वोट डालने का अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों को ही है. भारतीय नागरिकता मिलने बाद इन तीन मुल्कों से आए गैर-मुस्लिम भी वोट डाल सकेंगे.
2. चुनाव लड़ सकेंगेः भारत में चुनाव लड़ने के लिए जरूरी शर्तों में से एक भारतीय नागरिकता भी है. भारत में वही व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है, जो भारत का नागरिक हो.
3. संवैधानिक पद ले सकेंगेः किसी भी प्रवासी, शरणार्थी या फिर विदेशी नागरिक को भारत में संवैधानिक पद नहीं मिल सकता था. मगर भारतीय नागरिकता मिलने से ये बाध्यता हट जाएगी.
4. सरकारी योजनाओं का लाभः राज्य या फिर केंद्र सरकार की ओर से चलने वालीं योजनाओं और कार्यक्रम का लाभ सिर्फ भारतीय नागरिक ही ले सकते हैं.
5. मौलिक अधिकारों का फायदाः भारतीय संविधान के तहत भारतीय नागरिकों को कुछ मौलिक अधिकार मिले हुए हैं. भारतीय नागरिकता मिलने के बाद इन गैर-मुस्लिमों को भी मौलिक अधिकारों का फायदा मिल सकेगा.
कुछ पाबंदियां भी रहेंगी?
संविधान के तहत, भारत का नागरिक कहीं भी जाकर बस सकता है. लेकिन संविधान की छठी अनुसूची में पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए कुछ विशेष प्रावधान किए गए हैं. इसके तहत भारत का नागरिक इन पूर्वोत्तर राज्यों में न तो जमीन खरीद सकता है और न ही स्थायी रूप से बस सकता है. पूर्वोत्तर राज्यों में जमीन खरीद-बेचने और स्थायी रूप से बसने का अधिकार यहां के मूल निवासियों को ही है.
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क्या है भारतीय नागरिकता पर कानून?
भारत में नागरिकता लेने और रद्द करने को लेकर 1955 से कानून है. इस कानून में एकल नागरिकता का प्रावधान है. यानी, भारत का नागरिक किसी और देश की नागरिकता नहीं ले सकता.
इस कानून में अब तक कई बार संशोधन हो चुके हैं. 2019 में आखिरी बार संशोधन हुआ था. इससे पहले 1986, 1992, 2003, 2005 और 2015 में इसमें संशोधन किया जा चुका है. इस कानून के तहत, भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए पांच प्रावधान हैं...
- पहला प्रावधानः 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद भारत में जन्मा कोई भी व्यक्ति भारतीय नागरिक है. इसमें एक प्रावधान ये भी है कि 1 जुलाई 1987 के बाद जन्मा कोई भी व्यक्ति भारतीय नागरिक है, बशर्ते उसके जन्म के समय माता या पिता में से कोई एक भारत का नागरिक हो.
- दूसरा प्रावधानः वंश के आधार पर. यानी, अगर किसी व्यक्ति का जन्म भारत के बाहर हुआ हो, लेकिन उसके जन्म के वक्त माता या पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक हो. हालांकि, विदेश में जन्मे बच्चे का सालभर के भीतर भारतीय दूतावास में रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है.
- तीसरा प्रावधानः भारतीय मूल का कोई व्यक्ति अगर भारत में 7 साल से रह रहा हो तो वो नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है. किसी व्यक्ति की शादी भारतीय नागरिक से हुई हो तो वो भी भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है, लेकिन उसे कम से कम 7 साल भारत में रहना होगा.
- चौथा प्रावधानः अगर किसी नए भू-भाग में भारत में शामिल किया जाता है तो वहां रहने वाले लोगों को अपने आप ही भारत की नागरिकता मिल जाएगी. उदाहरण के लिए 1961 में गोवा और 1962 में पुडुचेरी को भारत में शामिल करने के बाद वहां के लोग भारतीय नागरिक बन गए थे.
- पांचवां प्रावधानः नेचुरलाइजेशन के आधार पर. यानी, कि भारत में रहने वाला कोई भी विदेशी नागरिक भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है, बशर्ते वो भारत में कम से कम 11 साल से रह रहा हो.
ऐसे जा भी सकती है नागरिकता
1955 में बने भारतीय नागरिकता कानून की धारा 9 में किसी व्यक्ति की नागरिकता खत्म करने का भी जिक्र है. इसके मुताबिक, तीन तरीकों के जरिए किसी भी व्यक्ति की भारतीय नागरिकता खत्म हो सकती है.
पहला तो ये व्यक्ति खुद अपनी मर्जी से किसी दूसरे देश की नागरिकता हासिल कर ले. दूसरा ये कि कोई व्यक्ति अपनी मर्जी से भारत की नागरिकता त्याग दे.
इसके अलावा सरकार को भी किसी व्यक्ति की नागरिकता खत्म करने का अधिकार है, अगर वो व्यक्ति किसी देशविरोधी गतिविधि में शामिल हो या फिर उसने भारतीय संविधान का अपमान किया हो या फिर ये साबित हो जाए कि उसने अवैध तरीके से भारतीय नागरिकता हासिल की है. इतना ही नहीं, अगर कोई व्यक्ति 7 साल से ज्यादा लंबे वक्त से भारत से बाहर रहा हो तो भी उसकी नागरिकता खत्म की जा सकती है.
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