कुल 543 में से दो चरणों में 190 सीटों के लिए मतदान हो चुका है और कांग्रेस ने अब तक गांधी परिवार के गढ़ रायबरेली और अमेठी सीट को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. अमेठी सीट से राहुल गांधी के चुनाव लड़ने पर सस्पेंस है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस सीट से वर्तमान सांसद स्मृति ईरानी को उम्मीदवार घोषित कर दिया है. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने 2019 में कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी को हरा दिया था. अमेठी में इस बार स्मृति के सामने कांग्रेस के टिकट पर राहुल गांधी मैदान में होंगे या कोई नया चेहरा? इसे लेकर अभी कयास ही लगाए जा रहे हैं कि अब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है.
मायावती की अगुवाई वाली बसपा ने अमेठी से रविप्रकाश मौर्य को उम्मीदवार घोषित कर दिया है. रविप्रकाश 2022 के यूपी चुनाव में अयोध्या सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे. रविप्रकाश को तब करारी मात मिली थी. बसपा ने अब उन्हें अमेठी से टिकट दे दिया है तो इसके पीछे क्या है? सवाल ये भी उठ रहे हैं कि बसपा के रवि बीजेपी की स्मृति ईरानी या कांग्रेस उम्मीदवार, किसका खेल बिगाड़ेंगे?
किसका खेल बिगाड़ेगी बसपा?
अमेठी में बसपा के दांव ने बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए और इंडिया ब्लॉक, दोनों को ही उलझा दिया है. इंडिया ब्लॉक में शामिल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी, दोनों ही जातिगत जनगणना के मुद्दे पर एकमुश्त ओबीसी वोट की उम्मीद पाले हैं. अमेठी सीट से अब बसपा ने ओबीसी समाज से ही उम्मीदवार देकर इंडिया ब्लॉक को उलझा दिया है. ऐसा भी नहीं है कि बसपा का यह दांव इंडिया ब्लॉक के खिलाफ और एनडीए के लिए अनुकूल कहा जा सके.
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अमेठी में 2014 और 2019 के वोटिंग पैटर्न पर नजर डालें तो नुकसान दोनों ही गठबंधनों को हो सकता है और चुनावी लड़ाई त्रिकोणीय हो सकती है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से राहुल गांधी चुनाव मैदान में थे तो वहीं बीजेपी ने स्मृति ईरानी, आम आदमी पार्टी ने कुमार विश्वास और बसपा ने धर्मेंद्र प्रताप सिंह को टिकट दिया था. राहुल गांधी को 4 लाख 8 हजार 651 वोट मिले थे. स्मृति ईरानी 3 लाख 748 वोट के साथ दूसरे, बसपा के धर्मेंद्र प्रताप 57 हजार 716 वोट के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे.
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साल 2019 के चुनाव में बसपा, सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी थी. सपा-बसपा गठबंधन ने अमेठी में राहुल के समर्थन में ऐलान किया था. राहुल गांधी को तब 4 लाख 13 हजार 394 वोट मिले थे. स्मृति को 4 लाख 68 हजार 514 वोट मिले थे. राहुल की हार को लेकर कहा ये भी गया कि बसपा का उम्मीदवार नहीं होने की वजह से दलित मतदाता बीजेपी की ओर शिफ्ट हो गए और कांग्रेस को गांधी परिवार के गढ़ में हार मिली.
बीजेपी को मिला था अधिक ओबीसी वोट
अब इस बार बसपा ने उम्मीदवार दे दिया है और वह भी ओबीसी से. पिछले कुछ चुनावों में ओबीसी वर्ग से बीजेपी को अधिक समर्थन मिलता रहा है. सीएसडीएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी को करीब 70 फीसदी ओबीसी वोट मिले थे. कुर्मी और कोरी वर्ग के 80 फीसदी वोटर्स ने बीजेपी को वोट दिया था. ऐसे में बसपा का इसी ओबीसी, कोइरी वर्ग से उम्मीदवार उतारना स्मृति ईरानी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है.
अमेठी में मौर्य पर दांवक्यों?
रविप्रकाश मौर्य 2022 के यूपी चुनाव में बसपा के टिकट पर अयोध्या सीट से उम्मीदवार थे. रवि को तब हार मिली थी. रवि अयोध्या के मूल निवासी हैं. लंबे समय से सियासत में सक्रिय हैं. रवि कोइरी समाज से आते हैं और अमेठी में कोइरी समाज के मतदाताओं की तादाद करीब डेढ़ लाख है. अमेठी लोकसभा सीट के जातिगत समीकरणों की बात करें तो इस लोकसभा क्षेत्र में कुल करीब 17 लाख मतदाता हैं जिनमें सबसे अधिक 34 फीसदी ओबीसी वर्ग की भागीदारी है. मुस्लिम 20, दलित 26, ब्राह्मण 8 और ठाकुर करीब 12 फीसदी हैं.
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