अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर BJP के नैरेटिव को अब मिल गई मोदी की मंजूरी

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अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया आई है. और मोदी ने जो बात कही है, वो बीजेपी नेताओं के स्टैंड को सही ठहरा रही है. बीजेपी नेताओं का शुरू से ही केजरीवाल की गिरफ्तारी को ईडी के एक्शन के बजाय अदालत के आदेश पर अमल बताने पर ही जोर रहा है.

बीजेपी के इलेक्शन कैंपेन के तहत अगर दिल्ली में मोदी की रैली हुई होती तो ये बात पहले ही सुनने को मिल चुकी होती. केजरीवाल की गिरफ्तारी पर मोदी ने एक इंटरव्यू में अपनी राय जाहिर की है.

इंटरव्यू में मोदी ये समझाने की कोशिश की है कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से दिल्ली के लोगों की पीड़ा कम हुई होगी, और साथ ही अदालती टिप्पणियों की तरफ भी ध्यान दिलाया है.

ये बात कुछ ऐसे समझाने की हो रही है कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ के खिलाफ अदालत के आदेश पर ईडी का एक्शन, असल में, दिल्ली के लोगों को पीड़ा से उबारने का एक प्रयास ही है, और परोक्ष रूप से ये बताने की कोशिश है कि इस बात का श्रेय भी बीजेपी और मोदी को वैसे ही जाता है - जैसे अयोध्या में राम मंदिर बनवाने का. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही हुआ है, लेकिन बीजेपी बड़ी ही चालाकी से क्रेडिट भी ले लेती है.

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मोदी की नजर में केजरीवाल पर एक्शन वाजिब है, और जरूरी भी

एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर सवाल पूछा गया है. मोदी से ये जानने की कोशिश की गई है कि क्या ये परंपरा के खिलाफ नहीं है - और ये चीज कहीं मिसाल तो नहीं बनने जा रही है.

खुद को आशावादी बताते हुए मोदी कहते हैं, ये मिसाल नहीं बनेगा... मुझे लगता है... अन्य राजनेताओं में नैतिकता की इतनी कमी नहीं होगी... और वे इस हद तक नहीं जाएंगे.

आखिर मोदी, केजरीवाल के किस हद तक जाने की बात कर रहे हैं? अरविंद केजरीवाल पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. प्रवर्तन निदेशालय का आरोप है कि दिल्ली शराब नीति केस में ली गई रिश्वत के मास्टरमाइंड अरविंद केजरीवाल ही हैं. इस मामले में गिरफ्तार राज्यसभा सांसद संजय सिंह जमानत पर जेल से रिहा हो चुके हैं, लेकिन दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया अब भी जेल में हैं.

केजरीवाल केस को लेकर मोदी ने अदालती टिप्पणियों की तरफ इशारा किया है, और चाहते हैं कि मीडिया भी बीजेपी की लाइन को ही फॉलो करे. मोदी का कहना है, मुझे लगता है... ये मीडिया की जिम्मेदारी है कि वो लोगों को इस मुद्दे पर पूरा पर्स्पेक्टिव दिखाए... दिल्ली के लोग कैसे पीड़ित हैं? अदालतों ने मामले में क्या कहा है?

कुछ दिन पहले भी एक अन्य इंटरव्यू में मोदी से जांच एजेंसियों के दुरुपयोग पर सवाल पूछा गया था. तब प्रधानमंत्री मोदी का कहना था, ईडी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जितने भी मामले दर्ज किये हैं, उनमें से सिर्फ 3 फीसदी लोग ही राजनीति से जुड़े हैं... बाकी 97 फीसदी गैर राजनीतिक व्यक्ति हैं.

लगे हाथ, मोदी ने अपनी तरफ से सवाल खड़ा किया था, भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करने के लिए कोई संस्था बनाई गई है... वो काम न करे तो सवाल पूछना चाहिये... काम करे... इसलिए सवाल पूछा जाये - ये लॉजिक नहीं बनता.

काफी पहले ईडी और सीबीआई के कामकाज की तारीफ करते हुए मोदी ने ये समझाने की कोशिश की थि कि जो काम देश के लोग नहीं कर पाये, इन जांच एजेंसियों ने कर दिखाया है.

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21 मार्च को जब प्रवर्तन निदेशालय ने अरविंद केजरीवाल को उनके घर से गिरफ्तार किया तो दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी का कहना था, कोर्ट ने केजरीवाल के मामले को बड़ी गंभीरता से लिया था - और कोर्ट की टिप्पणी के बाद ही मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया गया है. रामवीर बिधूड़ी फिलहाल दक्षिण दिल्ली लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार हैं.

केजरीवाल केस में AAP नेताओं का दावा

दिल्ली शराब नीति केस में केजरीवाल को ईडी की तरफ से 9 समन भेजे जा चुके थे. ईडी ने दिल्ली की एक अदालत में भी समन को अहमियत न देने को लेकर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. कोर्ट के समन पर केजरीवाल पेश भी हुए थे, और जमानत भी मिल गई थी, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की उनकी अर्जी खारिज कर दी. उसी दिन, 21 मार्च की शाम को ED की टीम केजरीवाल के घर 10वां समन और सर्च वारंट लेकर पहुंची - और कुछ कागजी औपचारिकताओं के बाद गिरफ्तार कर लिया था.

अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर आम आदमी पार्टी को कांग्रेस नेताओं का भी साथ मिला था, लेकिन अब तो कांग्रेस में ही बवाल होने लगा है. आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के मुद्दे पर अरविंदर सिंह लवली ने दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. लवली का विरोध भी 2019 में आम आदमी पार्टी के प्रति कांग्रेस के रूख का एक्सटेंशन ही है.

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आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के लिए बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी को ही टारगेट करते हैं. आप नेताओं का दावा है कि केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी के नेता और प्रधानमंत्री मोदी के इशारे पर ही ईडी ने अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर जेल भेजा है.

गिरफ्तारी के बाद भी जब भी तिहाड़ जेल में केजरीवाल से जुड़ी हर चीज के साथ आम के नेता बीजेपी और मोदी से जोड़ कर पेश कर देते हैं. जैसे हाल ही में संजय सिंह का दावा था कि दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी को अरविंद केजरीवाल से नहीं मिलने दिया जा रहा है. और जब आतिशी को केजरीवाल से मिलने का वक्त मिला है, ताजा आरोप है कि उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल की मुलाकात रद्द कर दी गई है. तिहाड़ प्रशासन का कहना है कि सब कुछ जेल मैनुअल के तहत हो रहा है.

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हाल ही में आप नेता संजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख कर शिकायत की थी कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीाल को परेशान करने के लिए तिहाड़ जेल को यातना गृह में तब्दील कर दिया गया है. संजय सिंह का कहना था, विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि एलजी ऑफिस द्वारा 24 घंटे केजरीवाल जी पर सीसीटीवी कैमरे द्वारा नजर रखी जा रही है... ये देखा जा रहा है कि वो क्या कर रहे हैं? क्या पढ़ रहे हैं? क्या लिख रहे हैं? कब सो रहे हैं? कब जाग रहे हैं? उनकी एक एक गतिविधि पर ऐसे नजर रखी जा रही है जैसे मानो कोई बहुत बड़ा जासूस जासूसी करा रहा हो.

केजरीवाल की गिरफ्तारी पर कोर्ट की टिप्पणी

दिल्ली हाई कोर्ट से अर्जी खारिज होने के बाद ही ईडी ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया था. और बाद में भी सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट का कहना था, हमारे सामने पर्याप्त सबूत पेश किये गये... हमने बयानों को देखा... जो बताते हैं कि गोवा के चुनाव के लिए पैसा भेजा गया था. हाई कोर्ट कहना था, हमें संवैधानिक नैतिकता की फिक्र है, न कि राजनीतिक नैतिकता की.

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एक महत्वपूर्ण टिप्पणी ये भी थी, मौजूदा केस केंद्र और केजरीवाल के बीच नहीं है... ये केस केजरीवाल और ईडी के बीच है. हाईकोर्ट ने माना कि प्रवर्तन निदेशालय ने कानूनी प्रक्रिया का पालन किया.

कोर्ट में केजरीवाल की तरफ से दलील पेश की गई, ईडी के पास कोई सबूत नहीं है कि केजरीवाल मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल थे... ये कहना कि दिल्ली के मुख्यमंत्री हवाला ट्रांजैक्शन कर रहे होंगे, हास्यास्पद है.

केजरीवाल के आरोप को खारिज करते हुए, ईडी की तरफ से दलील पेश की गई थी - अपराधी और आरोपी ये नहीं कह सकते कि हम गुनाह करेंगे... और हमें इसलिए गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, क्योंकि चुनाव है... हम अंधेरे में तीर नहीं चला रहे हैं... हमारे पास व्हाट्सऐप चैट, हवाला ऑपरेटर्स के बयान और इनकम टैक्स के आंकड़े भी हैं.

केजरीवाल के केस में सरकारी गवाहों के बयान पर हाई कोर्ट की टिप्पणी थी, ये बयान किस तरह रिकॉर्ड किये गये... इस पर शक करना अदालत और जज पर कलंक लगाने जैसा है... गवाहों के बयान रिकॉर्ड करने का कानून 100 साल पुराना है, न कि एक साल पुराना कि याचिकाकर्ता को फंसाने के लिए इसका गलत इस्तेमाल किया गया है.

बीजेपी ने शुरू से ही केजरीवाल केस में अदालत की टिप्पणी को आधार बनाकर केजरीवाल के खिलाफ एक नैरेटिव तैयार किया है - और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उस पर अपनी मुहर लगा दी है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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