बलवान करिवाल, चंडीगढ़। चुनाव अधिसूचना से एक दिन पहले चंडीगढ़ की राजनीति में बड़ा भूचाल आ गया है। शिरोमणि अकाली दल के लोकसभा प्रत्याशी हरदीप सिंह बुटेरला (Hardeep Singh Buterla) ने टिकट लौटाने के साथ पार्टी की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है।
इस कदम के पीछे हरदीप सिंह ने पार्टी का टिकट देकर साथ नहीं देना कारण बताया। उन्होंने कहा कि केवल टिकट से चुनाव थोड़ी जीता जाता है। वह बेवजह बिना तैयारी के चुनावी दंगल में हारना नहीं चाहते। उनकी किस्मत में लोगों की सेवा करनी नहीं लिखी है। इस वजह से उन्होंने पार्टी को टिकट लौटाकर इस्तीफा देना उचित समझा।
कई अन्य नेताओं ने भी दिया इस्तीफा
हरदीप के साथ पार्टी के प्रवक्ता अजीत सिंह और कई अन्य नेताओं ने भी इस्तीफा दे दिया है। ऐसा बताया जा रहा है कि अब अकाली दल में कोई इस स्तर का नेता नहीं है जो प्रत्याशी बनाया जा सके।
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भाजपा से गठबंधन नहीं होने के बाद 30 वर्ष के इतिहास में पहली बार शिरोमणि अकाली दल ने चंडीगढ़ से अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था। उसके बाद चंडीगढ़ से शिअद अध्यक्ष हरदीप सिंह को प्रत्याशी बनाया गया था। हालांकि चुनाव से पहले ही हरदीप ने इस्तीफा देकर हलचल मचा दी है।
भाजपा में जाने की संभावना
हरदीप सिंह ने इस्तीफा देने के बाद कहा कि स्वजनों और समर्थकों से चर्चा करने के बाद आगे कोई निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिअद से उनकी आत्मा जुड़ी थी। शुरू से ही साथ रहे। लेकिन अब उनके साथ धोखा हुआ टिकट देकर उन्हें फंसाया गया कोई सहयोग पार्टी की तरफ से नहीं मिल रहा था।
हालांकि कयास यह लग रहे हैं कि हरदीप भाजपा में शामिल हो सकते हैं। शामिल हुए बिना बाहर से भी समर्थन दे सकते हैं। उनके चुनाव लड़ने से सिख वोटर का भाजपा को नुकसान होता अब वह वोटर भाजपा और कांग्रेस में बंट सकता है।
हरदीप बुटेरला तीन बार के पार्षद
गांव बुटेरला निवासी और तीन बार पार्षद रहे 41 वर्षीय हरदीप की चंडीगढ़ के गावों में अच्छी पकड़ मानी जाती है। 2006 और 2011 में हरदीप के पिता गुरनाम सिंह और भाई मल्कियत सिंह चंडीगढ़ नगर निगम के पार्षद चुने गए थे। भाई मल्कियत के निधन के बाद हरदीप 2015, 2016 और 2021 में पार्षद बने। वह सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के पद पर भी रह चुके हैं। 2018 में हरदीप सिंह को शिअद ने चंडीगढ़ के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी।
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मेयर चुनाव में दिया था भाजपा का साथ
मेयर चुनाव में हरदीप सिंह ने भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया था। जबकि पहले उन्होंने नोटा का विकल्प भी पूछा था। यह विकल्प नहीं होने पर उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया था। उस दौरान कांग्रेस ने शिअद पर किसानों के साथ धोखा करने का आरोप लगाया था। इससे पहले चुनाव में भी हरदीप सिंह भाजपा का साथ देते रहे हैं। भाजपा के समर्थन से ही वह डिप्टी मेयर के पद पर पहुंचे थे।
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