पुणे पोर्श कांड- मिडिलमैन के जरिए हुई थी ब्लड सैंपल बदलवाने की डील, 4 लाख कैश लेकर पहुंचा था ड्राइवर

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पुणे की एक अदालत ने सोमवार को पोर्श कांड में नाबालिग आरोपी के माता-पिता और सबूतों को नष्ट करने से संबंधित मामले में एक अन्य आरोपी की पुलिस हिरासत 14 जून तकबढ़ा दिया दी है. पुलिस ने अदालत को बताया कि इस बात की पूरी संभावनाएं हैं कि नाबालिग के माता-पिता ने उसके ब्लड सैंपल को नष्ट कर दिया है और इसलिए उनसे हिरासत में पूछताछ की जरूरत है.

किशोर के पिता विशाल अग्रवाल और मां शिवानी को किशोर के ब्लड सैंपल की अदला-बदली मेंसंलिप्त पाए जाने के बाद गिरफ्तार किया था. पुलिस ने शिवानी अग्रवाल को 1 जून को गिरफ्तार किया था. जबकि उनके पति विशाल अग्रवाल को कथित तौर पर सबूत नष्ट करने में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

'बिचौलिए के जरिए हुई थी डील'

अग्रवाल दंपत्ति के अलावा सरकारी ससून अस्पताल में ब्लड सैंपल लेने वाले अशपाक मकंदर को सोमवार को अदालत में पेश किया. अशपाक डॉक्टरों के बीच बिचौलिए के रूप में काम करता था. माता-पिता सहित तीनों आरोपियों की हिरासत बढ़ाने की मांग करते हुए, अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि इस बात की पूरी संभावनाएं हैं कि नाबालिग के माता-पिता ने अपने बेटे के मूल ब्लड सैंपल को नष्ट कर दिया था.

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पुलिस ने अदालत को यह भी बताया कि बिचौलिए अशपाक को विशाल के ड्राइवर ने 4 लाख रुपये दिए थे. इसमें से 3 लाख रुपये नाबालिग के ब्लड सैंपल को बदलने के लिए दिए गए थे.

यह भी पढ़ें: पुणे पोर्श कांड: विशाल का अनधिकृत रिसॉर्ट ध्वस्त, नियमों का उल्लंघन कर पारसी जिमखाना पर बनाया था रिसॉर्ट

एक-दूसरे के सामने होगी पूछताछ

जांच अधिकारी ने कहा, 'डॉ. श्रीहरि हल्नोर और ससून अस्पताल के कर्मचारी अतुल घाटकांबले से 3 लाख रुपये बरामद किए गए हैं और बाकी के बचे हुए एक लाख रुपये की वसूलने के प्रयास किए जा रहे हैं. सभी आरोपी वहां हैं, इसलिए अभियोजन पक्ष उनका एक-दूसरे से आमना-सामना कराना चाहता है.'

जांच से पता चला है कि 19 मई को ससून जनरल अस्पताल में नाबालिग के ब्लड सैंपल को उसकी मां के नमूनों से बदल दिया गया था. शिवानी से पहले पुलिस ने इस सिलसिले में ससून अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. अजय तावड़े और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीहरि हल्नोर के साथ-साथ एक अन्य कर्मचारी को गिरफ्तार किया था. उन पर शराब की जांच को प्रभावित करने और ब्लड सैंपल की अदला-बदली करने के लिए आरोपी किशोर के माता-पिता के साथ मिलकर साजिश रचने का आरोप है. फिलहाल वे न्यायिक हिरासत में हैं.

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वहीं, बचाव पक्ष के वकील प्रशांत पाटिल ने किशोर के माता-पिता की हिरासत विस्तार याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वे पहले ही कई दिन पुलिस रिमांड में बिता चुके हैं और उनसे आगे हिरासत में पूछताछ की कोई आवश्यकता नहीं है.

हादसे में गई थी 2इंजीनियरकी जान

पुणे के कल्याणी नगर इलाके में नाबालिग ने नशे की हालत में पोर्श कार दौड़ाते हुए दोपहिया सवार दो आईटी इंजीनियरों को टक्कर मार दी. जिससे दोनों इंजीनियरों की मौत हो गई थी. इसी मामले में किशोर के दादा अपने परिवार के ड्राइवर के कथित अपहरण और गलत तरीके से कैद करने के आरोप में फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं, जिस पर पुलिस को यह बताने के लिए दबाव डाला गया था कि जब घातक दुर्घटना हुई तो वह गाड़ी चला रहा था.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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