MP को बीमारू दर्जे से छुटकारा दिला चुके शिवराज सिंह चौहान अब संभालेंगे कृषि मंत्रालय, क्या-क्या चुनौतियां सामने?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट में विभागों का बंटवारा हो चुका. इसमें शिवराज सिंह चौहान की काफी चर्चा है. मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री को एक साथ दो जिम्मेदारियां मिली हैं, कृषि और ग्रामीण विकास विभाग. सीएम रहते हुए चौहान ने अपने राज्य में खेती-किसानी से जुड़े कई ऐसे काम कर डाले, जिनकी वजह से उन्हें ये अहम जिम्मा मिला.

प्रधानमंत्री दे चुके थे इशारा

पीएम नरेंद्र मोदी चुनावों के दौरान लिखे एक पत्र में खेती-किसानी में योगदान के लिए शिवराज सिंह की खुलकर तारीफ की थी. उन्होंने कहा था कि चौहान के समय में मप्र बीमारू स्टेट से निकलकर सबसे आगे खड़े राज्यों में आ गया. उनकी दूरदर्शी नीतियों से किसानों के जीवन में बड़े अहम बदलाव आए. मोदी के पत्र के मजमून को तभी इससे जोड़कर देखा जा रहा था कि राज्य के पूर्व सीएम को कैबिनेट में इसी तरह की भूमिका मिल सकती है.

देश की तुलना में काफी बढ़िया रहा पैदावार काऔसत

साल 204 से लेकर अगले 10 सालों के दौरान मध्यप्रदेश में खेती से जुड़ी उपजों की ग्रोथ का औसत 6.5 प्रतिशत रहा. वहीं देश की सालाना एग्रीकल्चरल ग्रोथ 3.7 ही है. 65 साल के शिवराज सिंह चौहान को इसका श्रेय मिलता है, जो साल 2005 से दिसंबर 2023 तक राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर काम करते रहे, सिवाय बीच में एक छोटे ब्रेक के.

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shivraj singh chouhan challenge as agriculture minister of india modi government 18th lok sabha photo PTI

क्या-क्या बदला खेती-किसानी में

शिवराज के कार्यकाल के दौरान राज्य गेहूं की पैदावार में उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर आ गया. यहां से उपज सरकारी एजेंसियों को भी पहुंचने लगी. कई दूसरे अनाज और सब्जियां, जैसे सोयाबीन, चना, टमाटर, लहसुन, अदरक, धनिया और मेथी का ये लीड उत्पादक है. वहीं प्याज की पैदावार में ये महाराष्ट्र, जबकि मकई में कर्नाटक के बाद है.शिवराज के मुख्यमंत्री रहते एमपी को कृषि उत्पादन तथा योजना संचालन के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन के लिए सात बार कृषि कर्मण अवॉर्ड मिला.

किसानों को क्या हुआ फायदा

दूसरे राज्यों की तरह मध्य प्रदेश के किसानों को भी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के जरिए हर साल 6 हजार रुपए मिल रहे हैं. शिवराज सरकार ने इसमें अपनी तरफ से 6 हजार रुपए और बढ़ा दिए. वहीं कृषि ऋण पर किसानों को ब्याज नहीं देना पड़ता. साल 2010-11 में 13 लाख किसानों के पास ट्यूबवेल और बिजली कनेक्शन थे, जो अगले दस सालों में बढ़कर 32 लाख पार कर गए. गेहूं खरीद पर एमएसपी के अतिरिक्त बोनस भी दिए गए, जिससे खेती में मुनाफा बढ़ा.

shivraj singh chouhan challenge as agriculture minister of india modi government 18th lok sabha photo Getty Images

मप्र को कहा गया था बीमारू

शिवराज सिंह के सीएम बनने से पहले मप्र को बीमारू राज्य का दर्जा मिला हुआ था, मतलब वो स्टेट जहां विकास काफी कम हुआ हो. बीमारू शब्द- बीमार से निकला है. ये वो सूबा था, जहां खेती से लेकर सड़कों तक की हालत खराब थी. यहां तक कि शिशु और मातृ मृत्युदर भी काफी ज्यादा थी. मध्यप्रदेश के अलावा इस श्रेणी में बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को भी रखा गया था. वैसे बीमारू स्टेट की लिस्ट अपडेट होती रहती है. साल 2022 में आरबीआई ने इस कैटेगरी में राजस्थान, पश्चिम बंगाल, बिहार के अलावा पंजाब और केरल का भी नाम लिया था जो कोविड के बाद से समस्याओं में थे.

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अब क्या होगी चुनौती

एग्रीकल्चर को फिलहाल काफी चुनौतियों वाला विभाग माना जा रहा है. कोविड के आने से पहले से ही किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं. उनके और सरकार के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी बात होगी. साथ ही एमपी का खेती मॉडल पूरे देश में लागू करना होगा वो भीखेती में विविधता को बनाए रखते हुए.

देश में कृषि पर क्लाइमेट चेंज का भी साया है, जिसकी वजह से किसान परेशान हैं. अतिवृष्टि या अनावृष्टि के चलते फसलें बर्बाद हो रही हैं. एक और समस्या ये है कि रिसर्च के लिए पब्लिक इनवेस्टमेंट भी कम है. चौहान एक राज्य में तो अब तक इन दिक्कतों को दूर करते आए, अब देश के स्तर पर इन्हें ठीक करना होगा. दाल और तिलहन हम काफी मात्रा में बाहर से आयात कर रहे हैं. इनका उत्पादन बढ़ाकर विदेशी निर्भरता कम करना भी प्राथमिकता होगी.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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