शरद पवार और उद्धव से NDA में आने का आग्रह, मोदी का दांव या भविष्य का संकेत?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों एनसीपी (शरद पवार) प्रमुख शरद पवार और शिव सेना (यूबीटी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को एनडीए में शामिल होने का आग्रह करके महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है. प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र की एक सभा में अपनी बात रखते हुए इन दोनों नेताओं के लिए यह भी कहा कि एनडीए में आपके सभी सपने भी पूरे हो जाएंगे. प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में इसका मतलब निकाला जा रहा है. कहा जा रहा है कि पीएम कोई भी बात यूं ही नहीं कहते हैं. उनकी हर बात के पीछे कई तरह के मायनेहोते हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह पीएम का एक दांव था . पीएम महाराष्ट्र के मतदाताओं और नेताओं को कन्फ्यूज करना चाहते थे. दरअसल महाराष्ट्र में मतदाताओं का मतदानके प्रति उदासीनता यह दिखातीहै कि यहां बीजेपी के लिए जनता में कोई उत्साह नहीं है. महाराष्ट्र में पांच चरणों में चुनाव होने हैं. चौथे और पांचवे चरण के पहले आया पीएम का यह बयान महाराष्ट्र के वोटरों को बीजेपी में ही अपना भविष्य देखने का इशारा तो नहींथा. हालांकि पीएम के बयान के इतने में सीमित नहीं किया जा सकता. इसके कई पहलूहो सकते हैं.

क्या बीजेपी को अभी भी है महाराष्ट्र में मजबूत साथी की तलाश

कुछ दिनों पहले शरद पवार ने चुनाव बाद की राजनीति पर बात करते हुए कहा था कि अगले कुछ वर्षों में कई क्षेत्रीय दल कांग्रेस के करीब आ जाएंगे और यहां तक हो सकता है कि वे कांग्रेस में विलय भी कर लें. पवार के इसी बयान के परिप्रेक्ष्य में नरेंद्र मोदी ने नंदुरबार में एक रैली में शरद पवार की पार्टी को नकली एनसीपी और उद्धव की पार्टी को नकली शिव सेना कहते हुए कहा था कि कांग्रेस में विलय करने और चार दिन बाद मरने के बजाय, गर्व के साथ अजित पवार और एकनाथ शिंदे से हाथ मिला लें, आपके सभी सपने पूरे होंगे.

दरअसल बीजेपी हमेशा से 5 साल आगे की तैयारी करती रही है. महाराष्ट्र में बीजेपी को तमाम नए साथी मिले पर मराठा वोटों की सेटिंग नहीं हो सकी. मराठा आरक्षण को लेकर अभी भी राज्य में आंदोलन चल रहा है. बीजेपी में कोई कद्दावर मराठा नेता न होने के चलते बीजेपी को शिंदे और अजित पवार को लाना पड़ा.पर शिंदे और अजित पवार पर आम मराठी की नाराजगी से बीजेपी से ज्यादा है. यही कारण रहा कि उत्तर भारतीयों में खलनायक के रूप बदनाम राज ठाकरे तक को पार्टी ने भाव दिया. कहा जाता है किबीजेपी के इंटरनल सर्वे बार-बार यह आता रहा कि एकनाथ शिंदे की बगावत के बावजूद मराठी मतदाताओं की सहानुभूति उद्धव के साथ बढ़ी है. ऐसे में बीजेपी को लगता है कि महाराष्ट्र में अभी भी कुछ ऐसे साथियों की जरूरत है जो पार्टी को मजबूत आधार दे सके.

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एक तीर से दोशिकार

महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के दौरान एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों तरफ से तीखे हमले एक दूसरे पर किए गए हैं. शरद पवार और उद्धव ठाकरे दोनों ने आरोप लगाया कि मोदी के निरंकुश शासन ने भारत के संविधान और लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा किया है. इसके जवाब में नरेंद्र मोदी ने भी महाराष्ट्र कीअपनी हर रैली में शरद पवार और उद्धव कोनिशाने पर लिया. हाल ही में पीएम का शरद पवार को भटकती आत्मा कहनामहाराष्ट्र में कुछ लोगों के लिएनाराजगी का कारण बन गई. राज्य के सबसे बड़े नेताओं में से एकपवार के कद को देखते हुए लोगों को पीएम की यह बात अच्छी नहीं लगी. मोदी ने यह भी कहा था कि जब पवार अपने परिवार को नहीं संभाल सकते, तो वह महाराष्ट्र को कैसे संभालेंगे. कुछ भाजपा नेताओं का मानना ​​है कि मोदी ने पवार और उद्धव को एनडीए में शामिल होने का आग्रह करके उनके प्रति जनता की सहानुभूति को बेअसर करने की कोशिश की है.

इसके साथ ही मोदी का यह बयान इसलिए भी हो सकता है कि जो लोग इंडिया गठबंधन को वोट देने वाले हैं वो यह बात समझ लें कि जिन लोगों को वो वोट देने जा रहे हैं वो खुद बीजेपी में आ सकते हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में पीएम के इस बयान पर टिप्पणी करते हुए भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि मोदी ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जो आकस्मिक टिप्पणी करते हैं. उनका हर बयान सोच-समझकर और निश्चित कारणों के साथ दिया गया होता है.

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क्या नजर महाराष्‍ट्रविधानसभा चुनावपर है?

भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनावों के लिए भी तैयारी शुरू कर दी है. पार्टी जानती है कि आज की स्थिति में अगर विधानसभा चुनाव होते हैं तो पार्टी के लिएचुनावी वैतरणी पार करना बहुत कठिन हो जाएगा. 2019 के लोकसभा चुनावों में, भाजपा और फिर शिवसेना सहयोगी थे. यही कारण रहा कि कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन पर पार्टी भारी पड़ी थी. भाजपा और शिवसेना ने 23 और 18 सीटें जीतने में सफल हुईं. जबकि कांग्रेस ने एक और राकांपा ने चार सीटें जीतने में सफल हुई. उसके बाद हुए राज्य विधानसभा चुनावों में, भाजपा को 105 सीटें और सेना को 56 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को 44 और राकांपा को 54 सीटें मिली थीं. विपक्ष को मिलीविधानसभा सीट इशारा कर रहे थी कि अगली बार पार्टी को और मेहनत करनी होगी. बारी-बारी से मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर भाजपा और शिवसेना के बीच गठबंधन टूट गया. उद्धव को एमवीए गठबंधन के साथ महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनना ज्यादा अच्छा लगा.इस तरह अगले विधानसभाचुनावों में बीजेपी और कमजोर नजर आ रही है.दिक्कत यह है कि बीजेपी अगर केंद्र में किसी तरह सत्ता में आ भी जाती है और राज्यों के चुनाव में लगातार हार मिलती है तो राज्यसभा में उसका बहुमत खत्म हो जाएगा. बीजेपी के टार्गेट में कई ऐसे काम हैं जिसके लिए लोकसभा ही नहीं राज्यसभा में भी बहुमत की जरूरत होगी. इसलिए बीजेपी भविष्य की राह अभी से तैयार कर रही है.

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रिजल्ट के बाद भी काम आ सकते हैं शरद और उद्धव

चुनाव अभियान शुरू होने के पहले तमाम मीडिया हाउसेस के सर्वे और एग्जिट पोल बता रहे थेकि महाराष्ट्र में बीजेपी को पिछली बार के मुकाबले में बहुत कम सीटें मिल रही हैं. इस बीच तीसरे चरण के चुनावों के बाद जिस तरह वोटिंग हो रही है उसे भी एनडीए के पक्ष में नहीं माना जा रहा है. अगर केंद्र मेंएनडीए की सरकार मुश्किल से बनती है तो शरद पवार और उद्धव एनडीए के साथ भी आ सकते हैं. हो सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इशारा चुनाव परिणाम आने के बाद बनने वाले गठबंधनों के लिए रहा हो.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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