गलवान में झड़प के बाद रिश्ते और बिगड़े.. जयशंकर ने चीन के लिए कह दी चुभने वाली बात

Galwan: भारत और चीन के बीच दशकों से तनावपूर्ण रिश्त चला आ रहा है. गलवान घाटी में झड़प के बाद भारत ने कई बार चीन का असली चेहरा दुनिया के सामने लाया है. इस मुद्दे पर चीन को कई देशों से आलोचना का सामना भी करना पड़ा. इस मसले पर विदेश मंत्री एस जयशंकर

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Galwan: भारत और चीन के बीच दशकों से तनावपूर्ण रिश्त चला आ रहा है. गलवान घाटी में झड़प के बाद भारत ने कई बार चीन का असली चेहरा दुनिया के सामने लाया है. इस मुद्दे पर चीन को कई देशों से आलोचना का सामना भी करना पड़ा. इस मसले पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर चीन की हकीकत बयां की है. उन्होंने कहा कि चीन से लगी सीमा पर सैनिकों की तैनाती असामान्य है. देश की सुरक्षा की अनदेखी नहीं की जा सकती.

एलएसी पर सैनिकों की तैनाती असामान्य

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों की तैनाती ‘असामान्य’ है और देश की सुरक्षा की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए. भारत ने गलवान झड़प का जवाब वहां अपने सैनिकों को तैनात करके दिया. मंत्री ने कहा, ‘1962 के बाद, राजीव गांधी 1988 में चीन गए थे जो (चीन के साथ) संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम था... यह स्पष्ट था कि हम सीमा से जुड़े अपने मतभेदों पर चर्चा करेंगे, लेकिन हम सीमा पर शांति बनाए रखेंगे और बाकी संबंध जारी रहेंगे.’

चीनियों ने 2020 में कई समझौतों का उल्लंघन किया

उन्होंने कहा कि तब से चीन के साथ संबंध का यह आधार रहा था. उन्होंने कहा, ‘अब जो बदलाव आया, वह 2020 की घटना के बाद आया है. चीनियों ने 2020 में कई समझौतों का उल्लंघन करते हुए हमारी सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया और उन्होंने यह ऐसे वक्त किया जब हमारे यहां कोविड लॉकडाउन लागू था.’ गलवान घाटी झड़प में कुल 20 भारतीय सैन्य कर्मी शहीद हुए थे. भारत-चीन सीमा पर चार दशकों में यह सबसे भीषण झड़प थी.

भारत ने भी सैनिकों को तैनात कर जवाब दिया

जयशंकर ने कहा कि भारत ने भी (सीमा पर) सैनिकों को तैनात कर जवाब दिया और चार साल से गलवान में सैनिकों की तैनाती वाले सामान्य मोर्चों से आगे भारतीय सैनिक तैनात हैं. उन्होंने कहा, ‘एलएसी पर यह बहुत ही असमान्य तैनाती है. दोनों देशों के बीच तनाव के मद्देनजर, भारतीय नागरिक होने के नाते हममें से किसी को भी देश की सुरक्षा की अनदेखी नहीं करनी चाहिए...यह मौजूदा समय की चुनौती है.’ विदेश मंत्री ने कहा कि एक आर्थिक चुनौती भी है, जो विगत वर्षों में विनिर्माण और बुनियादी ढांचा के क्षेत्रों की अनदेखी के कारण है.

..राष्ट्रीय सुरक्षा दायित्व है

उन्होंने कहा, ‘भारतीय कारोबार जगत चीन से इतनी खरीद क्यों कर रहा है...क्या किसी दूसरे देश पर इतना निर्भर रहना अच्छा होगा?’ जयशंकर ने कहा कि विश्व में आर्थिक सुरक्षा पर एक बड़ी बहस छिड़ी हुई है. उन्होंने कहा, ‘आज देशों को ऐसा लगता है कि कई प्रमुख व्यवसायों को देश के भीतर ही रहना चाहिए. आपूर्ति श्रृंखला छोटी और विश्वसनीय होनी चाहिए... संवेदनशील क्षेत्रों में, हम सावधान रहेंगे...राष्ट्रीय सुरक्षा दायित्व है.’

रूस से भारत के अच्छे संबंध

रूस के बारे में विदेश मंत्री ने कहा कि उसके साथ भारत का संबंध सकारात्मक है. जयशंकर ने कहा कि एक आर्थिक कारक भी है क्योंकि रूस तेल, कोयला और विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न है, जिसे भारत प्राप्त कर सकता है. विदेश मंत्री ने कहा कि पूर्व में, विनिर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर उपयुक्त ध्यान नहीं दिया गया और पूर्ववर्ती ‘लाइसेंस और परमिट राज’ ने विकास को बाधित किया.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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