बाड़मेर सीट पर रोचक हुआ मुकाबला... सहयोगी RLP ने बढ़ाई कांग्रेस की मुसीबत, रविंद्र भाटी को मिलेगा फायदा?

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राजस्थान की बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले के बीच नया सिसासी घटनाक्रम देखने को मिला है. यहां कांग्रेस की सहयोगी आरएलपी (राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी) के स्थानीय नेताओं ने गुरुवार को बीजेपी उम्मीदवार कैलाश चौधरी को अपना समर्थन देने की घोषणा कर डाली. इससे कांग्रेस उम्मीदवार उम्मेदाराम बेनीवाल और आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल, दोनों चकित रह गए. आरएलपी के बाड़मेर नेता गजेंद्र चौधरी ने शुक्रवार 26 अप्रैल को होने वाले चुनावों के लिए कैलाश चौधरी का समर्थन करने की घोषणा की है.

मीडिया को संबोधित करते हुए गजेंद्र चौधरी ने कहा कि आरएलपी ने शुरुआत में राजस्थान में INDIA अलायंस के साथ गठबंधन किया था. हालांकि, निर्वाचन क्षेत्र में कुछ कांग्रेस नेताओं ने इस गठबंधन का विरोध किया, जिससे आरएलपी ने बाड़मेर में कैलाश चौधरी को समर्थन देने का फैसला किया है. गजेंद्र चौधरी ने 2019 की घटना पर प्रकाश डाला, जहां आरएलपी नेता हनुमान बेनीवाल पर बाड़मेर के बायतु इलाके में कांग्रेस से जुड़े कुछ लोगों द्वारा कथित तौर पर हमला किया गया था. उन्होंने कहा कि इससे उन पर गहरा प्रभाव पड़ा और कांग्रेस के प्रति नाराजगी और अविश्वास बढ़ गया.

उधर, कांग्रेस ने इसके पीछे बीजेपी की साजिश होने का शक भी जताया. सूत्रों का कहना है कि आरएलपी के स्थानीय नेताओं की नाराजगी के पीछे एक कारण कांग्रेस द्वारा उम्मेदाराम बेनीवाल का चयन है, जो पहले आरएलपी से जुड़े थे और नामांकन से कुछ दिन पहले ही वह कांग्रेस में शामिल हो गए.

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चौधरी ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने हमारी पार्टी को तोड़ने का काम किया है और वहां हमारे कार्यकर्ताओं का कोई मान सम्मान भी नहीं है. ऐसे में हमने बाड़मेर में स्वविवेक से बीजेपी के प्रत्याशी कैलाश चौधरी को समर्थन दिया है. 4 साल पहले 2019 में हमारे सुप्रीमो (हनुमान बेनीवाल) और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी पर कांग्रेस के लोगों ने बायतु में जानलेवा हमला किया था. ऐसे में हमारे कार्यकर्ताओं में आक्रोश है और कांग्रेस के नेता अब भी इस गठबंधन को एक्सेप्ट नहीं कर पा रहे हैं और उनकी नीयत में खोट है.

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस शुरू में नागौर और बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीटों को गठंबधन में आरएलपी को देने पर सहमत हो गई थी, लेकिन बाद में उम्मेदा राम बेनीवाल के साथ पर्दे के पीछे बातचीत की और उन्हें कांग्रेस में शामिल होने के लिए राजी किया. इससे बाड़मेर-जैसलमेर के कई आरएलपी नेता बेहद नाराज हो गए. बाड़मेर-जैसलमेर में आरएलपी को जाट समुदाय का खासा समर्थन मिलता रहा है. जाट वोट इस सीट पर अच्छा प्रभाव रखते हैं.

रविंद्र भाटी को मिल सकता है लाभ

कैलाश चौधरी, उम्मेदा राम बेनीवाल और निर्दलीय उम्मीदवार रवींद्र सिंह भाटी के बीच त्रिकोणीय मुकाबले में संभावना है कि जाट वोटों में विभाजन से निर्दलीय उम्मीदवार रविंद्र भाटी को फायदा हो सकता है. हालांकि इसके अतिरिक्त अगर भाटी बीजेपी के मूल ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल हो जाते हैं और साथ ही कांग्रेस के मुस्लिम मतदाताओं के एक बड़े हिस्से को भी अपनी ओर खींचने में सफल हो जाते हैं तो उनके लिए जीत का रास्ता आसान हो सकता है.

फिर बीजेपी के साथ आएगी आरएलपी?

वहीं चर्चा है कि किसी भी कीमत पर जाट वोटों के विभाजन को रोकने की कोशिश में जुटी बीजेपी एक बार फिर आरएलपी को अपने साथ लाने के लिए एक नई रणनीति तैयार कर सकती है. हालांकि, ऐसी भी अटकलें हैं कि आरएलपी नेताओं ने इस फैसले के बारे में अपने प्रमुख हनुमान बेनीवाल से सलाह नहीं है. क्योंकि बेनीवाल इस चुनाव में खुद कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर रहे हैं. उधर, बीजेपी उम्मीदवार कैलाश चौधरी ने आरएलपी कार्यकर्ताओं से मिले समर्थन के लिए पार्टी का आभार व्यक्त किया है.

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मंत्री और बीजेपी प्रत्याशी कैलाश चौधरी ने आरएलपी के समर्थन के बाद कहा कि आरएलपी के कार्यकर्ताओं ने बीजेपी को समर्थन दिया है. मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं. कैलाश चौधरी ने भी 2019 में हुए घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश में कांग्रेस के सरकार होने के चलते कांग्रेस नेताओं ने हनुमान बेनीवाल और मेरे पर हुए जानलेवा हमले की कार्रवाई तक नहीं होने दी.

(रिपोर्ट: दिशांक पुरोहित)

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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