मुंबई के घाटकोपर में तेज हवा के झोंकेसे जमींदोज हुए होर्डिंग की देश-दुनिया में चर्चा है. इस होर्डिंग के गिरने से 16 लोगों ने अपनी जान गंवा दी. दर्जनों परिवार इससे प्रभावित हुआ. अब आजतक को जो जानकारी मिली है वो बेहद चौंकाने वाले हैं.120 फीट लंबे होर्डिंग का पिलर महज 4-5 फीट की गहराई में दिया गया था. इससे एक बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि क्या कमजोर बुनियादकी वजह से बिलबोर्ड तेज हवा का झोंका नहीं झेल पाया?
आजतक ने आपको होर्डिंगके कुछ पिलर्स भी दिखाए, जिसमें आपने देखा कि होर्डिंग के तमाम पिलर्स जमीन से उखड़ गए थे. तेज हवा की वजह से होर्डिंग एक पेट्रोल पंप पर गिरा था, जहां लोग या तो अपनी गाड़ी में पेट्रोल-डीजल भरवा रहे होंगे या फिर तेज हवा से बचने के लिए शरण लिया होगा.
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120 फीट लंबे होर्डिंग के पिलर्स की 4-5 फीट की गहराई
हमें जानकारी मिली कि होर्डिंग के पिलर्स को 4-5 फीट गहराई में ही दिया गया था. जानकार और अधिकारी मानते हैं कि कमजोर बुनियादकी वजह से यह हादसा होना ही था. आज या कल इस होर्डिंग को गिरना ही था. अब जबकि होर्डिंग तेज हवा में गिर गया, मरने और घायल लोगों के परिवार के लोग प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
आखिर कैसे मिली होर्डिंग लगाने की परमीशन?
होर्डिंग हादसे के बाद बीएमसी ने इस संबंध में एक बयान जारी कर बताया था कि उसे लगाने की इजाजत रेलवे एसीपी ने दी थी. बाद में रेलवे ने भी इसको लेकर एक बयान जारी किया. रेलवे ने बताया कि दिसंबर 2021 में पेट्रोल पंप के पास दस साल के लिए होर्डिंग लगाने की इजाजत तत्कालीन जीआरपी कमिश्नर कैसर खालिद ने दी थी. मसलन, पेट्रोल पंप और होर्डिंग दोनों ही दिसंबर 2021 से संचालित थी.
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तीन साल बाद भी शिकायत पर नहीं हुई कार्रवाई
घाटकोपर में लगाए गए होर्डिंग का संचालन मेसर्स इगो मीडिया प्राइवेट लिमिटेड कर रहा था. इसके निर्माण के दौरान कुछ पेड़ों को भी नुकसान पहुंचाया गया था. तीन साल बाद हुए हादसे के बाद जीआरपी की तरफ से बयान में कहा गया है कि पेड़ों को नुकसान पहुंचाने को लेकर शिकायतें भी मिली थी लेकिन कार्रवाई नहीं की गई. हादसे के बाद जीआरपी का कहना है कि कार्रवाई करने से पहले ही होर्डिंग गिर गया. इस संबंध में होर्डिंग का संचालन करने वाली कंपनी को दावे के मुताबिक, नोटिस भी भेजा गया था.
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