सभी मुसलमानों को OBC मान आरक्षण देकर संविधान और मंडल कमीशन की धज्जियां किसने उड़ाई?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनावी सभाओं में हिंदू-मुसलमान की बातें करना कई लोगों को आ‍पत्तिजनक लग सकता है. लेकिन, कई लोगों के लिए कांग्रेस का मुसलमानों के पक्ष में किया जा रहा तुष्टिकरण भी ऐतराज के काबिल लग सकता है. जैसे, कर्नाटक में सभी मुसलमानों को ओबीसी मानकर दिया गया आरक्षण. अब तीन तरह के सवाल उठते हैं. पहले तो मुस्लिम्स को आरक्षण दिया ही नहीं जा सकता दूसरे सभी मुसलमानों को बैकवर्ड मान लेना कौन से सामाजिक न्याय की श्रेणी में आता है? और तीसरा जब पिछली सरकार ने आरक्षण खत्म कर दिया था और मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो फिर कर्नाटक में कैसे आरक्षण दिया गया?

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 3 दिनों से कांग्रेस राज में आरक्षित श्रेणियों के साथ हुए अन्याय पर बातें कर रहे हैं. मंगलवार को टौंक में बोलते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि किस तरह कांग्रेस सरकार ने SC-STवर्ग के आधारित कोटे में मुस्लिम आरक्षण देने की कोशिश की. दूसरे दिन बुधवार को छत्तीसगढ़ में एक चुनावी रैली में उन्होंने ओबीसी कोटे में मुसलमानों को दिए गए आरक्षण का मुद्दा उठाया. पीएम ने कहा कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने एक और पाप किया है. मुस्लिम समुदाय में जितनी भी जातियां हैं, सबको उन्होंने ओबीसी कोटे में डालकर ओबीसी बना दिया. यानी जो हमारे ओबीसी समाज को लाभ मिलता था उसका बड़ा हिस्सा कट गया. प्रधानमंत्री मोदी ने तीसरे दिन लगातार मध्यप्रदेश के मुरैना में कर्नाटक में ओबीसी के हक मारने के मुद्दे पर बोला. इस मुद्दे पर राजनीतिक पारा तो अभी और गरम होना तय है.

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क्या है मामला

अगर राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग जो कह रहा है उसे सही माने तो को कर्नाटक में ओबीसी आरक्षण कोटे में अनियमितता की जानकारी उसे 6 महीने पहले मिली थी. आयोग की जांच में सरकारी नौकरियों, मेडिकल, इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं में मुस्लिम आरक्षण दिए जाने की बात सामने आई.जांच में पता चला कि पीजी मेडिकल के 930 सीटों में 150 सीट मुस्लिम वर्ग को दिया गया.जो करीब कुल सीट का 16 प्रतिशत है. जिन लोगों को आरक्षण मिला वो मुस्लिम पिछड़ी जातियों के ही नहीं थे बल्कि सभी वर्गों के थे. अब राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग इस मुद्दे को उठाकर राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया है.ओबीसी कमीशन के अध्यक्ष हंसराज अहीर कह रहे हैं कि राज्य के मुख्य सचिव को को बुलाकर पूछताछ करेंगे.

संविधान और मंडल कमिशन की धज्जियां कौन उड़ा रहा?

सवाल यह है कि अगर संविधान में आरक्षण अगर अनुसूचित जातियों के लिए ही था तो फिर सवर्ण मुसलमानों को कैसे मिल गया. दलित विचारक दिलीप मंडल सवाल उठाते हुए कहते हैं कि आरक्षण और मंडल कमीशन को खतरा कांग्रेस से है. कांग्रेस ने सैय्यद-शेख-पठान और मुगल जैसी जातियों को राज्यों में ओबीसी बनाकर मंडल कमीशन की धज्जियां उड़ा दी हैं . उनका कहना है कि कांग्रेस ने यही काम केंद्र में करने का वादा अपने चुनाव घोषणा-पत्रों में किया है.मंडल ने इस प्रवृत्ति को ओबीसी के लिए खतरे की घंटी बताय है. वो सवाल उठाते हुए कांग्रेस पर आरोप लगाते हैं कि

- कांग्रेस सभी मुसलमान जातियों को ओबीसी यानी सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा बता रही है.
- कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश में उसने विभिन्न समय में तमाम मुसलमानों को ओबीसी में डालकर उनको आरक्षण दिया है.
- कर्नाटक में ओबीसी के अंदर कटेगरी 2B बनाकर सभी मुस्लिम जातियों को आरक्षण दिया गया.
- उसके घोषणा-पत्रों में वादा है कि यही काम वो केंद्र के स्तर पर करेगी.

प्रोफेसर दिलीप मंडल उदाहरण देते हैं कि-

- मंडल कमीशन (चैप्टर -12) सैय्यद-शेख-पठान और मुगल आदि जातियों को ओबीसी नहीं मानता.
- ये आगे बढ़ी हुई पुजारी और क्षत्रियों के समकक्ष जातियां हैं.
- मंडल कमीशन (12.18) के मुताबिक मुसलमान दो ही स्थिति में ओबीसी हो सकता है : 1. अगर उसके पुरखे पहले हिंदू अछूत रहे हों और 2. हिंदुओं के समकक्ष जातीय पेशे वाले मुसलमान, अगर वो जाति हिंदुओं में ओबीसी है तो. जैसे - धोबी, तेली, धीमर, नाई, गुज्जर, कुम्हार, लोहार, दर्जी, बढ़ई आदि).
- इसके अलावा बाकी मुसलमान ओबीसी नहीं हैं.

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- संविधान विशेष अवसर का सिद्धांत सिर्फ पिछड़ेपन के आधार पर देता है.
- सैय्यद-शेख-पठान और मुगल आदि जातियां किसी भी मायने में पिछड़ी नहीं हैं. उनमें सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ापन होने का कोई प्रमाण नहीं है.

- मुसलमान पिछड़ी जातियों के साथ, सैय्यद-शेख-पठान और मुगल आदि जातियों को रखने से जो सचमुच पिछड़े हैं, उनका हक मारा जाएगा.
- सैय्यद-शेख-पठान और मुगल आदि जातियों से हिंदू या अन्य धर्मों के ओबीसी मुकाबला नहीं कर सकते.
- ये जातियां हिंदू सवर्णों से भी कई मायने में आगे.

बंगाल में भी, ओबीसी सूची में शामिल अधिकांश समुदाय मुस्लिम ही

एनसीबीसी अध्यक्ष हंसराज अहीर द हिंदू को बताते हैं कि इस तरह का मामला पश्चिम बंगाल में भी है. वो बताते हैं कि पिछले साल पश्चिम बंगाल की ओबीसी सूची के साथ इसी तरह की समस्या सामने आई थी. उन्होंने कहा, बंगाल में भी, ओबीसी सूची में शामिल अधिकांश समुदाय मुस्लिम हैं. यब कैसे संभव हो रहा है.
अहीर ने कहा कि समस्या और भी जटिल हो सकती है क्योंकि इनमें से बहुत से समुदाय केंद्रीय सूची में भी शामिल होना चाहेंगे. इसलिए, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे इस श्रेणी में हों और इसके लिए वर्तमान सर्वेक्षण रिपोर्ट की आवश्यकता है.आयोग ने यह भी चिंता व्यक्त की है कि कर्नाटक का ओबीसी वर्गीकरण सभी मुसलमानों को स्थानीय निकाय चुनावों में किसी भी ओबीसी या सामान्य श्रेणी की सीट से चुनाव लड़ने की अनुमति देता है, जिससे अन्य योग्य ओबीसी समुदायों को ऐसा करने के लिए जगह से वंचित होने की आशंका है.

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सांप निकल गया अब पिछड़ा आयोग लाठी पीट रहा है

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज गंगाराम अहीर ने 24 अप्रैल को कहा कि आयोग राज्य के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटा के वर्गीकरण पर कर्नाटक सरकार के मुख्य सचिव को तलब करने जा रहा है, जो मुसलमानों को पूर्ण आरक्षण प्रदान करता है. यह बयान तब आया है जब कर्नाटक की 14 सीटों पर 26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होना है.अहीर कहते हैं कि आयोग कर्नाटक में ओबीसी आरक्षण का मूल्यांकन कर रहा है और राज्य सरकार के साथ वो पत्राचार कर रहे हैं. सवाल उठता है कि हंसराज अहीर एक संवैधानिक पोस्ट पर रहते हुए जिसकी यही जिम्मेदारी है कि वह पिछड़ी जाति के लोगों के अधिकारों की रक्षा करे , यह सब जानते हुए भी उन्होंने आखिर इतना देर क्यों कि? वे भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं, उनकी पार्टी की सरकार भी है. ये सब जानते हुए भी उनसे क्यों चूक हुई है?

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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