स्वाति मालीवाल केस में केजरीवाल द्वारा निष्पक्ष जांच की मांग कितनी ईमानदार?

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वाति मालीवाल केस में चुप्पी तोड़ दी है. केस के सिलसिले में पहली बार अरविंद केजरीवाल से सवाल लखनऊ में INDIA ब्लॉक की प्रेस कांफ्रेंस में पूछा गया था, लेकिन तब उन्होंने माइक अखिलेश यादव की तरफ खिसका दिया था - और वो भी ज्यादा महत्वपूर्ण चीजों के बहाने आगे बढ़ गये थे.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के सवाल पर अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि मामले की निष्पक्ष जांच होगी... न्याय मिलना चाहिये.'

इस बीच, अरविंद केजरीवाल के माता-पिता से पुलिस की पूछताछ को लेकर आम आदमी पार्टी ने धावा बोल दिया है. राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने तो इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोल दिया है. कहते हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीतिक दुर्भावना में इतना नीचे गिर चुके हैं कि पहले उन्होंने दिल्ली सरकार के मंत्रियों को फिर अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया... आज तो उन्होंने सभी हदों को पार करते हुए सीएम के बूढ़े और बीमार माता-पिता को पुलिस से परेशान करने की योजना बनाई है.

सोशल मीडिया पर खुद अरविंद केजरीवाल ने माता-पिता का वीडियो और फोटो शेयर करते हुए लिखा है, 'मैं अपने माता-पिता और पत्नी के साथ पुलिस का इंतजार कर रहा हूं... कल पुलिस ने फोन करके मेरे माता-पिता से पूछताछ के लिए टाइम मांगा था... लेकिन वो आएंगे या नहीं इसकी उन्होंने कोई जानकारी अभी नहीं दी.'

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अरविंद केजरीवाल के बयान से तो यही लगता है कि दिल्ली पुलिस उनके घर जाकर पूछताछ करने वाली है, लेकिन आतिशी अलग ही आक्रामक हो गई हैं, 'दिल्ली पुलिस द्वारा अरविंद केजरीवाल के बुजुर्ग और बीमार माता-पिता को पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है... अरविंद केजरीवाल की माता की उम्र 76 साल है... उनके पिता की उम्र 85 साल है... क्या हमारे प्रधानमंत्री इस हद तक गिर गए हैं कि बुजुर्ग और बीमार माता-पिता को प्रताड़ित कर रहे हैं.'

और फिर वो इसे आम आदमी पार्टी की मुहिम 'जेल का जवाब वोट से' की तरह पेश करते हुए कहती हैं, दिल्ली के लोग अपने वोट से इसका जवाब जरूर देंगे. हालांकि, सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि दिल्ली पुलिस अरविंद केजरीवाल के माता-पिता का बयान अभी नहीं दर्ज करने जा रही है.

निष्पक्ष जांच में केजरीवाल की क्या भूमिका होगी

स्वाति मालीवाल केस की जांच के लिए SIT यानी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बना दी गई है. नॉर्थ दिल्ली की DCP अंजिता चेप्याला एसआईटी का नेतृत्व कर रही हैं. एसआईटी में इंस्पेक्टर रैंक के तीन अधिकारी भी हैं, जिसमें सिविल लाइंस के पुलिस अफसर को भी शामिल किया गया है, जहां केस दर्ज हुआ है.

पीटीआई से बात करते हुए अरविंद केजरीवाल का कहना था कि मामला विचाराधीन है, इसलिए उनकी टिप्पणी से कार्यवाही प्रभावित हो सकती है.

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लेकिन ये सवाल तो तभी पूछा गया था जब वो लखनऊ में अखिलेश यादव के साथ प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे - क्या तब भी उनके चुप रहने की यही वजह थी? ट्रायल में उनके बयान को कहीं आधार न बना लिया जाये.

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल का कहना है, मामले के दो वर्जन हैं... पुलिस को दोनों वर्जन की निष्पक्ष जांच करनी चाहिये... और न्याय होना चाहिये.

अरविंद केजरीवाल के बयान पर स्वाति मालीवाल ने सोशल साइट एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया दी है, 'मेरे कंप्लेंट फाइल करते ही नेताओं और वालंटियर की पूरी आर्मी मेरे पीछे लगाई गई... मुझे बीजेपी का एजेंट बुलाया गया... मेरा चरित्रहरण कराया गया... काट पीट के वीडियो लीक की गई... मेरी विक्टिम शेमिंग करी गई, आरोपी के साथ घूमे... उसको क्राइम सीन पर दोबारा आने दिया और सबूत से छेड़छाड़ करी गई... आरोपी के लिये खुद सड़क पर उतर गये... और अब मुख्यमंत्री साहब जिनके ड्राइंग रूम में मुझे पीटा गया, वो कह रहे हैं कि उन्हें इस मामले में निष्पक्ष जांच चाहिये.'

मुख्यमंत्री आवास के अंदर क्या हुआ, सच तो जांच के बाद ही आएगा, लेकिन स्वाति मालीवाल ये कहना, 'आरोपी के लिये खुद सड़क पर उतर गये,' ये तो सभी ने देखा है. देखा भी शायद इसीलिए क्योंकि अरविंद केजरीवाल दिखाना भी चाहते थे. ये अरविंद केजरीवाल का पॉलिटिकल मैसेज भी था जो बाद में आतिशी के बयान के रूप में आधिकारिक तौर पर सामने भी आ चुका है.

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अरविंद केजरीवाल के हिसाब से अगर आतिशी आम आदमी पार्टी का पक्ष रख रही हैं, तो संजय सिंह के बयान को क्या समझा जाएगा. आतिशी की बातों से तो लगता है संजय सिंह झूठ बोल रहे थे, और संजय सिंह की बातों से ऐसी ही समझ आतिशी के बारे में हो रही है. संजय सिंह ने ही सबसे पहले बताया था कि मामले को केजरीवाल ने संज्ञान में लिया है - अगर संजय सिंह ने झूठ बोला है, तो केजरीवाल ने क्या एक्शन लिया? ये जानना भी महत्वपूर्ण हो जाता है.

ऐसा कैसे होगा कि केजरीवाल संजय सिंह की बातों पर कुछ नहीं बोलेंगे, और आतिशी के जरिये स्वाति मालीवाल को टारगेट कराएंगे - ये बात तो किसी को भी हजम नहीं हो सकती.

ऐसे में जबकि अरविंद केजरीवाल पूरे मामले में खुद एक पक्ष के साथ नजर आ रहे हैं, बल्कि ये कहें कि वो तो खुद ही एक पक्ष बने हुए हैं - आखिर वो किस तरह की निष्पक्ष जांच चाहते हैं?

निष्पक्ष जांच तभी संभव है जब केजरीवाल इंसाफ दिलाना चाहें

स्वाति मालीवाल का कहना है कि मारपीट की घटना के दौरान अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री आवास में ही मौजूद थे, और अरविंद केजरीवाल ने भी अपनी मौजूदगी की बात स्वीकार की है, लेकिन ये भी कहा है कि वो मौके पर यानी मौका-ए-वारदात पर मौजूद नहीं थे. इस मामले में गिरफ्तार अरविंद केजरीवाल के पीए बिभव कुमार की तरफ से भी पुलिस से शिकायत की गई है, जिसमें दावा किया गया है कि स्वाति मालीवाल जबरन मुख्यमंत्री आवास में घुसी थीं, और रोकने पर धक्कामुक्की करने लगीं - और उसके बाद क्या हुआ, जांच के जरिये वही सच सामने आना है.

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अरविंद केजरीवाल का कहना है कि इस मामले के दो वर्जन हैं. मतलब, एक वो वर्जन जो स्वाति मालीवाल की तरफ से आया है, और दूसरा वो जो बिभव कुमार की तरह से आया है. अब तक घटनाक्रम से यही लगता है कि अरविंद केजरीवाल उस वर्जन से इत्तेफाक रखते हैं जो बिभव कुमार वाला है.

जाहिर है, अरविंद केजरीवाल को उनके स्टाफ और सुरक्षा के लोगों ने भी घटना के बारे में बताया होगा. हो सकता है वो सीसीटीवी फुटेज भी देखे हों. सारी बातें जानने के बाद अरविंद केजरीवाल ने अपनी एक राय बनाई होगी - लेकिन जो भी राय बनी होगी, उसमें स्वाति मालीवाल का पक्ष तो छूट ही गया होगा. अब तक की बातों से ऐसा तो नहीं लगता कि अरविंद केजरीवाल और स्वाति मालीवाल के बीच कोई बातचीत हुई है. बीजेपी ने आरोप लगाया है कि स्वाति मालीवाल पर समझौते के लिए दबाव बनाया जा रहा है.

जिस तरह से आतिशी ने अरविंद केजरीवाल का पक्ष रखा है, और जिस तरह से बिभव कुमार को लेकर अरविंद केजरीवाल लखनऊ पहुंचे थे - अभी तक तो यही लगा है कि अरविंद केजरीवाल, स्वाति मालीवाल के दावे को सही नहीं मानने को तैयार हैं.

अब तक इस केस में अरविंद केजरीवाल जो भी मान कर चल रहे हैं, अगर जांच के नतीजे उस हिसाब से नहीं आये तो वो कैसे मानेंगे कि सब कुछ फेयर तरीके से हुआ है?

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लेकिन, अगर अरविंद केजरीवाल ये तय कर लें कि जो हुआ वो हुआ, लेकिन मुख्यमंत्री आवास में उनकी मौजूदगी में हुई घटना में नाइंसाफी नहीं होनी चाहिये, तो सब कुछ अपनेआप दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.

राजनीति अपनी जगह है, लेकिन नैतिकता तो यही कहती है कि अरविंद केजरीवाल सुनिश्चित और जांच में पूरा सहयोग करें ताकि न्याय ही हो - क्योंकि कल तक स्वाति मालीवाल उनके साथ थीं, लेकिन ये भी जरूरी तो नहीं कि बिभव कुमार हमेशा साथ ही रहेंगे!

स्वाति मालीवाल ने X पर अपनी डीपी बदल कर ब्लैक कर ली है, जिसे विरोध का प्रतीक माना जाता है. पहले उनकी डीपी में सलाखों के पीछे केजरीवाल की तस्वीर थी. वैसे भी, लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजरअभी तो केजरीवाल जमानत पर बाहर ही हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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