Pahalgam Attack: पाकिस्तान के लिए खतरे की डबल घंटी बज गई है. शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ असीम मुनीर जरूर अब अपने आप को कोस रहे होंगे. हम ये इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पाकिस्तानी मीडिया कह रही है कि भारत का जिगरी दोस्त कश्मीर पहुंच गया है. ये वो दोस्त है जो हर कदम पर भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहता है. हम बात कर रहे हैं इजरायल की. हालांकि भारत की ओर से इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन पाकिस्तानी मीडिया में इसे लेकर जोरों-शोरों से अटकलें लगाई जा रही हैं.
15-20 इजरायली पहुंचे कश्मीर!
पाकिस्तानी वेबसाइट समा टीवी ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इजरायल के करीब 15-20 अधिकारी कश्मीर पहुंच चुके हैं, जिनके पास आधुनिक उपकरण हैं. पाकिस्तान की बौखलाहट साफ देखी जा सकती है. अमेरिका भी दो टूक कह चुका है कि पहलगाम में जिन भी दहशतगर्दों ने निर्दोषों का खून बहाने का काम किया है, उनको ढूंढने में हम भारत की मदद करेंगे.
पाकिस्तान को डर है कि इजरायली अधिकारियों के पहुंचने से अब इस क्षेत्र में उसके लिए मुश्किलें बढ़नी तय है. समा टीवी की रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान पर हमले के लिए इजरायली शैली की रणनीति अपनाई है, और इन अधिकारियों का इस्तेमाल क्षेत्र में गुप्त अभियानों में मदद के लिए किया जा रहा है. यानी साफ है कि अभी भारत ने जंग की बात तक नहीं की है और पाकिस्तान को दिन में तारे नजर आने लगे हैं.
प्यासा मरेगा पाकिस्तान, बन गया प्लान
इस बीच भारत ने पाकिस्तान का हुक्का-पानी बंद करने का पूरा प्लान तैयार कर लिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर शुक्रवार को सिंधु जल समझौता के निलंबन को लेकर बैठक हुई. अमित शाह और जल शक्ति मंत्री सीआर पाटील के बीच करीब 45 मिनट लंबी बैठक में पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोकने के तरीकों पर गंभीरतापूर्वक चर्चा की गई. सूत्रों के मुताबिक, बैठक में तीन प्रमुख विकल्पों, अल्पकालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक, पर विचार किया गया. सरकार का साफ इरादा है कि पाकिस्तान को एक बूंद पानी भी न जाने दिया जाए.
बैठक के बाद यह फैसला लिया गया कि पानी रोकने के हर संभावित तरीके पर तुरंत काम शुरू किया जाएगा. इससे पहले जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देवश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैयद अली मुर्तजा को एक पत्र लिखा था. उन्होंने औपचारिक रूप से पाकिस्तान को सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित रखने के फैसले के बारे में जानकारी दी थी. पत्र में कहा गया था कि यह भारत सरकार की ओर से पाकिस्तान सरकार को भेजे गए नोटिसों के संदर्भ में है, जिसमें संधि के अनुच्छेद 12 (3) के तहत 1960 की सिंधु जल संधि (संधि) में संशोधन की मांग की गई थी. नोटिसों में बदलती परिस्थितियों, जैसे जनसंख्या में भारी वृद्धि, स्वच्छ ऊर्जा विकास की आवश्यकता और जल बंटवारे से जुड़े मूलभूत अनुमानों में बदलाव का जिक्र किया गया है.
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