दिल्ली शराब घोटालाः कोर्ट ने CBI को दी आरोपों पर बहस की अनुमति तो बचाव पक्ष के वकीलों ने किया वॉकआउट

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दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट में एक नाटकीय दृश्य देखने को मिला. जब बचाव पक्ष के वकीलों के विरोध के बावजूद बेंच ने सीबीआई को आरोप तय करने पर बहस करने की अनुमति दी तो दिल्ली शराब नीति मामले में विभिन्न आरोपियों की ओर से पेश हुए वकील कोर्ट रूम से बाहर चले गए. दरअसल, सीबीआई इस मामले में आरोप तय करने पर बहस करने वाली थी. जहां दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया समेत 16 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है. हालांकि बचाव पक्ष के वकीलों ने आरोपों पर बहस स्थगित करने की मांग की, क्योंकि अप्रैल में सीबीआई द्वारा एक नई गिरफ्तारी की गई है.

एडवोकेट रजत भारद्वाज ने कोर्ट द्वारा पारित एक हालिया आदेश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि अगर किसी अन्य संदिग्ध को जांच में शामिल किया जाता है या कोई अन्य सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की जाती है, तो कोर्ट आरोपों पर सुनवाई तब तक रोक सकता है, जब तक कि उसकी प्रतियां न मिल जाएं. दायर की गई ऐसी सप्लीमेंट्री चार्जशीट सभी आरोपियों को प्रदान की जाती है.

आवेदन के अनुसार बीआरएस नेता के कविता की गिरफ्तारी के एक दिन बाद 12 अप्रैल को अदालत के समक्ष आपत्तियां उठाई गईं, जिसमें कहा गया कि घटनाक्रम के कारण आरोपों पर बहस शुरू नहीं हो सकती. वकील ने तर्क दिया कि आदेश बहुत स्पष्ट है. हमारे आवेदन की जरूरत भी नहीं है. जब यह स्थिति है तो हम आरोप पर बहस कैसे शुरू कर सकते हैं? अगर 15 दिन तक बहस शुरू नहीं हुई तो आसमान नहीं गिर जाएगा. पूर्ववर्ती न्यायाधीश ने इस अदालत को किसी के गिरफ्तार होने पर कार्यवाही रोकने की शक्ति दी थी.

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के कविता के वकील नितेश राणा ने कोर्ट से अनुरोध किया कि वह आरोपों पर दलीलें टालने की मांग करने वाली अर्जी पर पहले फैसला करे, इससे पहले कि सीबीआई अपनी दलीलें आगे बढ़ाए. हालांकि कोर्ट ने आपत्तियों पर विचार नहीं किया और कार्यवाही जारी रखने का फैसला किया और सीबीआई को आरोप तय करने पर बहस करने दी. इसके बाद जैसे ही सीबीआई के वकील ने बहस शुरू की. बचाव पक्ष के कई वकील बाहर चले गए.

विशेष सीबीआई न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने कहा कि वे इस तरह कैसे बाहर निकल सकते हैं? बचाव पक्ष के वकीलों ने बताया कि कोई वाकआउट नहीं हुआ था और उनके सहयोगी अदालत कक्ष के अंदर मौजूद थे, न्यायाधीश ने कहा कि ये कुछ ऐसा था, जो उन्होंने न्यायाधीश के रूप में अपने करियर में पहली बार देखा था. विशेष सीबीआई न्यायाधीश ने कहा कि यह कुछ ऐसा है जो मैंने पहली बार देखा है. आप अपनी बात रखते हैं और बाहर चले जाते हैं. आप रुके भी नहीं. यह किस तरह का आचरण है? बहस शुरू होती है और छोड़ दी जाती है?

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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