राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। राजकीय माडल संस्कृति विद्यालयों में संचालित बाल वाटिका में किसी बच्चे को दाखिले से इंकार नहीं किया जा सकता। न ही बाल वाटिका के लिए पंजीकरण फीस और मासिक शुल्क लिया जा सकता है। छात्र संख्या बढ़ने पर दोहरी पाली में कक्षाएं लगानी होंगी।
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से इस संबंध में सभी जिला शिक्षा अधिकारी और मौलिक शिक्षा अधिकारी तथा खंड शिक्षा अधिकारी और खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए गए हैं। कई स्कूल मुखियाओं द्वारा सीटों की संख्या निर्धारित करने और बच्चों को नामांकन से इंकार करने की शिकायतों पर एक्शन लेते हुए निदेशालय ने रिमाइंडर भेजा है।
बाल वाटिका में नामांकन के लिए न करें मना
इससे पहले भी विभाग की ओर से सात मार्च, 21 मार्च, 10 अप्रैल और 19 अप्रैल को निर्देश जारी किए जा चुके हैं कि सभी विद्यालयों में विशेषकर राजकीय माडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालयों तथा राजकीय माडल संस्कृति विद्यालयों के मुखिया बालवाटिका में नामांकन के लिए किसी भी विद्यार्थी को मना न करें। नेबरहुड में निवास करने वाला प्रत्येक विद्यार्थी दाखिले का पात्र है, जिसे दाखिला देना ही होगा। इसके बावजूद बड़ी संख्या में माडल संस्कृति स्कूलों के मुखिया कम सीटों का हवाला देते हुए बच्चों को दाखिला नहीं दे रहे।
मौलिक शिक्षा अधिकारी के संज्ञान में करें कक्षाएं संचालित
आदेशों में कहा गया है कि सीबीएसई से मान्यता प्राप्त विद्यालय, जिनके पास प्राथमिक विंग नहीं है और उनकी स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) प्राथमिक कक्षाएं आरंभ करना चाहती हैं तो वे अपने जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के संज्ञान में लाकर कक्षाएं संचालित करें। नई कक्षाएं आरंभ करने से अतिरिक्त कमरों की मांग पर पहले ही बताया जा चुका है कि स्कूल को दोहरी पारी में संचालित किया जाए। छात्र नामांकन अधिक होने पर यदि अतिरिक्त अध्यापकों की जरूरत पड़ती है तो निदेशालय को अवगत करवाया जाए ताकि समुचित अध्यापकों की व्यवस्था की जा सके।
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