पीटीआई, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने एक युवा दंपती की शादी को इस आधार पर रद्द कर दिया कि पति की 'रिलेटिव इंपोटेंसी' के कारण विवाह बरकरार नहीं रह सकता। रिलेटिव इंपोटेंसी का मतलब ऐसी नपुंसकता से है जिसमें व्यक्ति पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने में असमर्थ होता है, लेकिन अन्य के साथ वह शारीरिक संबंध बनाने में सक्षम रहता है। यह सामान्य नपुंसकता से भिन्न स्थिति होती है।
जस्टिस विभा कांकणवाड़ी और जस्टिस एसजी चपलगांवकर की खंडपीठ ने 15 अप्रैल को दिए फैसले में यह भी कहा कि यह ऐसे युवाओं की मदद करने के लिए उपयुक्त मामला है जो एक-दूसरे के साथ मानसिक, भावनात्मक या शारीरिक रूप से नहीं जुड़ पाते। इसके साथ ही उसने पारिवारिक अदालत के फैसले को रद्द कर दिया।
फैमिली कोर्ट ने याचिका खारिज किया था
इस मामले में 27 वर्षीय व्यक्ति ने फरवरी 2024 में एक पारिवारिक अदालत द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद हाई कोर्ट का रुख किया था। पारिवारिक अदालत ने उसकी 26 वर्षीय पत्नी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था। इसमें उसने याचिका स्वीकार करने के शुरुआती चरण में ही विवाह रद्द करने का अनुरोध किया था।
पति को अपनी पत्नी के प्रति रिलेटिव इंपोटेंसी
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि रिलेटिव इंपोटेंसी की विभिन्न शारीरिक और मानसिक वजह हो सकती हैं। मौजूदा मामले में यह आसानी से पता लगाया जा सकता है कि पति को अपनी पत्नी के प्रति रिलेटिव इंपोटेंसी है। विवाह जारी न रह पाने की वजह सीधे तौर पर पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बना पाने में पति की अक्षमता है।
हमारे बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं बने- दंपती
कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति ने संभवत: शुरुआत में शारीरिक संबंध न बना पाने के लिए अपनी पत्नी को जिम्मेदार ठहराया क्योंकि वह यह स्वीकार करने से हिचकिचा रहा था कि वह उसके साथ संबंध बनाने में असमर्थ है। दोनों ने मार्च 2023 में शादी की थी लेकिन 17 दिन बाद ही अलग हो गए थे। दंपती ने कहा था कि उनके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं बने।
मानसिक, भावनात्मक या शारीरिक रूप से नहीं जुड़ पाए- महिला
महिला ने दावा किया कि वे एक-दूसरे के साथ मानसिक, भावनात्मक या शारीरिक रूप से नहीं जुड़ पाए। व्यक्ति ने दावा किया कि वह अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध नहीं बना पाया लेकिन वह सामान्य स्थिति में है। उसने कहा कि वह अपने ऊपर ऐसा कोई धब्बा नहीं चाहता कि वह नपुंसक है। इसके बाद पत्नी ने एक पारिवारिक अदालत में तलाक की अर्जी दायर की थी।
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