पीटीआई, नई दिल्ली। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को दाऊदी बोहरा समुदाय के 53वें अल-दाई अल-मुतलक (नेता) के रूप में सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन की नियुक्ति को वैध ठहराया। हाईकोर्ट ने सैफुद्दीन की नियुक्ति को चुनौती देने वाले 2014 के मुकदमे को खारिज कर दिया।
जस्टिस गौतम पटेल की एकल पीठ ने मुकदमे को खारिज करते हुए कहा, अदालत ने केवल साक्ष्य के आधार पर फैसला किया है, न कि आस्था के मुद्दे पर। सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन के जनवरी 2014 में निधन के बाद बुरहानुद्दीन के दूसरे बेटे मुफद्दल सैफुद्दीन के अल-दाई अल-मुतलक पद संभालने पर आपत्ति जताते हुए कुतुबुद्दीन ने अदालत में यह मुकदमा दायर किया था।
2016 में कुतुबुद्दीन के निधन के बाद से उनके बेटे ताहिर फखरुद्दीन ने कानूनी लड़ाई जारी रखी। मुकदमे में अदालत से सैफुद्दीन को अल-दाई अल-मुतलक के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोकने की मांग की गई। कुतुबुद्दीन ने मुकदमे में दावा किया था कि उसके भाई बुरहानुद्दीन ने उन्हें 'माजून' (उत्तराधिकारी) नियुक्त किया था।
बुरहानुद्दीन ने गुप्त रूप से उन्हें उत्तराधिकार 'नास' दिया था। हालांकि, जस्टिस पटेल ने माना कि यह साबित नहीं किया जा सका कि कुतुबुद्दीन को 'नास' प्रदान किया गया था। उत्तराधिकार विवाद में लंबे समय से चली आ रही सुनवाई के बाद अदालत ने अप्रैल 2023 में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
दाऊदी बोहरा शिया मुसलमानों का धार्मिक संप्रदाय है। इसके भारत में पांच लाख से अधिक और दुनिया भर में 10 लाख से अधिक सदस्य हैं। समुदाय के शीर्ष धार्मिक नेता को दाई-अल-मुतलक कहा जाता है। आस्था और दाऊदी बोहरा सिद्धांत के अनुसार उत्तराधिकारी की नियुक्ति 'ईश्वरीय प्रेरणा' सेकीजातीहै।
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