हर बार बढ़ता गया बृजभूषण की जीत का अंतर, कई सीटों पर भी दबदबा... क्या कैसरगंज में साइडलाइन कर पाएगी BJP?

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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) उत्तर प्रदेश की 80 में से 75 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. पार्टी ने सूबे में अपने कोटे की 75 में से 73 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है लेकिन दो सीटों पर अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. जिन दो सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान बाकी है, उनके लिए पांचवे चरण में 20 मई को मतदान होना है. एक सीट रायबरेली की है तो दूसरी है कैसरगंज. कैसरगंज से बीजेपी के ही बृजभूषण शरण सिंह सांसद हैं. छह बार के सांसद बृजभूषण इस बार कैसरगंज से जीत का चौका लगाने का दावा कर रहे हैं लेकिन पार्टी उन्हें टिकट देगी भी या नहीं, इसे लेकर सस्पेंस है.

चर्चा तो यहां तक है कि बीजेपी बृजभूषण पर नरमी बरतने के मूड में नहीं है और उनका टिकट काट सकती है. इन सबके बीच बृजभूषण का बयान आया है. बृजभूषण शरण सिंह ने कहा है, "पार्टी नेतृत्व को पता है कि इस सीट पर बीजेपी मजबूत है. अगर एक दिन पहले भी बीजेपी उम्मीदवार का ऐलान करती है, तो भी पार्टी को इस सीट से जीत मिलेगी. टिकट के लिए मैं भी एक दावेदार हूं लेकिन अंतिम फैसला पार्टी को लेना है. पार्टी तय करेगी कि प्रत्याशी कौन होगा."

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बृजभूषण हुए नरम या दिखा रहे तेवर?

बृजभूषण के इस बयान के सियासी मायने भी निकाले जाने लगे हैं. बृजभूषण के इस एक बयान में सियासत के जानकारों को नेतृत्व के लिए तेवर भी दिख रहा है और नरमी भी. बृजभूषण का यह कहना कि नेतृत्व को पता है कि यहां पार्टी मजबूत है और एक दिन पहले भी उम्मीदवार का ऐलान किया तो पार्टी जीतेगी, अपने दमदार होने का संदेश देने की कोशिश की तरह देखा जा रहा है. बृजभूषण ने नेतृत्व को संदेश दिया तो साथ ही रुख में नरमी भी दिखाई. उन्होंने यह कहकर गेंद नेतृत्व के पाले में डाल दी कि अंतिम फैसला पार्टी को लेना है, पार्टी ही प्रत्याशी तय करेगी.

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छह बार के सांसद बृजभूषण का यह बयान देखने में भले नरम लग रहा हो, नरम है नहीं. वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर श्रीराम त्रिपाठी ने कहा कि बृजभूषण ऐसे नेताओं में से नहीं हैं जो पार्टी का हर फैसला स्वीकार कर लें. जब फैसला अपने मुताबिक न हो तो वह तेवर दिखाने वाले नेता हैं और यह तेवर इस बयान में भी दिख रहा है. बृजभूषण ने यह जरूर कहा है कि अंतिम फैसला पार्टी को लेना है लेकिन यह नहीं कहा है कि पार्टी का जो फैसला होगा वह उन्हें मंजूर होगा. बीजेपी के नेता भी इसके मायने समझते होंगे.

क्यों आसान नहीं बृजभूषण को साइडलाइन करना?

चर्चा इस बात की भी है कि बीजेपी की ओर से बृजभूषण की जगह उनकी पत्नी या बेटे को कैसरगंज सीट से उतारने का प्रस्ताव दिया गया है लेकिन डब्ल्यूएफआई के पूर्व प्रमुख इसके लिए तैयार नहीं हैं. वह अपने लिए टिकट मांग रहे हैं. इस तरह की चर्चा में सच्चाई है या महज गॉशिप, यह बहस का विषय हो सकता है लेकिन बृजभूषण की प्रचार रणनीति को भी इसी तरफ इशारा माना जा रहा है कि वह अपने कदम पीछे लेने के मूड में नहीं हैं. बृजभूषण की गिनती पूर्वांचल के मजबूत राजपूत नेताओं में होती है जिनकी अपने सजातीय वोटबैंक पर मजबूत पकड़ है. यूपी की सियासत में इन दिनों राजपूत वोटर्स की बीजेपी से नाराजगी के भी चर्चे हैं. ऐसे में कहा जा रहा है बीजेपी के लिए बृजभूषण जैसे कद्दावर राजपूत नेता को साइडलाइन करना आसान नहीं होगा.

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बृजभूषण के पक्ष में उनका चुनावी रिकॉर्ड भी जा सकता है. कभी सपा का गढ़ रही कैसरगंज सीट से बृजभूषण 2009 में पहली बार साइकिल के सिंबल पर ही चुनाव मैदान में उतरे थे और जीते थे. 2014 चुनाव से पहले बृजभूषण बीजेपी में शामिल हो गए. 2009 से 2019 तक, लगातार तीन बार के सांसद बृजभूषण की जीत का अंतर हर चुनाव में बढ़ा है. 2009 में सपा के टिकट पर उतरे बृजभूषण को 5 लाख 65 हजार 673 वोट मिले थे. बृजभूषण ने बसपा के सुरेंद्र नाथ अवस्थी उर्फ पुत्तू भैया को 72 हजार 199 वोट से हराया था. इसके बाद बृजभूषण को मिले वोट कम-अधिक होते रहे लेकिन उनकी जीत का अंतर हर चुनाव में बढ़ता ही चला गया.

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साल 2014 में बृजभूषण बीजेपी के टिकट पर कैसरगंज से उतरे. बृजभूषण को 3 लाख 81 हजार 500 वोट मिले थे लेकिन उनकी जीत का अंतर 78 हजार से अधिक वोटों का रहा था. बृजभूषण के निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित को 3 लाख 3 हजार 282 वोट मिले थे. 2019 में बृजभूषण को 5 लाख 81 हजार 358 वोट मिले थे और उनके निकटतम प्रतिद्वंदी सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार चंद्रदेव राम यादव को 3 लाख 19 हजार 757 वोट. बृजभूषण ने 2019 के चुनाव में 2 लाख 61 हजार 601 वोट के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी.

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आसपास की सीटों पर भी असरदार हैं बृजभूषण

बृजभूषण के टिकट पर सस्पेंस के पीछे हर चुनाव में जीत का बढ़ता अंतर तो है ही, एक वजह उनका कैसरगंज सीट के बाहर प्रभाव भी है. बृजभूषण कैसरगंज के पहले गोंडा और बलरामपुर लोकसभा सीट से भी सांसद रह चुके हैं. उनका अयोध्या, गोंडा, श्रावस्ती में भी अच्छा प्रभाव है. पूर्वांचल के राजपूत वोटर्स पर भी बृजभूषण का अच्छा होल्ड माना जाता है.

कैसरगंज का गणित और जातीय समीकरण

कैसरगंज लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं जिनमें तीन गोंडा और दो सीटें बहराइच जिले की हैं. गोंडा जिले का जो हिस्सा इस लोकसभा क्षेत्र में आता है, वह ब्राह्मण बाहुल्य है. वहीं, बहराइच के इलाके में राजपूत मतदाताओं की बहुलता है. ब्राह्मण बीजेपी के कोर वोटर माने जाते हैं जबकि राजपूत वोटर्स बृजभूषण के. ओबीसी वोटर्स के बीच भी बृजभूषण का अपना आधार है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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