क्या केजरीवाल के बाद अब AAP का नंबर है? ED की सप्लीमेंट्री चार्जशीट को लेकर खतरे की घंटी बजी

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अक्टूबर, 2023 में सुप्रीम कोर्ट का प्रवर्तन निदेशालय से सवाल था, दिल्ली शराब नीति केस में अगर आम आदमी पार्टी को फायदा हुआ है, तो उसे पार्टी यानी पक्षकार या आरोपी क्यों नहीं बनाया गया?

तभी से प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी कानूनी विशेषज्ञों से सलाह ले रहे थे. कुछ दिन पहले कोर्ट को इस बारे में बताया भी था, और अब ईडी के अफसर उसे अमलीजामा भी पहनाने जा रहे हैं. 16 अक्टूबर, 2023 को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और एसवी भट्टी की बेंच के सामने कहा भी था, हम PMLA की धारा 70 का इस्तेमाल करते हुए आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाने पर विचार कर रहे हैं.

दिल्ली हाईकोर्ट भी अपने फैसले में कह चुका है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत राजनीतिक दल की परिभाषा भी 'association of individuals' होती है, और मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट की धारा 70 के तहत कंपनी की परिभाषा भी 'लोगों का समूह' ही है. हाई कोर्ट ने ईडी की वो दलील भी मान ली थी कि आम आदमी पार्टी भी एक कंपनी की तरह काम कर रही थी - और इसे PMLA की धारा 70 के तहत कंपनी के रूप में ही देखा जाना चाहिये.

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प्रवर्तन निदेशालय 15 मई से पहले अपना आरोप पत्र दाखिल कर सकता है, क्योंकि 60 दिन की डेडलाइन पूरी हो रही है. असल में, बीआरएस एमएलसी के. कविता को 15 मार्च को गिरफ्तार किया गया था, और चार्जशीट में अरविंद केजरीवाल के साथ साथ वो भी एक आरोपी होंगी. बताते हैं कि चार्जशीट का ड्राफ्ट फाइनल स्टेज में है - और उसमें चार-पांच और भी आरोपियों के नाम शामिल किये जा सकते हैं.

नये आरोपियों में एक नाम तो चनप्रीत सिंह का ही हो सकता है. राजनीतिक कार्यकर्ता चनप्रीत सिंह को ईडी ने 15 अप्रैल को गिरफ्तार किया था, जिस पर गोवा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के लिए फंड मैनेज करने का आरोप लगा है.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने दावा किया है कि आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाने में सपोर्ट के लिए उनके पास काफी ठोस सबूत है, और अगर ये हुआ तो आम आदमी पार्टी के बैंक खाते और संपत्ति जब्त हो जाने खतरा पैदा हो जाएगा, जिससे आखिरकार अस्तित्व पर भी संकट आ सकता है - अरविंद केजरीवाल के वकील ने ईडी के ऐसा कदम उठाने को बहुत खतरनाक बताया है.

केजरीवााल के वकील का डर अनायास नहीं है

अरविंद केजरीवाल के केस की अदालतों में पैरवी कर रहे सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने ईडी के संभवित एक्शन को जांच एजेंसी के इरादे पर सवाल उठाया है, और आशंका जताई है कि इसका मकसद एक राजनीतिक दल को खत्म करना है.

एक अन्य सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने भी ईडी के ऐसे कदम को अनुचित माना है, जिससे कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है. कपिल सिब्बल ने इसे PMLA की धारा 70 के प्रावधानों का बेजा इस्तेमाल बताया है, और बदनाम करने की कोशिश बताई है.

अभिषेक मनु सिंघवी ने आशंका जताई है कि इसका चुनावों के दौरान ऐसी चीजों का रणनीतिक तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है, और राजनीतिक गतिविधियों को वित्तीय गड़बड़ियों के नाम पर कमजोर किया जा सकता है.

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अरविंद केजरीवाल के साथ साथ मनीष सिसोदिया के लिए भी सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर चुके सिंघवी का मानना है, अगर प्रवर्तन निदेशालय ऐसा करता है, तो उसका मकसद प्रॉपर्टी सीज करना, बैंक खाते फ्रीज करना और आखिरकार एक राजनीतिक दल को खत्म करना भर है.

अगर वास्तव में ईडी की चार्जशीट में अरविंद केरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह सहित अन्य आरोपियों की तरह आम आदमी पार्टी को भी आरोपी बनाया जाता है, तो लगता है राजनीतिक दलों को भी कंपनी की तरह ही ट्रीट किया जाने लगेगा. मतलब, कंपनियों की तरह राजनीतिक दल भी लाभ के मकसद से बनाये गये माने जाएंगे, न कि राजनीति और सेवा के लिए . कंपनियां कारोबार के लिए बनाई जाती है, लेकिन अब राजनीतिक दलों के कामकाज को भी कारोबार की तरह माना जाएगा - और उसके लेन देन की भी ऑडिट होने लगेगी, जैस कोई बिजनेस हो.

क्या ईडी के अफसर वो काम करने जा रहे हैं जो देश के लोग नहीं कर पा रहे हैं?

एक बार ईडी और सीबीआई के कामकाज की तारीप करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये समझाने की कोशिश की थि कि जो काम देश के लोग नहीं कर पाये, जांच एजेंसियों ने कर दिखाया है. भले ही मोदी की बातों में उनके राजनीतिक विरोधियों के एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोप का साया नजर आ रहा हो, लेकिन हाल ही के एक इंटरव्यू में मोदी ने अपनी तरफ से पूरी तस्वीर साफ कर दी है.

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जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के सवाल पर प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं, ईडी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जितने मामले दर्ज किए हैं, उनमें से सिर्फ 3 फीसद लोग ही राजनीति से जुड़े हैं, बाकी 97 फीसदी गैर राजनीतिक हैं.

और इसके साथ ही मोदी सवाल पर ही सवाल करते हैं, भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करने के लिए कोई संस्था बनाई गई है... वो काम न करे तो सवाल पूछना चाहिये... काम करे... इसलिए सवाल पूछा जाये - ये लॉजिक नहीं बनता है.

बहरहाल जिस तरह से प्रवर्तन निदेशालय ने आम आदमी पार्टी को दिल्ली शराब नीति केस में आरोपी बनाने की तैयारी कर ली है, धीरे धीरे ये तो साफ होता जा रहा है कि आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं को ठिकाने लगाने की तैयारी पूरी हो चुकी है.

आम आदमी पार्टी के आरोपी बन जाने के बाद सिर्फ अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ही नहीं, ऐसे बहुत सारे नेता जो किसी न किसी रूप में पार्टी से जुड़े फैसलों से संबंधित हैं, बारी बारी सभी जांच के दायरे में आ सकते हैं.

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1. दिल्ली हाई कोर्ट में भी ED की दलील थी कि पीएमएलए की धारा 70 के तहत आम आदमी पार्टी को एक कंपनी माना जाएगा और राष्ट्रीय संयोजक होने के नाते अरविंद केजरीवाल इसके तहत होने के वाले कामकाज के जिम्मेदार होंगे - और अब तो चार्जशीट में पीएमएलए की धारा 70 (1) के तहत अरविंद केजरीवाल ही सारी बातों के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा.

2. प्रवर्तन निदेशालय अब लगता है आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को एक दूसरे के पूरक के तौर पर पेश करने जा रहा है. मतलब, अरविंद केजरीवाल ही आम आदमी पार्टी की सारी गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार हैं, और वैसे ही आम आदमी पार्टी से जुड़े सभी महत्वपूर्ण लोगों की भी जिम्मेदारी बनती है.

3. PMLA की धारा 70 में किसी कंपनी के किये अपराधों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. धारा 70 के अनुसार, जब कोई कंपनी मनी लॉन्ड्रिंग करती है, तो हर व्यक्ति जो अपराध के समय उस कंपनी का प्रभारी या जिम्मेदार था, उसे भी दोषी माना जाएगा, और उसके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी - और अब ये सिर्फ आम आदमी पार्टी तक ही सीमित नहीं रहने वाला है, बल्कि बारी बारी और भी राजनीतिक दल, खासकर क्षेत्रीय पार्टियों के सामने एक जैसी मुसीबत सामने आने वाली है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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