VVPAT पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से EVM पर कितना भरोसा जगेगा विपक्ष का, 5 बिंदुओं में समझिए

4 1 24
Read Time5 Minute, 17 Second

कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के समापन के अवसर पर मुंबई के शिवाजी पार्क में हुई सभा में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि राजा की आत्मा EVM, CBI, ED, इनकम टैक्स में है. पर अब सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम की वैधता पर मुहर लगा दी है. शुक्रवार को ईवीएम और VVPATपर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सीधा मतलब है कि इस सिस्टम पर भरोसा करना होगा. सुप्रीम कोर्टने साफ कर दिया है कि देश में बैलेट पेपर से वोटिंग का दौर वापस नहीं आएगा. यानी मतदान तो ईवीएम से ही होगा. इसके साथ ही VVPAT से 100 फीसदी पर्ची मिलान भी नहीं होगा.चुनाव आयोग ने कहा कि कोर्ट के इस फैसले के बाद अब किसी को शक नहीं रहना चाहिए. अब पुराने सवाल खत्म हो जाने चाहिए. सवालों सेवोटर के मन में शक होता है. तो क्या अब ईवीएम के आलोचक यह मान लेंगे कि राजा की जान ईवीएस से बाहर आ गई है?

1-सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम की सिक्युरिट की जो व्यवस्था दी है उस पर कितना भरोसा

सुप्रीम कोर्ट ने मतदाताओं ओर राजनीतिक दलों में विश्वास जगाने के लिए व्यवस्था दी है किईवीएम 45 दिनों तक सुरक्षित रहेगी और अगर नतीजों के बाद 7 दिनों के भीतर शिकायत की जाती है तो जांच कराई जाएगी.मतलब कि अगर प्रत्याशियों को लगता है कि कुछ गड़बड़ हुआ है तो ईवीएम की जांच की जा सकेगी. उम्मीद है कि विपक्ष सुप्रीम कोर्ट के इस व्यवस्था से जरूर संतुष्ट होगा . फिर भी यह उम्मीद करनी बेमानी है कि आगामी लोकसभा चुनावों में हारने वाला यह नहीं कहेगा कि सरकार ने ईवीएम के जरिए बेइमानी की गई है. क्योंकि हर बार चुनावों में जो पार्टी हारती है वही ईवीएम पर संदेह करती रही है.

Advertisement

भारतीय जनता पार्टी ने भी 2009 में ईवीएम का विरोध किया था. तत्कालीन बीजेपी नेताओं ने देश में बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग रखी थी. पर शायद सभी दलों के मन मस्तिष्क में ईवीएम के प्रति भरोसा ही है कि आरोप लगाने वाले भी कभी इसके खिलाफ आंदोलित नहीं हुए और न ही चुनावों का बहिष्कार ही किया.सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद एडीआर की अर्जी पर बहस करने वाले प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखाकि,चूंकि ईवीएम और VVPAT में ऐसे चिप्स लगे होते हैं जिन्हें अपने हिसाब से तैयार किया जाता है. इसलिए ऐसी आशंका रहती है कि वोटों में हेरफेर करने के लिए एक दुर्भावनापूर्ण प्रोग्राम लोड किया जा सकता है.

चूंकि मतदाताओं को ईवीएम पर भरोसा नहीं है, इसलिए हमने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि या तो बैलेट पेपर्स पर चुनाव के आदेश दें या मतदाता को मतपेटी में डालने के लिए वीवीपैट पर्ची दें और फिर VVPAT पर्चियों की गिनती करें. या वीवीपैट मशीन में लाइट चालू रखें और सभी पर्चियों की गिनती करें. आज सिर्फ 2 फीसदी VVPAT पर्चियों का ही ईवीएम से मिलान हो पाता है. सुप्रीम कोर्ट ने आज हमारी मांगों को खारिज कर दिया और इसके बजाय 3 निर्देश दिए 1- चुनाव आयोग को VVPAT पर बार कोड रखने की फीजीबिल्टी की जांच करनी चाहिए सभी पर्चियों की गिनती कंप्यूटराइज्ट तरीके से हो जाए 2-चुनाव के बाद चुनाव चिन्ह लोडिंग यूनिट को सील कर दिया जाना चाहिए और 45 दिनों तक उपलब्ध रखा जाना चाहिए 3- हारने वाले उम्मीदवार अपने खर्च पर किन्हीं 5 ईवीएम की 'बर्न मेमोरी' की जांच करा सकते हैं.

2-सुप्रीम कोर्ट के इनप्रावधानों से ईवीएम प्रणाली पर भरोसा जगने की उम्मीद

चुनाव के बाद सिंबल लोडिंग यूनिटों को भी सील कर सुरक्षित रखने के निर्देश के चलतेउम्मीदवारों के पास परिणामों की घोषणा के बाद किसी टेक्निकल टीम से EVM के माइक्रो कंट्रोलर प्रोग्राम की जांच कराने का विकल्प होगा. जिसे चुनाव की घोषणा के 7 दिनों के भीतर किया जा सकेगा. कोर्ट ने कहा कि सिंबल लोडिंग यूनिट्स के पूरा होने पर कंटेनर में सील कर दिया जाएगा. इस पर उम्मीदवारों के हस्ताक्षर होंगे और नतीजे घोषित होने के बाद 45 दिन के लिए स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाएगा. यानी नतीजे घोषित होने के 45 दिन तक ईवीएम का डेटा और रिकॉर्ड सुरक्षित रखा जाएगा.

निश्चित है कि इसका सीधा लाभ उन्हें होगा जिन्हें मात्र कुछ वोटों से चुनाव में हार मिलती है.नतीजे में दूसरे और तीसरे नंबर पर आए उम्मीदवार चाहें तो परिणाम आने के सात दिन के भीतर दोबारा जांच की मांग कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में इंजीनियरों की एक टीम द्वारा माइक्रो कंट्रोलर की मेमोरी की जांच कर सकेगी.हो सकता है कि इस प्रकार की मांग के बाद ईवीएम प्रणाली की खामियां और सामने आएं. बहुत उम्मीद है कि इस व्यवस्था से ईवीएम के प्रति भरोसा जगेगा.

Advertisement

3- जरूरत होने पर ईवीएम सिस्टम को मजबूत करने के लिए और भी निर्देश पारित कर सकती है कोर्ट

बेंच ने एक बात और कही है जिससे उम्मीद जगती है कि अभी भी ईवीएम को और सुरक्षित करने की गुंजाइश पर सुप्रीम कोर्ट विचार कर सकता है. बेंच का कहना है कि यदि जरूरी हुआ तो वो मौजूदा ईवीएम सिस्टम को मजबूत करने के लिए निर्देश पारित कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2019 में चुनाव आयोग से कहा था कि किसी संसदीय क्षेत्र में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में ईवीएम के साथ वीवीपैट की संख्या एक से बढ़ाकर पांच कर दी जाए.इस तरह के कुछ और आदेश सुप्रीम कोर्ट भविष्य में दे सकती है.

4-दुनिया में कोई भी व्यवस्था फूलप्रूफ नहीं

पीठ ने कहा कि 'संतुलित परिप्रेक्ष्यमहत्वपूर्ण है, आंख मूंदकर किसी भी व्यवस्था पर संदेह करना उस व्यवस्था के प्रति शक पैदा कर सकता है. सार्थक आलोचना करने की जरूरत है फिर चाहे वो न्यायपालिका हो या फिर विधायिका. सुप्रीम कोर्ट की इस बात में दम है. इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि दुनिया में कोई भी व्यवस्था और तकनीक फूलप्रूफ नहीं हो सकती है. इसे हम डिजिटल फ्रॉड के रूप में देख सकते हैं. जब तक करेंसी का जमाना था जाली नोट प्रचलन में आ गए. जब हम डिजिटल पर शिफ्ट हो रहे हैं हजारों करोड़ के फ्रॉड की रिपोर्ट आ रही है. क्यादुनिया हवाई जहाजों में होने वाली दुर्घटनाओं के चलते बैलगाड़ी पर आने को तैयारहो सकती है?बैलेट पेपर्स सिस्टम में तमाम बुराइयां थीं. ईवीएम में भी हो सकती हैं . ईवीएम को हमें और सुरक्षित बनाना होगा.और खुशी की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा भी है कि भविष्य में जरूरत हुई तो इसे सुरक्षित बनाने के लिए और प्रयास होंगे.

Advertisement

5-ईवीएम पर सवाल उठाने वाले खुद इसे लेकर गंभीर नहीं

ईवीएम पर सवाल उठाने वाले कुछ वैसा ही व्यवहार कर रहे हैं कि एग्जाम की तैयारी किए नहीं और फेल होने पर बोलते हैं कि पास होने वाले छात्रों की एग्जामनर से सेटिंग थी. इस बार के चुनावों में प्रचार सेहांफते हुए नरेंद्र मोदी, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ को हम देख रहे हैं , जबकि विपक्ष का हाल किसी से छुपा नहीं है. राहुल गांधी और अखिलेश एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं पर यूपी में दोनों की संयुक्त रैली आज तक नहीं हुई. यूपी में गिन लीजिए कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने वैसे भी कितनी सभाएं की हैं. अखिलेश यादव खुद 12 अप्रैल के बाद नींद से जागे हैं. बीएसपी सुप्रीमो अभी भी क्या कर रही हैं लोगों की समझ से परे है.

Advertisement

ईवीएम अगर वास्तव में मैनुपुलेटेड है तो निश्चित रूप से उसका विरोध उस लेवल का नहीं हो रहा है जिस तरह का होना चाहिए. ईवीएम के विरोध में आजतक देश की एक भी पार्टी ने चुनाव का विरोध नहीं किया है. इंडिया गठबंधन ने अगर बिना ईवीएम के चुनाव न होने पर विरोध का फैसला किया होता तो नजारा ही कुछ और होता. विपक्ष आधे अधूरे मन से ईवीएम का विरोध करता रहा है. जनता भी इस बात को शायद समझती है.यही कारण है कि कांग्रेस ने भी ईवीएम पर आए फैसले पर बहुत संतुलित कमेंट किया है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर लिखा है कि ‘VVPAT पर जिन याचिकाओं को आज उच्चतम न्यायालय ने खारिज किया, उनमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक पक्ष नहीं थी. हमने दो न्यायाधीशों की पीठ के फैसले पर विचार किया है और चुनावी प्रक्रिया में जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए VVPAT के अधिक से अधिक उपयोग पर हमारा राजनीतिक अभियान जारी रहेगा’

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

UP Lok Sabha Election Phase 3 Voting Live: यूपी में 10 सीटों पर मतदान आज, सुबह सात बजे से शुरू होगी वोटिंग, यहां पढ़ें लेटेस्ट अपडेट्‌स

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। (Lok Sabha elections 2024 LIVE Updates)तीसरे चरण की 10 लोकसभा सीटों पर उत्तर प्रदेश में आज सुबह सात बजे से मतदान शुरू होगा। इन सीटों में 100 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं, जिनके भाग्य का फैसल

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now