Patna High Court ने नीतीश सरकार को लगाई फटकार, कहा- उनकी आंखें तब खुलती हैं जब...

राज्य ब्यूरो, पटना। पटना हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश से राज्य सरकार एवं भागलपुर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा न्यायिक आदेशों के प्रति उदासीन रवैये पर फटकार लगाते हुए कहा है कि "संवैधानिक कोर्ट में मुकदमा जीतने के बावजूद भी याचिकाकर्ता के

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राज्य ब्यूरो, पटना। पटना हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश से राज्य सरकार एवं भागलपुर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा न्यायिक आदेशों के प्रति उदासीन रवैये पर फटकार लगाते हुए कहा है कि "संवैधानिक कोर्ट में मुकदमा जीतने के बावजूद भी याचिकाकर्ता के लिए यह निश्चित नहीं हो पाता है कि उसके पक्ष में पारित न्याय आदेश का लाभ मिलेगा भी या नहीं! क्योंकि राज्य सरकार या विश्वविद्यालय अपने विरुद्ध पारित आदेश के विरुद्ध न तो वर्षों तक कोई अपील दायर करते हैं और न अदालती आदेश आदेश का समय पर अनुपालन। उनकी आंखें तब खुलती हैं जब कोर्ट से अवमानना का नोटिस मिलता है।"

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यह पटना हाई कोर्ट में अब नियम हो चला है कि अमूमन हर दूसरे मामले में आदेश का अनुपालन करने के लिए कोर्ट में अवमानना याचिका दायर हो रही है। न्यायाधीश पीबी बजनथ्री एवं न्यायाधीश आलोक कुमार पांडेय की खंडपीठ ने मीरा सिंह एवं अन्य की अवमाना याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया।

क्या है मामला

मामला 2016 में पारित हाई कोर्ट आदेश का शिक्षा विभाग और भागलपुर विश्वविद्यालय द्वारा अनुपालन नहीं किए जाने से संबंधित है, जिसमें खंडपीठ ने तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के वेतन भुगतान पर अगले आदेश तक के लिए रोक भी लगाई है।

नौ वर्ष पहले हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के लंबित भुगतान को देने का निर्देश विश्वविद्यालय प्रशासन को दिया था, लेकिन आज तक कोर्ट आदेश का पालन नहीं हो सका। हाई कोर्ट ने नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि कुछ सुस्त अफसरों के कारण न्यायपालिका की मर्यादा को सुरक्षित रखने हेतु हाई कोर्ट को मिली अवमानना आदेश की पावन शक्ति अब महज न्याय आदेश को फलीभूत कराने का जरिया बन गई है।

हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई में शिक्षा विभाग के उन अफसरों का नाम तलब किया है, जिनके आदेश पर भागलपुर विश्वविद्यालय का बैंक खाता को फ्रिज कर दिया गया।

कोर्ट ने माना कि सरकार की ऐसी करतूत यदि हाई कोर्ट के किसी आदेश के अनुपालन को रोकती है तो यह भी अवमानना का मामला बनेगा। इस मामले की अगली सुनवाई 19 जून को होगी।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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